AI की क्षमता ने उत्साह और चिंता दोनों को दिया जन्म, WITT 2025 के मंच पर दिग्गजों ने रखी अपनी बात
WITT 2025: कई कंपनियां पायलट चला रही हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर ट्रांसफॉरमेटिव AI एप्लिकेशन अभी भी उभर रहे हैं. पैनलिस्ट इस बात पर सहमत हुए कि AI की लॉन्ग टर्म क्षमता को कम करके आंका गया है. चर्चा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भारत के अपने एआई की इकोसिस्टम की आवश्यकता पर केंद्रित था.

WITT 2025: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हमारे समय की सबसे महत्वपूर्ण तकनीकी क्रांतियों में से एक बन गई है. इसके प्रभाव की तुलना अक्सर आग, पहिया और बिजली जैसे फंडामेंटल आविष्कारों से की जाती है. AI डेवलपमेंट की तेज़ गति और उद्योगों को बदलने की इसकी क्षमता ने उत्साह और चिंता दोनों को ही जन्म दिया है. NASSCOM के चेयरमैन राजेश नंबीर और Microsoft India और South Asia के डायरेक्टर दानिश दिलक सहित उद्योग जगत के लीडर्स की एक हालिया पैनल चर्चा में ‘व्हाट इंडिया थिंक्स टुडे (WITT) ग्लोबल समिट 2025’ के दौरान AI अपनाने और वेंचर उपयोग के मामलों, AI लैंडस्केप में भारत की पोजीशन और व्यापक आर्थिक निहितार्थों पर चर्चा की गई.
एग्जीक्यूशन के शुरुआती चरण
चर्चा की शुरुआत AI के इर्द-गिर्द असाधारण चर्चा पर चिंतन के साथ हुई. एक पैनलिस्ट ने कहा कि इस दशक में हमने जो सबसे बड़ी चर्चा देखी है, उसके बारे में एक रैंडम पोल करें? मुझे लगता है कि AI शायद आसानी से जीत जाएगा. हालांकि, जहां व्यक्तियों ने AI को व्यापक रूप से अपनाया है, वहीं एंटरप्राइज अभी भी एग्जीक्यूशन के शुरुआती चरणों में हैं. राजेश नंबीर ने कहा कि आप एंटरप्राइज की तुलना में व्यक्तियों के बीच बहुत अधिक अपनाने को पाते हैं. कई कंपनियां पायलट चला रही हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर ट्रांसफॉरमेटिव AI एप्लिकेशन अभी भी उभर रहे हैं.
AI के प्रभाव
इसके बावजूद, पैनलिस्ट इस बात पर सहमत हुए कि AI की लॉन्ग टर्म क्षमता को कम करके आंका गया है. नंबीर ने कहा कि शॉर्ट रन में, हम AI के प्रभाव को ज्यादा आंक रहे हैं, लेकिन लॉन्ग रन में हम इसे कम करके आंक रहे हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य सेवा, वित्तीय सेवाएं और कृषि जैसे उद्योगों में AI द्वारा संचालित सार्थक बदलाव दिखने लगे हैं.
AI इकोसिस्टम की आवश्यकता
चर्चा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भारत के अपने एआई की इकोसिस्टम की आवश्यकता पर केंद्रित था. एक पैनलिस्ट ने कोविड-19 के दौरान भारत के वैक्सीन डेवलपमेंट के साथ समानताएं बताते हुए कहा कि कुछ बुनियादी तकनीकों का निर्माण किया जाना चाहिए. भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता भी घरेलू एआई समाधानों की आवश्यकता है. पैनलिस्टों ने कहा कि इंटरनेशनल मॉडल हमारी विविधता को उसकी सभी प्रगति और सूक्ष्मताओं के साथ नहीं दर्शाते हैं.
भारत के आईटी उद्योग ने वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ा योगदान दिया है, लेकिन कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि देश से AI की सफलताएं क्यों नहीं उभरीं. एक पैनलिस्ट ने पूछा कि क्या उद्योग एआई अग्रणी बनने से चूक गया है. जबकि कुछ लोगों का मानना है कि भारत की ताकत सेवाओं में निहित है, दूसरों ने तर्क दिया कि एआई-ऑपरेटेड इनोवेशन देश को आगे बढ़ा सकता है.
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