अमेरिका पर मंडरा रहा मंदी का खतरा, ये 4 संकेत बता रहे अच्छे नहीं हालात

अमेरिकी इकोनॉमी की मजबूती फिलहाल भारत सहित दुनिया के तमाम देशों के लिए चुनौतियां खड़ी कर रही है. खासतौर पर डॉलर की मजबूती भारतीय अर्थव्यवस्था को सता रही है. लेकिन, एक स्टडी में सामने आया है कि अमेरिकी इकोनॉमी भी मंदी के किनारे खड़ी है. जानते हैं इस स्टडी में और क्या बताया गया है?

अमेरिकी अर्थव्यवस्था अगर मंदी में जाती है, तो इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी असर होगा. Image Credit: Money9

भारत सहित दुनिया के तमाम देशों के लिए डॉलर की मजबूती मुश्किलें खड़ी कर रही है. लेकिन, फिनटेक कंपनी स्मॉलकेस की एक एक स्टडी में सामने आया है कि अमेरिकी इकोनॉमी में दिख रहे मजबूती के संकेत लंबे समय तक टिकने वाले नहीं है. इस स्टडी में बताया गया है कि बेहद मजबूत दिख रही अमेरिकी अर्थव्यवस्था असल में मंदी के किनारे खड़ी है. बढ़ते कर्ज और बाजार असंतुलन को कारण बताते हुए स्मॉलकेस स्टडी में उन संकेतो पर भी चर्चा की गई है, तो बता रहे हैं कि मंदी का खतरा कितना गहरा है.

क्यूरेटेड इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी तैयार करने वाले प्लेटफॉर्म स्मॉलकेस के अध्ययन के मुताबिक, ‘अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर कई खतरे मंडरा रहे हैं. बढ़ते कर्ज और बाजार असंतुलन की वजह से वहां मंदी आ सकती है. स्टॉक, बिटकॉइन, लीवरेज्ड इन्वेस्टमेंट और मीम स्टॉक में उछाल आ रहा है. इस तरह का पागलपन से भरा हुआ उत्साह COVID लॉकडाउन खत्म होने बाद भी देखा गया था. लेकिन, इसके साथ ही गोल्ड और सिल्वर में भी जबरदस्त तेजी आई है. निश्चित रूप से यह मंदी से निपटने के लिए किया गया निवेश है.

कई इंडीकेटर कर रहे इशारे

कई इकोनॉमिक इंडीकेटर अमेरिका में मंदी की आशंका की चेतावनी दे रहे हैं. क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर की बढ़ती संख्या, S&P 500 के हाई P/E रेश्यो आगे की चुनौतियों को दर्शाते हैं. S&P 500 31.2x के ऑल टाइम हाई P/E रेश्यो पर कारोबार कर रहा है. इसके अलावा 2010 के बाद पहली बार क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर की संख्या 4% से ज्यादा हो गई है, जो बढ़ते वित्तीय तनाव और उपभोक्ता खर्च से जुड़े दबाव को दर्शाता है. यह आर्थिक कमजोरियों के संकेत हैं.

अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भारी कर्ज

अध्ययन में यह भी बताया गया है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था का डेट-टू-जीडीपी रिश्यो भी रिकॉर्ड 124.3% तक बढ़ गया है, जिसमें 2023 में सार्वजनिक कर्ज पर ब्याज के 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का खर्च शामिल है. कर्ज के इस बढ़ते बोझ का आर्थिक विकास और राजकोषीय स्थिरता पर प्रभाव पड़ता है. इसे नीचे दिए गए डेटा में देखा जा सकता है.

वर्षक्रेडिट कार्ड डिफॉल्टर की संख्याकंज्यूमर क्रेडिट कार्ड कर्ज*
20103.90%0.95
20244.10%1.3
* क्रेडिट कार्ड कर्ज ट्रिलियन डॉलर में

साहम रूल दे रहा मंदी के संकेत

अध्ययन के मुताबिक मंदी का एक प्रमुख इंडीकेटर साहम रूल भी अगस्त 2024 में 0.57% तक बढ़ गया है. यह इंडीकेटर बेरोजगारी के 12 महीने के निचले स्तर से 0.50% बढ़ने पर मंदी का संकेत देता है. 1970 के बाद से मंदी की सटीक भविष्यवाणी करने का एक मजबूत ऐतिहासिक रिकॉर्ड रखता है.

क्या है साहम रूल इंडीकेटर

इकोनॉमिस्ट क्लाउडिया साहम ने अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत को पहचानने के लिए यह इंडीकेटर तैयार किया है. इसके मुताबिक मंदी के शुरुआती संकेत तब मिलते हैं, जब तीन महीने का ऐवरेज अनएम्प्लोयमेंट रेट 12 महीनों के सबसे कम तीन महीने के मूविंग ऐवरेज अनएम्प्लोयमेंट से आधा प्रतिशत या उससे ज्यादा बढ़ जाए.

गोल्ड-सिल्वर भी दे रहे संकेत

आर्थिक अनिश्चितता के दौर में गोल्ड और सिल्वर को मंदी के खिलाफ हेजिंग का भरोसेमंद जरिया माना जाता रहा है. ऐतिहासिक डाटा पिछली मंदी में उनके प्रदर्शन को रेखांकित करता है, जिसमें गोल्ड में 100% तक की बढ़त दिखाई है और स्टैगफ्लेशन के दौर में सिल्वर में 300% का उछाल आया. मंदी और आर्थिक संकट के दौरान गोल्ड और सिल्वर के प्रदर्शन को नीचे टेबल में देख सकते हैं.

मंदी का दौरगोल्ड का प्रदर्शन सिल्वर का प्रदर्शन
ग्रेट डिप्रेशन (1929 to 1939)69%50%
स्टैगफ्लेशन (1973-1975)100%300%
2000 की शुरुआती मंदी 60%25%
महामंदी (2008-09)100%29%
COVID-19 मंदी33%39%

सेंट्रल बैंक की गोल्ड खरीद

दुनियाभर के सेंट्रल बैंक 2024 में जमकर गोल्ड खरीदारी करते दिखे. भारतीय रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक करीब 37 टन गोल्ड खरीदा है. इसी तरह चीन के सेंट्रल बैंक ने भी इस साल 27 टन गोल्ड खरीदा. इसके अलावा भी दुनिया के तमाम देशों के सेंट्रल बैंकों ने इस साल जमकर गोल्ड खरीदा है.

हालात वाकई अच्छे नहीं

स्मॉलकेस के फाउंडर उज्ज्वल कुमार कहते हैं, यह कहना मुश्किल है कि अमेरिका में मंदी कब आएगी, लेकिन डाटा से लगता है कि हालात उतने अच्छे नहीं दिख रहे हैं. कई डाटा पॉइंट हैं, जो चिंता खड़ी करते हैं. इन डाटा पॉइंट को सावधानीपूर्वक ट्रैक करने की जरूरत है.

सावधान रहें निवेशक

उज्ज्वल कुमार कहते हैं कि मौजूदा स्थिति में निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो के लिए बहुत संतुलित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. फिलहाल इन्वेस्टर्स को मूमेंटम के बजाय वैल्यू पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. क्योंकि, जब अमेरिका में संभावित मंदी पर और स्पष्टता आएगी, गोल्ड और सिल्वर के अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है. इस तरह इनमें पोजीशन लेना इक्विटी के खिलाफ हेजिंग के रूप में काम कर सकता है.