अमेरिका ने BARC समेत 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं को ‘एंटिटी लिस्ट’ से हटाया, जानिए क्या होगा फायदा

अमेरिका ने भारत की तीन एटॉमिक संस्थाओं को एंटिटी लिस्ट से बाहर कर दिया है. इसमें भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, इंदिरा गांधी एटॉमिक रिसर्च सेंटर और इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड शामिल हैं. अमेरिका के इस कदम से दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग के लिए नए रास्ते खुल गए हैं.

अमेरिका ने BARC समेत तीन भारतीय संस्थानों से हटाया प्रतिबंध Image Credit:

India-USA Nuclear Agreement:अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपने कार्यकाल के अंतिम हफ्तों में भारत के लिए बड़ी राहत दी है. यह राहत दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग को बढ़ावा देने को लेकर है. दरअसल, अमेरिका ने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC), इंदिरा गांधी एटॉमिक रिसर्च सेंटर (IGCAR) और इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) से अपने प्रतिबंध हटा लिए हैं. अमेरिका ने इन तीनों भारतीय परमाणु संस्थानों को एंटिटी लिस्ट से बाहर कर दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग के लिए नए रास्ते खुल गए हैं.

क्या है ‘एंटिटी लिस्ट’ का मतलब?

एंटिटी लिस्ट का उपयोग अमेरिका उन संगठनों के साथ व्यापार को रोकने के लिए करता है, जिन्हें वह अपनी सुरक्षा और विदेश नीति के लिहाज से खतरा समझता है. इसे अमेरिका के वाणिज्य विभाग द्वारा तैयार किया जाता है. इसका उद्देश्य आतंकवाद, हथियारों के विनाश (WMD) कार्यक्रमों या अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के विपरीत गतिविधियों को रोकना है.

भारत-अमेरिका साझेदारी को मिलेगा बढ़ावा

एंटिटी लिस्ट से हटाने के बाद अमेरिकी वाणिज्य विभाग के प्रधान उप सहायक सचिव मैथ्यू बोर्मन ने कहा, “इन भारतीय संस्थाओं को हटाने से अमेरिका और भारत के बीच महत्वपूर्ण खनिज और स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति नेटवर्क को बढ़ाने में मदद मिलेगी. साथ ही दोनों देशों के आपसी संबंधों को मजबूती मिलेगी. उन्होंने कहा कि अमेरिका का यह कदम अमेरिका-भारत साझेदारी को रणनीतिक रूप से एक नई दिशा देगा.

पहले ही मिल चुका था संकेत

दरअसल, 6 जनवरी को आईआईटी-दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने संकेत दिया था कि अमेरिका भारत के साथ सिविल न्यूक्लियर कोऑपरेशन में आने वाली बाधाओं को हटाने का प्रयास करेगा. उन्होंने कहा, “हम अब उन पुराने नियमों को हटाने की प्रक्रिया में हैं, जो भारत की प्रमुख परमाणु संस्थाओं और अमेरिकी कंपनियों के बीच सहयोग को रोक रहे थे.”

क्यों है यह कदम महत्वपूर्ण?

यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का प्रशासन भारत के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. यह कदम 2008 के भारत-अमेरिका नागरिक परमाणु समझौते को लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, जो अब तक पूरी तरह से साकार नहीं हो पाया था. इस फैसले के बाद भारत और अमेरिका के बीच वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे स्वच्छ ऊर्जा और अन्य उन्नत प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में नई संभावनाएं खुलेंगी.