अमेरिका में भारतीय छात्रों को एक और झटका, नहीं मिलेगी स्कॉलरशिप, हजारों की पढ़ाई अटकी

अमेरिका ने फुलब्राइट और अन्य स्कॉलरशिप की फंडिंग पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. इस कदम से हजारों भारतीय छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. यह फैसला गरीब लेकिन होनहार छात्रों के लिए बड़ा झटका है. इस कदम से रिसर्च करने वाले सोशल साइंस के छात्रों और नौकरीपेशा लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

अमेरिका में भारतीय छात्रों को एक और झटका Image Credit: Money 9

America Stops Funding Scholarships: अमेरिका लगातार कड़े कदम उठा रहा है. इसी कड़ी में अमेरिका ने फुलब्राइट और अन्य स्कॉलरशिप की फंडिंग पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. इस कदम से हजारों भारतीय छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. यह फैसला गरीब लेकिन होनहार छात्रों के लिए बड़ा झटका है. इससे न केवल पैसों की मदद बंद हुई, बल्कि पढ़ाई का मौका भी छिन गया. कई छात्र बीच में ही अटक गए हैं. अमेरिका सरकार का यह फैसला लंबे समय तक असर डालेगा. हर साल 350 से अधिक भारतीय छात्र फुलब्राइट से अमेरिका जाते थे. यह दोनों देशों के रिश्ते को मजबूत करता था, लेकिन अब यह रिश्ता कमजोर हो सकता है.

श्रेया मुदगिल की कहानी

ईटी की खबर के मुताबिक, श्रेया मुदगिल ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से एमफिल करने के बाद, साल 2019 में फुलब्राइट स्कॉलर बनकर अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. वहां सारी फीस माफ थी और हर महीने पैसे भी मिलते थे. यह उनके लिए सपने जैसा था. पढ़ाई के साथ-साथ उनके भीतर की हेजिटेशन भी खत्म हो गई. आज वह एक फूड स्टार्टअप में काम करती हैं और बड़े-बड़े शेफ्स के साथ उठती-बैठती हैं.

इस पर पड़ेगा असर

इस कदम से रिसर्च करने वाले सोशल साइंस के छात्रों और नौकरीपेशा लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जो छात्र बहुत अच्छे हैं, खासकर नॉन-STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स) और नॉन-MBA वाले छात्रों के लिए यह मुश्किल है. सलाहकार कहते हैं कि स्कॉलरशिप सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि सपनों का रास्ता भी होती है. अब जो छात्र अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें डर है कि उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी. ऐसे में भारत सरकार को IIT और IIM जैसी संस्थाओं में अपनी रिसर्च और स्कॉलरशिप को बढ़ाना चाहिए. इससे छात्र देश में रहकर भी आगे बढ़ सकें.

लोन से चला रहे काम

STEM के रिसर्चर्स सबसे ज्यादा परेशान हैं. बिना अमेरिकी लैब और नेटवर्क के उनकी पढ़ाई अधूरी रह जाएगी. गरीब छात्रों के लिए गिलमैन स्कॉलरशिप एकमात्र रास्ता था. वह भी अब बंद हो गई है. अब छात्रों को लोन लेना पड़ रहा है. इससे लोन की मांग 15 फीसदी बढ़ गई है और उनके ऊपर कर्ज का बोझ भी बढ़ गया है.

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