चीन से बांग्लादेश के लिए क्या लेकर लौटे मुहम्मद यूनुस? भारत से दूरी बनाने की कोशिश कहीं पड़ न जाए भारी!

Bangladesh-China: मुहम्मद यूनुस से मुलाकात के बाद, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि बीजिंग द्विपक्षीय सहयोग को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करने को तैयार है. जानकारों का कहना है कि जियो-पॉलिटिकल नजरिए से बांग्लादेश के लिए चीन का साथ प्रॉफिट के साथ रिस्क भी समेटे हुए है.

बांग्लादेश और चीन के बीच क्या हुआ करार. Image Credit: CA Press Wing of Bangladesh

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के नेता मुहम्मद यूनुस का चीन का दौरा सुर्खियों में है. मुहम्मद यूनुस के इस दौरे पर दुनियाभर की नजर थी. बांग्लादेश, चीन के साथ अपने संबंध मजबूत करने की तरफ बढ़ रहा है और भारत की नजर भी इन दोनों देशों की करीबी पर टिकी है. मुहम्मद यूनुस से मुलाकात के बाद, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि बीजिंग द्विपक्षीय सहयोग को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करने को तैयार है. बांग्लादेश में अगस्त 2024 में छात्रों के नेतृत्व में हुए विद्रोह के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद छोड़ना पड़ा था. इसके बाद मुहम्मद यूनुस बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बन गए.

2.1 अरब डॉलर चीनी निवेश

यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने मुख्य सलाहकार के पहले विदेश दौरे को शानदार सफल करार दिया है. DW में छपी रिपोर्ट के अनुसार, मुहम्मद यूनुस की ऑफिस की तरफ से बताया गया वो कि चीन से 2.1 अरब डॉलर चीनी निवेश, लोन और ग्रांट प्राप्त करके स्वदेश लौटे हैं. इसका एक बड़ा हिस्सा बांग्लादेश में चीनी औद्योगिक आर्थिक क्षेत्र (CIEZ) की स्थापना करना है, जिसमें लगभग 30 चीनी कंपनियों ने इस परियोजना के लिए 1 अरब डॉलर देने का वादा किया है. यह वादा यूनुस द्वारा बांग्लादेश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में अधिक निजी चीनी निवेश का आग्रह करने के बाद किया गया है.

आर्थिक और तकनीकी सहयोग

चीन मोंगला में बांग्लादेश के दूसरे सबसे बड़े बंदरगाह के आधुनिकीकरण के लिए 400 मिलियन डॉलर उधार देने की भी योजना बना रहा है. इसके अलावा चीन जल संसाधन प्रबंधन में सहयोग बढ़ाने पर विचार कर रहा है. चीन ने पड़ोसी म्यांमार में उत्पीड़न से भागकर वर्तमान में भीड़भाड़ वाले शरणार्थी शिविरों में रह रहे 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लाने के बांग्लादेश के प्रयास में फिर से समर्थन देने का वादा किया.

बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार के प्रेस विंग ने एक बयान में कहा कि बांग्लादेश और चीन ने शुक्रवार को आर्थिक और तकनीकी सहयोग पर एक समझौते और क्लासिक्स के अनुवाद और उत्पादन, सांस्कृतिक विरासत, न्यूज एक्सचेंज, विनिमय, मीडिया, खेल और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सहयोग पर आठ समझौता ज्ञापनों (MoU) पर हस्ताक्षर किए.

कई प्रोजेक्ट पर साथ काम करने की बात

ज्वाइंट प्रेस रिलीज के अनुसार, बांग्लादेश ने चीनी आर्थिक और औद्योगिक क्षेत्र (CIEZ) को और विकसित करने के लिए चीन के साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की. इसके अलावा बांग्लादेशी पक्ष तीस्ता नदी कंप्रिहेंसिव मैनेजमेंट एंड रिस्ट्रोशन प्रोजेक्ट में भाग लेने के लिए चीनी कंपनियों का स्वागत करता है. बैठक के दौरान मुहम्मद यूनुस और शी जिनपिंग ने व्यापार और निवेश सहित द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की.

बांग्लादेश के लिए के लाभ में छिपा है रिस्क

जानकारों का कहना है कि जियो-पॉलिटिकल नजरिए से बांग्लादेश के लिए चीन का साथ प्रॉफिट के साथ रिस्क भी समेटे हुए है. चीन के करीब जाकर बांग्लादेश से भारत पर से अपनी निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि अपने पड़ोसी देश के साथ उसके संबंध में खटास आने लगी है. साथ ही वो अपने पर से अमेरिकी प्रभाव को भी कम करने की कोशिश कर रहा है. क्योंकि अमेरिका की विदेश नीति राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा व्हाइट हाउस लौटने के बाद अधिक अविश्वसनीय हो गई है.

भारत करता रहा है विरोध

हालांकि, चीन का बांग्लादेश के करीब आना रणनीतिक रूप से भारत को सोचने के लिए मजबूर करने वाला है. क्योंकि बीजिंग जितना करीब ढाका के आएगा, वो उतना ही भारतीय सीमा के नजदीक भी पहुंचेगा. मोंगला बंदरगाह के आधुनिकीकरण या संभावित रूप से तीस्ता नदी परियोजना जैसे क्षेत्रों में चीन के साथ सहयोग को मजबूत करना, चीन के बेल्ट एंड रोड पहल बांग्लादेश इंटीग्रेशन को मजबूत करेगा. यह एक ऐसी पहल है, जिसका विरोध भारत ने लगातार किया है.

चीन की दोस्ती दोधारी तलवार

बांग्लादेशी कपड़ों के लिए चीन अपने बाजार खोल सकता है. इसके अलाव चमड़े और अन्य उत्पादों को भी चीन के बाजार में एंट्री मिल सकती है. लेकिन चीन की दोस्ती दोधारी तलवार की तरह नजर आती है. एक्सपर्ट के अनुसार, चीन का निवेश और आर्थिक जुड़ाव आमतौर पर सामाजिक और पर्यावरणीय मानकों को लगभग नजरअंदाज करता है. इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में गंभीर पर्यावरणीय जोखिम हो सकते हैं, जो आगे चलकर बांग्लादेश के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं.

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