यूएस फेड के विपरीत ब्रिटिश सेंट्रल बैंक ने नहीं घटाई ब्याज दर, समझें इसके मायने और भारत पर असर
कल यूएस फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में 25 की जगह 50 आधार अंक की कटौती कर चौंकाया था. आज बैंक ऑफ इंग्लैंड ने अमेरिका में कटौती के बावजूद ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला कर चौंकाया है. आइए जानते हैं इंग्लैंड के फैसले का असर भारत पर किस तरह पड़ सकता है.
ब्रिटेन को राजनीतिक और आर्थिक तौर पर अमेरिका के पीछे-पीछे चलने वाला देश माना जाता है. अक्सर ब्रिटेन में यूएस फेडरल बैंक के नीतिगत फैसलों के मुताबिक ही मौद्रिक दरों में बदलाव किए जाते हैं. लेकिन, जटिल होती वैश्विक अर्थव्यवस्था में ब्रिटिश सेंट्रल बैंक ने अमेरिका का पिछलग्गू बने रहने के बजाय अपनी राह खुद चुनने का फैसला किया है. गुरुवार को ब्रिटिश सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में किसी भी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला किया है. फिलहाल, ब्रिटेन में ब्याज दर 5 फीसदी पर बनी रहेगी.
बैंक ऑफ इंग्लैंड (BoE) ने गुरुवार को जारी वक्तव्य मे कहा, सितंबर की नीतिगत बैठक के बाद ब्याज दर को 5% पर ही बनाए रखने का फैसला किया गया है. यही ब्रिटिश अर्थव्यवस्था के लिए अपेक्षित था. इसके साथ ही BoE ने कहा कि अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025 के दौरान गिल्ट के स्टॉक को 100 अरब ब्रिटिश पाउंड तक कम करेगा. इसके अलावा मौजूदा वित्त वर्ष के तीसरे क्वार्टर के लिए GDP का पूर्वानुमान 0.3% लगाया गया है. मौद्रिक समिति के 8 सदस्यों ने विचार विमर्श के दौरान मुद्रास्फीति की निरंतरता पर विचारों में विविधता दिखाई, लेकिन दर में कटौती नहीं करने के फैसले पर बहुमत की सहमति बनी.
क्यों नहीं घटाया गई ब्याज दर
वक्तव्य में कहा गया कि दरों में बहुत तेजी या बहुत कटौती नहीं करने बजाय सावधान रहना चुना गया है. इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा गया कि मौजूदा वित्त वर्ष के चौथे क्वार्टर में मुद्रास्फीति बढ़कर लगभग 2.5% हो सकती है. मौद्रिक समिति के ज्यादातर सदस्य इस बात पर सहमत हैं कि दर में कटौती के लिए क्रमिक दृष्टिकोण अपनाया जाना ही उचित होगा. खासतौर पर महंगाई को ध्यान में रखकर मौद्रिक नीति को लंबे समय तक सतर्ककता के साथ संतुलित बनाए रखने की जरूरत है.
कैसी रही ब्रिटिश बाजार की प्रतिक्रिया
BoE की नीति घोषणाओं पर तत्काल प्रतिक्रिया के साथ पाउंड स्टर्लिंग ने मजबूती दिखाई है. डॉलर की तुलना में यह मार्च 2022 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहा था, जो 1.3300 से थोड़ा ऊपर था. फैसला आने के समय तक ब्रिटेन का बेंचमार्क इंडेक्स एफटीएसई 100 बंद हो चुका था. दिनभर के कारोबार के बाद यह 75.04 अंक की बढ़त के साथ 8,328.72 के स्तर पर बंद हुआ.
भारत पर क्या होगा असर
बैंक ऑफ इंग्लैंड के इस नीतिगत फैसले का भारतीय अर्थव्यवस्था, बाजार और मौद्रिक नीति पर कोई खास प्रत्यक्ष असर तो नहीं पड़ता दिखता है. हालांकि, इस फैसले से भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी मौद्रिक नीति को स्वतंत्र बनाए रखने के लिए मनोवैज्ञानिक समर्थन मिलेगा. भारत में अगले महीने मौद्रिक समिति की बैठक होनी है. लगातार रिजर्व बैंक पर इस बात को लेकर दबाव है कि ब्याज दरों में कटौती की जाए, क्योंकि देश में महंगाई भी 4 फीसदी से नीचे है. हालांकि, पिछले दिनों में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत में जल्द कटौती नहीं किए जाने के संकेत दिए थे. लेकिन, बुधवार को यूएस फेडरल बैंक की तरफ से बड़ी कटौती के बाद फिर से रिजर्व बैंक पर यह दबाव बनने लगा था कि भारत में भी दर कम की जाए. लेकिन, बैंक ऑफ इंग्लैंड के फैसले से रिजर्व बैंक को अपनी स्वतंत्र नीति पर कायम रहने में मदद मिलगी.
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