Bank of Japan: बैंक ऑफ जापान ने ब्याज दर 0.25% से बढ़ाकर 0.5% किया, कर्ज हुआ महंगा बताई ये वजह
बैंक ऑफ जापान (BOJ) ने 24 जनवरी को एक बड़ा कदम उठाते हुए प्रमुख ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. बैंक ने ब्याज दर को 0.25% से बढ़ाकर 0.5% कर दिया गया है. बैंक ने इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण देश में बढ़ती महंगाई और मजदूरी में हो रही बढ़ोतरी को बताया है.
Bank of Japan: जापान के केंद्रीय बैंक ने हाई इन्फ्लेशन और ज्यादा मजदूरी का हवाला देते हुए एक बड़ा कदम उठाया है. दरअसल, बैंक ऑफ जापान ने 24 जनवरी को प्रमुख ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. यह बढ़ोतरी 0.25 फीसदी से बढ़कर 0.5 फीसदी कर दी है. केंद्रीय बैंक का कहना है कि इस ब्याज दर की बढ़ोतरी का कारण जापान में बढ़ती महंगाई है. वहीं, बैंक ऑफ जापान के गवर्नर काजुओ उएदा ने इस बात का भी संकेत दिया है कि इन ब्याज दरों में फ्यूचर में और बढ़ोतरी हो सकती है.
होगी अर्थव्यवस्था में सुधार
बैंक ने यह फैसला टोक्यो में आयोजित दो दिवसीय नीति बोर्ड की बैठक के बाद लिया. फिलहाल में जापान में महंगाई दर 2 फीसदी के करीब है, जो वहां के केंद्रीय बैंक के टार्गेट के अनुरूप है. बैंक का उद्देश्य इंटरेस्ट रेट को स्थिर बनाए रखना है ताकि देश की अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिल सके. साथ ही, बैंक ऑफ जापान यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि मजदूरी में अत्यधिक बढ़ोतरी पर कंट्रोल रखा जाए. दरअसल एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जापान में फिलहाल वर्कर्स को अच्छी सैलरी मिल रही है, जिससे महंगाई और मांग में बढ़ोतरी रही है.
17 साल बाद ब्याज दरों में बदलाव
बैंक ऑफ जापान ने मार्च 2024 में 17 सालों में पहली बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी. इससे पहले बैंक नकारात्मक ब्याज दर नीति (Negative Interest Rate Policy) पर काम कर रहा था, जहां बॉरोइंग रेट शून्य से नीचे थीं. जापान के इस तरह के मॉनेटरी पॉलिसी का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को डिफ्लेशन की प्रवृत्तियों से उबारना और विकास को बढ़ावा देना था.
डिफ्लेशन से होता है अर्थव्यवस्था को नुकसान
डिफ्लेशन (Deflation) की स्थिति में विकास रुक जाता है क्योंकि बैंक कंपनियों को कम लोन देते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि कंपनियां इन्वेस्टमेंट कम कर देती है और कर्मचारियों की सैलरी में कटौती करने लगती हैं. सैलरी में कटौती से कंज्यूमर खर्च करना कम कर देता है, जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो जाती है.
हालांकि, जापान की स्थिति अमेरिकी फेडरल रिजर्व और यूरोपीय सेंट्रल बैंक से अलग है. क्योंकि इन बैंकों ने महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की और बाद में उसे घटा दिया. वहीं, जापान का सेंट्रल बैंक फिलहाल ढीली मौद्रिक नीति बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है ताकि अर्थव्यवस्था को मजबूती दी जा सके.