कनाडा लेता है भारत से पंगा, लेकिन अपने लोगों का पेट भी नहीं भर पा रहा, इस रिपोर्ट में सामने आया सच

आए दिन बात-बात पर भारत से पंगा लेने वाले कनाडा को दुनिया के सबसे अमीर देशों में शामिल किया जाता है. जी-7 जैसे बड़े और प्रतिष्ठित समूह का हिस्सा ये देश असल में अंदर ही अंदर कमजोर हो रहा है. इसकी यह हकीकत who's hungry report में सामने आई है. जानते हैं इस रिपोर्ट में और क्या बताया गया है.

कनाडा का एक बेघर परिवार Image Credit: Ascent/PKS Media Inc./Stone/Getty Images

कनाडा क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. इसके अलावा प्राकृतिक संसाधनों के लिहाज से भी धनी है. दुनिया की सात सबसे उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी-7 में शामिल होने की प्रतिष्ठा रखता है. लेकिन, बात-बात पर भारत से झगड़ा करने वाले इस देश की अंदरूनी हालत खराब है.

यहां के आम लोग महंगे घर, महंगे कर्ज और महंगे खाने से त्रस्त हैं. हालात ऐसे हैं कि तमाम संसाधन और दौलत रखने वाले इस देश के लाखों लोगों को दो वक्त का खाना भी नहीं मिल पा रहा है. कानाडा की यह दुखद सच्चाईडेली ब्रेड फूड बैंक और नॉर्थ यॉर्क हार्वेस्ट फूड बैंक की तरफ से जारी who’s hungry report 2024 में सामने आई है.

क्या कहा गया रिपोर्ट में

रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा के टोरंटो में 10 से दो लोग खाने के लिए फूड बैंकों पर निर्भर हैं. कनाडा में फूड बैंक से खाना मांगकर खाने वालों की तादाद में साल-दर-साल आधार पर 36% की भारी वृद्धि हुई है. डेली ब्रेड फ़ूड बैंक के मुताबिक पिछले साल टोरंटो में फूड बैंकों में 34.9 लाख से ज्यादा लोगों भोजन की मांग की थी. यह संख्या सालाना आधार पर 10 लाख ज्यादा है. इसके अलावा कोविड महामारी की तुलना में फूड बैंक से खाना मांगने वालों की संख्या में 273% की बढ़ोतरी हुई है.

हर चार में से एक भूखा

कनाडा में भुखमरी के हालात को बयां करने वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई और दूसरे कारणों से टोरंटो के 24.9% से ज्यादा परिवार खाद्य असुरक्षा से प्रभावित हैं. इसके अलावा फूड बैंक आने वाले हर 3 में से 1 व्यक्ति को दिन में एक बार भी खाना नहीं मिलता है, जबकि 50% ऐसे होते हैं, जिन्हें एक वक्त का खाना मिल पाता है.

कनाडा में बढ़ रही गरीबी

कनाडा में गरीबी को दर्शाने वाले एक आधिकारिक पोर्टल के डैशबोर्ड से पता चलता है कि वहां 2015 से 2020 तक गरीबी के स्तर में गिरावट आई थी, लेकिन 2021 से इसमें वृद्धि हो रही है. 2022 तक यह 9.9% पहुंच गई है. टोरंटो में स्थिति और भी गंभीर है, जहां 2022 तक 8 में से 1 व्यक्ति यानी कुल जनसंख्या का करीब 12.6% तबका गरीबी में जी रह रहा है.

गरीबी रेखा से नीचे वालों की तादाद बढ़ी

पिछले वर्ष की तुलना में 2023-24 में कानाडा में गरीबी में 34% की वृद्धि हुई है. इस दौरान गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों की संख्या में भी 38.9% फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. जबकि, खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाले कनाडाई लोगों की तादाद 31% बढ़ गई है. रिपोर्ट कहती है कि तमाम संकेत हैं, जिनसे पता चलता है कि बड़ी संख्या में कनाडाई लोग गरीबी में फंस रहे हैं.