चीन ने WTO में दी अमेरिका को चुनौती, दोनों देशों के बीच गहराया ट्रेड वॉर
अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव एक नए मुकाम पर पहुंच गया है. चीन ने अमेरिका के हालिया फैसले को अनुचित बताते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन कहा है.
अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर बढ़ गया है. चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए नए टैरिफ को अनुचित करार देते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में मुकदमा दायर करने की घोषणा की है. इस कदम से दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में और कड़वाहट आने की संभावना है.
ट्रंप का टैरिफ आदेश और चीन का मुकदमा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक आदेश जारी कर कनाडा और मैक्सिको से इंपोर्ट की जा रही चीजों पर पर 25 फीसदी टैरिफ और चीन से इंपोर्ट किए जा रहे सामानों पर 10 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की है. यह नया टैरिफ मंगलवार से लागू होगा. अमेरिका का कहना है कि यह कदम मैक्सिको, कनाडा और चीन को उनकी प्रतिबद्धताओं का पालन कराने के लिए उठाया गया है जिनमें अवैध आप्रवासन रोकने और खतरनाक ड्रग्स की तस्करी पर लगाम लगाना शामिल है.
चीन के वाणिज्य मंत्रालय (China Commerce Ministry) ने अमेरिका के इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए इसे WTO के नियमों का गंभीर उल्लंघन करार दिया है. चीन का कहना है कि यह टैरिफ न केवल व्यापारिक नियमों का उल्लंघन करता है बल्कि द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को भी नुकसान पहुंचाएगा. चीन ने अमेरिका से खुले संवाद और सहयोग को मजबूत करने की अपील की है.
ड्रग्स तस्करी को लेकर आरोप-प्रत्यारोप
व्हाइट हाउस के अनुसार, अमेरिका का यह कदम चीन, मैक्सिको और कनाडा को अवैध ड्रग्स की तस्करी रोकने और मनी लॉन्ड्रिंग पर नियंत्रण करने के लिए मजबूर करने के लिए उठाया गया है. अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि चीनी प्रशासन आवश्यक कदम उठाने में विफल रहा है जिससे आपराधिक संगठनों को लाभ हो रहा है.
चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अतिरिक्त टैरिफ लगाने से भविष्य में नशीली दवाओं पर नियंत्रण को लेकर होने वाले सहयोग को नुकसान पहुंचेगा. सरकारी समाचार एजेंसी Xinhua के मुताबिक, अमेरिकी संरक्षणवादी नीतियों का घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक विरोध हो रहा है.
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चीन ने स्पष्ट किया कि ट्रेड वॉर या टैरिफ वॉर में कोई विजेता नहीं होता और अमेरिका को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए. अब देखना यह होगा कि WTO में इस मामले का निपटारा कैसे होता है और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों पर इसका क्या असर पड़ता है.