चीन में बढ़ते ‘डिफ्लेशन’ से जूझ रही अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी और मंदी का खतरा बढ़ा
सितंबर में चीन की महंगाई दर में मामूली सुधार हुआ, लेकिन फैक्ट्री उत्पादन की कीमतों में गिरावट का सिलसिला जारी है. घटती महंगाई चीन की इकॉनमी के लिए घातक है...
हाल के दिनों में चीन ने अपने नीतियों में कई बदलाव किए जिसके कारण विदेशी निवेशकों ने चीनी बाजार में इंटरेस्ट दिखाया. चीन की अर्थव्यवस्था की रेलगाड़ी सही चल ही रही थी कि एक खबर ने गाड़ी को फिर से पटरी से उतार दिया. चीन में डिफ्लेशन तेजी से बढ़ रहा है. चीन में घटती मंहगाई उनके अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो रही है.
यूं तो घटती मंहगाई आम तौर पर लोगों के लिए राहत वाली खबर होती है लेकिन चीन के लिए यह खबर नए संकट लेकर आई है. मंहगाई दर का लगातार घटना यानी लोग बाजार में अपना पैसा इन्वेस्ट नहीं कर रहे हैं. ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था धीमी हो जाती है और बाजार छोटा होते जाता है. चीन में घटती महंगाई से अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ता जा रहा है. इसकी इस हालत के पीछे कई कारण है लेकिन सबसे बड़ा कारण कमजोर घरेलू डिमांड हैं.
फैक्ट्री प्रोडक्शन की कीमत दो साल से ढलान पर
सितंबर में देश के उपभोक्ता कीमतों में मामूली बढ़त दर्ज की गई, लेकिन फैक्ट्री उत्पादन की कीमतों में गिरावट का सिलसिला थमा नहीं.नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के आंकड़ों के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पिछले साल की तुलना में 0.4% बढ़ा लेकिन यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से ताजा सब्जियों की कीमतों में उछाल के कारण हुई.
फैक्ट्री प्रोडक्शन की कीमतें 24 महीने से लगातार गिर रही हैं जो डमाडोल अर्थव्यवस्था में आग में घी डालने का काम कर रही हैं. सितंबर महीने में फैक्ट्री प्रोडक्शन की कीमत में 2.8% की गिरावट दर्ज की गई थी.
सब्जियों की कीमतों में भारी उछाल
सितंबर में कुल खाद्य महंगाई दर 3.3% तक पहुंच गई जबकि ताजा सब्जियों की कीमतों में 22.9% का उछाल देखा गया. अगस्त में यह आंकड़ा 21.8% था. मौसम की प्रतिकूलता और चीन में सप्ताह भर की छुट्टियों से पहले बढ़ी हुई मांग ने सब्जियों और फलों की कीमतों में वृद्धि की है. ताजा सब्जियों की कीमतों में इस बढ़ोतरी ने महंगाई में 0.48% का योगदान दिया.
मांग में कमी और आर्थिक चुनौतियां
यह आंकड़े बताते हैं कि घरेलू मांग में कमजोरी बनी हुई है. नीति-निर्माताओं ने सितंबर के अंत में कई प्रोत्साहन योजनाएं शुरू कीं, लेकिन चीन 1990 के दशक से अब तक की सबसे लंबी अवधि की गिरावट का सामना कर रहा है. व्यापक आर्थिक कीमतों का इंडेक्स लगातार पांच तिमाहियों से गिर रहा है, और यह सिलसिला तक जारी रहने की संभावना है.
मंदी का जोखिम
कमजोर उपभोक्ता खर्च और उत्पादन में तेज वृद्धि के वजह से इलेक्ट्रिक वाहन और सोलर जैसे सेक्टर में समान की बिक्री को लेकर कॉम्पटिशन तेज हो गया है. वाहनों की कीमतों में 5.3% की गिरावट आई है जबकि कार निर्माताओं की बिक्री कीमतों में 2.3% की कमी देखी गई है. कीमतों में गिरावट से अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बढ़ते जा रहा है. क्योंकि अगर यह रफ्तार बनी रही तो इससे खर्च और निवेश में और कमी हो सकती है, जिससे आर्थिक वृद्धि धीमी हो सकती है और देश में बेरोजगारी बढ़ सकती है.