डोनाल्ड ट्रंप ने बढ़ाई भारतीय छात्रों की मुश्किलें, पार्ट-टाइम जॉब छोड़ने पर मजबूर; जांच का करना पड़ रहा सामना
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से अमेरिका में रह रहे भारतीय छात्रों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि कई भारतीय छात्र, जो पहले पढ़ाई के दौरान पार्ट-टाइम जॉब करते थे, अब उन्हें जॉब छोड़नी पड़ रही है. वर्कप्लेस पर बढ़ती सख्ती और डिपोर्ट करने की धमकियों की वजह से वे जॉब छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी ने अमेरिका में रह रहे भारतीय छात्रों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. दशकों से बेहतर शिक्षा और अधिक सैलरी की तलाश करने वाले भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका संभावनाओं की धरती बना रहा है. हालांकि, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के तहत सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी के कारण कई छात्रों का अमेरिका जाने का सपना चुनौती बनता जा रहा है.
ट्रंप प्रशासन के दौरान वीजा रिजेक्शन की बढ़ती घटनाओं, वर्कप्लेस पर सख्त जांच और वर्क परमिट को लेकर बनी अनिश्चितता के कारण कई भारतीय छात्र अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं. इसके अलावा, कई छात्र राष्ट्रपति ट्रंप की डिपोर्टेशन संबंधी सख्त नीतियों के चलते अपनी पार्ट-टाइम नौकरियां छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं.
वीजा में परेशानी
पिछले एक साल में भारतीय छात्रों को जारी किए जाने वाले F-1 छात्र वीजा की संख्या में गिरावट आई है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी से सितंबर 2024 के बीच 64,008 भारतीय छात्रों को वीजा जारी किया गया, जो 2023 की इसी अवधि के दौरान जारी किए गए 1,03,495 वीजा की तुलना में 38 फीसदी कम है. महामारी (कोविड) के बाद छात्रों के नामांकन में उछाल देखने को मिला था, लेकिन अब यह पहली बार है जब आंकड़ों में इतनी बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.
सिकुड़ते जॉब मार्केट को लेकर भी छात्र चिंतित हैं, जो अब स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दे रहा है. ट्रंप की नई इमिग्रेशन पॉलिसी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के अवसर सीमित कर रही है. छात्रों का कहना है कि ट्रंप के सत्ता में लौटने के बाद लोकलाइजेशन पर उनके जोर ने कंपनियों के लिए वीजा स्पॉन्सरशिप को और कठिन बना दिया है.
क्लीवलैंड, ओहियो में रहने वाली साई अपर्णा ने द हिंदू को बताया, “नौकरियां मिलना बहुत मुश्किल हो गया है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि हालात इतने खराब हो सकते हैं.” अपर्णा, जिन्होंने अमेरिका से इन्फॉर्मेशन सिस्टम में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है, पिछले एक साल से सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश कर रही हैं, लेकिन अब तक उन्हें सफलता नहीं मिली.
वर्कप्लेस पर बढ़ी जांच
अमेरिका में पढ़ रहे कई भारतीय छात्रों ने लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों की बढ़ती जांच को लेकर चिंता जताई है. छात्रों का कहना है कि “वर्दीधारी अधिकारी” उनके वर्कप्लेस पर आकर पहचान-पत्र या कार्य प्राधिकरण दस्तावेजों की मांग कर रहे हैं, खासतौर पर उन छात्रों से जो ऑप्शनल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (OPT) वीजा पर हैं.
OPT, जो शुरू में कॉलेज के बाद एक वर्ष के लिए दिया जाता है, छात्रों को सीमित अवधि तक काम करने की अनुमति देता है. F-1 वीजा वाले छात्रों को कैंपस में नौकरी करने के लिए सप्ताह में केवल 20 घंटे तक काम करने की अनुमति होती है. हाल ही में, कैंपस के बाहर पार्ट-टाइम नौकरियों पर लगाए गए प्रतिबंधों से अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भारी नुकसान हुआ है.
यह भी पढ़े: वादा पूरा करने के लिए भाजपा को चाहिए कम से कम 40000 करोड़, जानें कैसी है दिल्ली के खजाने की सेहत
छात्र दे रहे इस्तीफा
अटलांटा में साइबर सिक्योरिटी में मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहे एक भारतीय छात्र ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “पिछले हफ्ते अधिकारी उस रेस्टोरेंट में आए, जहां मैं कॉलेज के बाद हर दिन छह घंटे काम करता था. उन्होंने कर्मचारियों से पूछताछ की और मुझसे कॉलेज आईडी मांगी. सौभाग्य से, मैं उस समय शौचालय से बाहर आ रहा था, तो मैंने कहा कि मैं बस इसका इस्तेमाल करने आया था. मेरे मालिक ने भी मेरा समर्थन किया. लेकिन यह अनुभव इतना डरावना था कि मैंने अगले ही दिन इस्तीफा दे दिया.”
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के छात्र इनामुडी प्रशांत ने द हिंदू को बताया, “हम कोई जोखिम नहीं उठा सकते, क्योंकि ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट) अधिकारी हर समय हमारी तलाश में रहते हैं और किसी भी बहाने को सुनने के मूड में नहीं होते. विश्वविद्यालय परिसर के बाहर काम खोजने की कोई भी कोशिश हमें भारी संकट में डाल सकती है और हमें डिपोर्ट किया जा सकता है.”