अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस को सम्मानित करने पर मचा बवाल, एलन मस्क ने कहा- ये त्रासदी है
जॉर्ज सोरोस को सम्मानित करने का फैसला अमेरिकी राजनीति में मतभेद को और गहरा कर रहा है. एक ओर उनके योगदान को सराहा जा रहा है, तो दूसरी ओर उनके आलोचक इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे हैं.
शनिवार यानी 04 जनवरी को राष्ट्रपति बाइडन ने प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम के 2025 के विजेताओं की घोषणा की. इसमें 19 प्रमुख हस्तियों को शामिल किया गया, जिन्होंने राजनीति, परोपकार, खेल और कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है. जॉर्ज सोरोस, जो ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के संस्थापक हैं, को “लोकतंत्र, मानवाधिकार, शिक्षा और सामाजिक न्याय को मजबूत करने की वैश्विक पहलों” के लिए सम्मानित किया गया. लेकिन जॉर्ज सोरोस को अवॉर्ड लिस्ट में शामिल करना अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए मुश्किलों की वजह बन गया है.
एलन मस्क समेत कई नेता फैसले से नाराज
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने बाइडन की कड़ी आलोचना करते हुए जॉर्ज सोरोस को अमेरिका के सर्वोच्च नागरिक सम्मान,’प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम’ से सम्मानित किए जाने को “अनुचित” करार दिया है. मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “बाइडन का सोरोस को मेडल ऑफ फ्रीडम देना एक त्रासदी है.” एलन मस्क ने एक्स पर पोस्ट के जरिए ये नाराजगी जाहिर की है.
एलन मस्क के अलावा सरकार के इस फैसले से कई दूसरे पार्टी के समर्थक भी नाराज हैं. सोरोस को सम्मानित करने के फैसले पर रिपब्लिकन पार्टी और “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” (MAGA) समर्थकों ने राष्ट्रपति बाइडन की आलोचना की है. रिपब्लिकन नेता निक्की हेली ने कहा, “यह फैसला अमेरिका के चेहरे पर एक और तमाचा हैय 16 दिन बाकी हैं. अब बाइडन और क्या कर सकते हैं?”
मोंटाना के सीनेटर टिम शीही ने भी सोरोस पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपराधियों का समर्थन करने वाले राजनेताओं के चुनाव के लिए लाखों डॉलर खर्च किए, जिससे अमेरिका के प्रमुख शहरों में अपराध बढ़ा.
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कौन हैं जॉर्ज सोरोस?
94 वर्षीय जॉर्ज सोरोस एक अरबपति निवेशक और अपने समाजिक कामों के लिए सुर्खियों में बने रहे हैं. सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के जरिए लोकतांत्रिक संस्थानों, मानवाधिकारों और शिक्षा को समर्थन देने के लिए जाने जाते हैं. हालांकि, उनके आलोचकों का मानना है कि उनके राजनीतिक योगदान लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करते हैं. हाल ही में उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तीखी टिप्पणी की थी, जिसे भारतीय सत्तारूढ़ दल ने विदेशी हस्तक्षेप करार दिया था.