क्या बिकने वाला है Google Chrome, बिग साइज बना जी का जंजाल!

Google पर अमेरिका में बड़े-बड़े आरोप लगे हैं. ये आरोप इतने बड़े हैं कि सरकार अदालत से गूगल को अपना ब्राउजर गूगल क्रोम बेचने के लिए मजबूर कर सकती है. क्या है पूरा मामला, यहां जानें...

गूगल क्रोम को बेचने पर मजबूर करेगा अमेरिका? Image Credit: Canva

मोबाइल हो या लैपटॉप ब्राउजिंग के सबसे ज्यादा गूगल क्रोम का इस्तेमाल होता है. लेकिन सोमवार को ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिकी सरकार अदालत से Google की पैरेंट कंपनी Alphabet को मजबूर करेगा कि वह अपना Chrome Browser बेच दे. सरकार का यह कदम Google पर एंटीट्रस्ट नियमों को तोड़ने के आरोपों के तहत उठाया जा रहा है. क्या हैं आरोप? और क्या वाकई में बिक सकता है गूगल क्रोम?

गूगल पर क्या लगे आरोप?

अमेरिकी न्याय विभाग यानी DOJ ने अक्टूबर में कहा था कि Google अवैध तरीके से एकाधिकार यानी मोनोपॉली चला रहा है. अदालत में यह बात सामने आई कि Google ने अपने कारोबार को इस तरह चलाया जिससे प्रतिस्पर्धा खत्म हो गई.

DOJ ने गूगल के कामकाज में बदलाव की मांग की है. इसका मतलब है कि Google को अपनी संपत्तियों का बंटवारा करना पड़ सकता है. DOJ क्रोम ब्राउजर या Android ऑपरेटिंग सिस्टम को बेचने का आदेश भी दे सकता है.

अगर यह आदेश आता है, तो यह अमेरिकी सरकार के लिए एक बड़ा कदम होगा. सरकार ने पिछली बार Microsoft को दो दशकों पहले तोड़ने की कोशिश की थी, जो सफल नहीं रही थी.

Google ने क्या कहा?

गूगल ने इस कदम को “कट्टरपंथी” बताया है. एक इंडस्ट्री ग्रुप चेंबर ऑफ प्रोग्रेस के CEO Adam Kovacevich ने ऐसी मांग को कानूनी मानकों के खिलाफ” बताया. उनका मानना है कि DOJ को Google की समस्याओं को हल करने के लिए सटीक और सीमित उपाय अपनाने चाहिए.

क्या है पूरा मामला?

अमेरिकी सरकार के आरोपों के मुताबिक:

  • 2020 में Google ने अमेरिका के ऑनलाइन सर्च मार्केट का 90 फीसदी कंट्रोल किया था. मोबाइल डिवाइस में इसका हिस्सा 95 फीसदी था.
  • Google ने Apple और कई स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों के साथ गुप्त समझौते किए. इन डील्स में गूगल ने इन्हें मोटी रकम दी ताकि Google का सर्च हर स्मार्टफोन में पहले से ही डिफॉल्ट रूप में डला रहे.
  • इस एक्सक्लूसिव एक्सेस ने Google को यूजर डेटा का एक बड़ा हिस्सा दिया, जिससे इसका सर्च इंजन और ज्यादा ताकतवर बना.

इसी ताकत का इस्तेमाल करके Google ने क्रोम ब्राउजर, Google Maps और Android ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे प्रोडक्ट्स में अपना दबदबा बनाया.

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अब क्या करना चाहता है अमेरिका?

Google को अपने सर्च डेटा को प्रतिस्पर्धियों के साथ शेयर करने के लिए मजबूर किया जा सकता है. Android ऑपरेटिंग सिस्टम को Google की बाकी सर्विसेस को अलग किया जा सकता है. मसलन एंड्रॉइड फोन बिना गूगल क्रोम, मैप्स सर्च और प्ले स्टोर के आ सकता है. इसके अलावा Google की AI सर्विस किसी भी वेबसाइट का डेटा बिना इजाजत के इस्तेमाल नहीं कर पाए, इसके लिए भी सरकार कोशिश कर सकती है.