Google के फ्री फूड और स्पा के खूब चर्चे, लेकिन फिर भी कुछ कर्मचारी परेशान, जानें क्यों
गूगल में काम करने वाले एक कर्मचारी ने हाल ही में सोशल मीडिया पर इस कंपनी में काम करने के फायदे और खामियों का जिक्र किया है. स्ट्राइवर नाम के इस तकनीकी विशेषज्ञ ने एक्स को बताया कि भले ही गूगल में काम करने से मेरी लाइफ स्टाइल मस्त चल रही है. किसी चीज की कमी नहीं है.
टेक दिग्गज गूगल में काम करना हर प्रोफेशनल युवा की चाहत होती है. अधिकांश युवाओं को लगता है कि गूगल में नौकरी लगने के बाद उनकी जिन्दगी बदल जाएगी, क्योंकि यह दुनिया की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में शुमार है. इसलिए यहां पर काम करने वाले को मोटी सैलरी के साथ-साथ लग्जरियस सुविधाएं भी मिलती हैं, लेकिन ऐसी बात नहीं है. गूगल के कर्मचारियों को सुविधाओं के साथ-साथ कभी-कभी खामियों का भी सामना करना पड़ता है.
दरअसल, गूगल में काम करने वाले एक कर्मचारी ने हाल ही में सोशल मीडिया पर इस कंपनी में काम करने के फायदे और खामियों का जिक्र किया है. स्ट्राइवर नाम के इस तकनीकी विशेषज्ञ ने एक्स को बताया कि भले ही गूगल में काम करने से मेरी लाइफ स्टाइल मस्त चल रही है. किसी चीज की कमी नहीं है. मोटी सैलरी के साथ-साथ ऑफिस परिसर के अंदर कई तरह की सुविधाएं भी मिल रही हैं, लेकिन इसमें कुछ खामियां भी हैं.
काम में निखार आएगा
स्ट्राइवर ने कहा कि गूगल में काम करते हुए तीन साल हो गए. इस दौरान उन्हें अच्छे और बुरे दोनों तरह के अनुभव से गुजरना पड़ा. उनका कहना है कि पूरी दुनिया के लोगों को लगता है कि गुगल में काम करने वाले कर्मचारियों को फूड, जिम, स्पा और विदेश घूमने के लिए भी सुविधाएं मिलती हैं. लेकिन एक बार जब इस कंपनी से जुड़ेंगे तो आप यहां के क्वालिटी, डिज़ाइन और आर्टिटेक्चर को देख कर चकित रह जाएंगे. साथ ही आपको काम करने के दौरान प्रतिभाशाली लोगों का सानिध्य मिलेगा. इससे आपमें काम को लेकर निखार आएगा.
स्ट्राइवर ने एक्स पर आगे कहा है कि गूगल में काम करने पर लाखों नहीं अरबों लोगों के ऊपर प्रभाव पड़ता है. इसके एवज में कंपनी कर्मचारियों को अतिरिक्त सुविधाएं भी देती हैं. जिसमें ऑन-कॉल वेतन, सहकर्मी बोनस, स्पॉट बोनस आदि शामिल हैं. वहीं, गूगल की वर्क कल्चर में अच्छे टूल्स और डॉक्यूमेंटेशन पर जोर दिया जाता है, जिससे कर्मचारियों को अपना काम आसानी से करने में मदद मिलती है.
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गूगल में है काम का सीमित दायरा
हालांकि, स्ट्राइवर ने कहा कि गूगल में इन तमाम सुविधाओं के बाद कुछ खामियां भी हैं. इस तकनीकी पेशेवर ने अपने पोस्ट में गूगल में काम करने की तीन मुख्य कमियां बताई हैं. सबसे पहले, उन्होंने धीमी अप्रूवल प्रोसेस की ओर इशारा किया है. हालांकि उन्होंने इसे एक कमी के रूप में पहचाना है. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि गूगल में कानूनी मुद्दों जैसे जोखिमों को कम करने के लिए अप्रूवल की कई लेयर्स से गुजरना पड़ता है. खास बात यह है कि स्ट्राइवर ने जो दूसरी चिंता जताई वह काम का ‘सीमित दायरा’ भी है. उन्होंने कहा कि अधिकांश टीमों को कंप्लीट, एंड-टू-एंड सुविधाओं पर काम करने का अवसर नहीं मिलता है. अधिकांश बुनियादी ढांचा पहले से ही स्थापित है, इसलिए जब तक आप किसी कोर टीम का हिस्सा नहीं हैं, तब तक सीखने का स्टेज बहुत कठिन नहीं हो सकता है.
क्या है गूगल की तीसरी खामी
उनके अनुसार गुगल की तीसरी खामी ‘टीम-स्विचिंग और प्रमोशन’ के इर्द-गिर्द घूमती है. उन्होंने कहा कि पिछली टीम में किए गए योगदान को स्विच करने के बाद प्रमोशन के लिए नहीं माना जाता है, जिसके कारण अक्सर कर्मचारी पदोन्नति के तुरंत बाद टीम बदल लेते हैं. उन्होंने कहा कि इस गतिशीलता के कारण कभी-कभी कुछ टीमों में करियर की ग्रोथ धीमी हो सकती है. खास बात यह है कि शुक्रवार को साझा की गई पोस्ट को 90,000 से ज़्यादा बार देखा गया और कई लाइक मिले हैं.
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