Google को भरना होगा 220 अरब रुपए का भारी जुर्माना, कोर्ट ने खारिज की आखिरी अपील

गूगल लंबे वक्त से कानूनी दांव पेंच में फंसा हुआ है. 2017 में कंपनी पर यूरोपीय कमीशन के लगाए अरबों रुपए के जुर्माने को शीर्ष अदालत यूरोपियन यूनियन ने बरकरार रखा है.

गूगल को नहीं मिली राहत Image Credit: Michael M. Santiago/Getty Images

गूगल के लिए बीते कुछ महीने अच्छी खबर लेकर नहीं आ रहे हैं. इस कड़ी में फिर एक बार Google की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट को यूरोपियन यूनियन से बड़ा झटका लगा है. यूरोपीय यूनियन कोर्ट ने सात साल पहले कोर्ट पर लगाए लगभग 220 अरब रुपए का जुर्माने को बरकरार रखने का फैसला किया है. कंपनी पर यह जुर्माना शॉपिंग सर्विस को लेकर लगाया गया था.

यूरोपियन यूनियन की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए यूरोपीय कमीशन के 2.4 अरब यूरो (लगभग 220 अरब रुपए ) के जुर्माने के खिलाफ कंपनी की अपील को खारिज कर दिया. खुद को जुर्माने से बचाने के लिए कंपनी के पास यह आखिरी मौका था.

क्या है आरोप?

कंपनी पर यह आरोप है कि वह ब्रिटेन में कॉम्पटिशन को कम करने के लिए वह एडवर्टाइजिंग सेक्टर में अपने दबदबे का दुरुपयोग कर रही है. साल 2017 में कंपनी पर अपने कॉम्पटीटर को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से गूगल शॉपिंग सेवा में हेर-फेर करने का आरोप लगाया गया था.

यूनियन के इस फैसले पर गूगल ने निराशा जताई है. गूगल ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, “हम अदालत के फैसले से निराश हैं. कोर्ट का यह फैसला तथ्यों के एक बहुत ही विशिष्ट सेट से संबंधित है.”

कंपनी ने शांपिग सर्च लिस्टिंग में किए कई बदलाव

सिलिकॉन वैली की दिग्गज कंपनी ने जानकारी दी कि उसने आयोग के फैसले का पालन करने के लिए 2017 में बदलाव किए इन सब के बीच कंपनी ने शांपिग सर्च लिस्टिंग की नीलामी करनी भी शुरू कर दी.

गूगल का कहना है कि, “हमने जो नीतियां अपनाई है उससे हम सात सालों से ज्यादा समय से अच्छे परिणाम हासिल कर रहे हैं. अबतक हमारे साइट पर 800 से ज्यादा तुलनात्मक शॉपिंग सेवाओं के लिए अरबों क्लिक पाए हैं.”

BEUC ने कोर्ट के फैसले की सराहना की

यूरोपियन कंंज्‍यूमर ग्रुप BEUC ने कोर्ट के फैसले की सराहना की है. समाचार एजेंसी AP के रिपोर्ट के मुताबिक, बीईयूसी के महानिदेशक अगस्टिन रेयना ने कहा, “गूगल ने अपने एडवरटाइजिंग पावर का इस्तेमाल कर के करोड़ों ब्रिटेन के लोगों के सामने से अपनी प्रतिद्वंदी कंपनियों को बिल्कुल गायब कर दिया. कंपनी का इस अवैध रवैये ने लोगों को उन कंपनियों से दूर कर दिया जो ग्राहकों को इनके प्रतिद्वंदी कंपनियों से सस्ती सर्विस मुहैया करा रही थीं.”