भारत और अमेरिका में बढ़ी करीबियां तो क्यों तिलमिलाया चीन? US से ये सौदा क्यों है खास?

भारत और अमेरिका के बीच 28,000 करोड़ रुपये में 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन का सौदा किया है. इस डील से चीन में खलबली मची हुई है, क्योंकि भारत इन ड्रोनों को भारत-चीन सीमा पर निगरानी में लगा सकता है.

भारत और अमेरिका की ड्रोन डील Image Credit: GettyImages

भारत लगातार अपनी सैन्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कदम उठा रहा है. इसी क्रम में अमेरिका के साथ 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन का सौदा किया है. भारत ने 15 अक्टूबर को अमेरिका के साथ 28,000 करोड़ रुपये के ड्रोन समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. भारत की सुरक्षा मामलों से जुड़ी समिति सीसीएस ने बीते 9 अक्टूबर को इसकी अनुमति दे दी थी. सीसीएस ने देश की सैन्य शक्ति को बढ़ाने के लिए अमेरिका के साथ ड्रोन खरीदने और दो परमाणु पनडुब्बियों को देश में ही बनाने की मंजूरी दी थी. भारत और अमेरिका के बीच इस सौदे से चीन तिलमिलाया है, क्योंकि भारत इन ड्रोनों को भारत-चीन सीमा पर निगरानी में लगा सकता है.

टाइम्स ऑफ इंडिया ने डिफेंस ऑफिसर के हवाले से एक खबर छापी है, जिसमें बताया गया है कि हेलफायर मिसाइलों में जीबीयू-39बी प्रिसिजन-गाइडेड ग्लाइडल बमों, नेविगेशन सिस्टम, सेंसर सूट और मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम से लैस इन ड्रोनों की डिलीवरी चार साल बाद शुरू होगी और छह साल होते हुए पूरी हो जाएगी.

चीन की सीमा पर होंगे तैनात


भारत पिछले कई सालों से अपने सशस्त्र बलों की निगरानी को बढ़ाने के लिए ड्रोन खरीद रहा है. भारत इन ड्रोनों को चीन के साथ विवादित सीमा पर निगरानी के लिए तैनात करेगा. इस डील में इंडियन नेवी और इंडियन आर्मी और वायु सेना तीनों सेनाओं को ड्रोन मिलेंगे. नेवी को 15 समुद्री गार्जियन  ड्रोन मिलेंगे, जबकि भारतीय वायु सेना और भारतीय सेना को आठ-आठ स्काई गार्जियन ड्रोन मिलेंगे.

क्या है ड्रोन की खासियत

प्रीडेटर बी ड्रोन में कई सारी खूबियां हैं. यह ड्रोन 40,000 फीट ऊचाई पर लगाता 40 घंटे तक उड़ सकता है. साथ ही ड्रोन में हेलफायर एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल है जो कि चीन की मिसाइल से बेहतर मानी जाती है. एक बार में ये ड्रोन चार हेलफायर मिसाइलें और लगभग 450 किलोग्राम बम ले जा सकते हैं.