रूस से बीमा लेकर भारतीय कंपनियां मंगवा रही हैं तेल, जानें क्या है इसकी वजह
भारतीय कंपनियां रूस से बीमा कवर लेकर रूस से ही सीमा से अधिक कच्चा तेल मंगा रही हैं. रूस अपनी बीमा कंपनियों की सहायता से सीमा से ज्यादा तेल बेच रहा है और भारत उसे खरीद रहा है.
भारतीय रिफाइनरी कंपनियां लगभग 500 प्रति बैरल से ज्यादा रूसी कच्चे तेल को खरीदने के लिए रूस के ही बीमा कवर का उपयोग कर रही हैं. भारत जी 7 की ओर से तय की गई सीमा से ज्यादा तेल रूस से मंगा रहा है. रूस-यूक्रेन के युद्ध के चलते यूरोपीय यूनियन ने उस पर तेल बेचने की सीमा तय कर दी थी, इसके बावजूद रूस सीमा से ज्यादा तेल बेच रहा है और भारत रूसी बीमा कवर की आड़ में कच्चे तेल की खरीदारी कर रहा है.
गुरुवार को रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया. रिपोर्ट में निर्यात में शामिल जहाजों के हवाले से कहा गया है कि रूस की एक तेल फर्म जुलाई के महीने में भारत को मास्को से आने वाले कच्चे तेलों पर 60 फीसदी का बीमा कवर दिया था. वहीं, अगले साल दिसंबर में फर्म ने भारत को 40 फीसदी का बीमा कवर दिया था.
रूस की ओर से यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद यूरोपीय यूनियन, ग्रुप 7 और ऑस्ट्रेलिया ने रूस के तेल निर्यात की सीमा तय कर दी थी. हालांकि, रूस अब देश की ही बीमा कंपनियों के कवर के सहारे 500 प्रति बैरल से ज्यादा तेल बेच सकता है, जिसमें से रूस के करीब 60 फीसदी समुद्र के रास्ते आने वाले कच्चे तेल की खरीदारी भारत की ओर से की जाती है.
तेल खरीदने के मामले में चीन से भी आगे भारत
भारत को बीमा कवर देने वाली कंपनी इंगोस्त्राख ने बताया कि चीन से ज्यादा भारत उनके कच्चे तेल को खरीदता है. जुलाई में ही भारत ने चीन को रूस से तेल खरीदने के मामले पीछे छोड दिया है. चीन को समुद्र के रास्ते से कच्चा तेल पहुंचाए के साथ पाइपलाइन की सुविधा भी मिल रही थी. रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में रूस पर यूरोपीय यूनीयन ने तेल की निर्यात सीमा पर बैन लगा दिया था, जिसके बाद भी भारत ने रूसी बीमा कवर के सहारे रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा.