भारत के 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के सपने को झटका, WTO ने रिपोर्ट में बताई चिंता की बात

PM Modi का सपना है कि 2030 तक भारत की जीडीपी 5 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा हो, ताकि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाए. बीच-बीच में ऐसी भी खबरें मिलती हैं कि यह सपना 2030 से पहले पूरा हो सकता है. लेकिन, WTO की एक रिपोर्ट से इस सपने को झटका लगा. रिपोर्ट में भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जताई गई है.

विश्व व्यापार संगठन की रिपोर्ट Image Credit: WTO

विश्व व्यापार संगठन (WTO) की एक रिपोर्ट ने भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के सपने को जोर का झटका दिया है. डब्ल्यूटीओ पहले भी भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के बारे में बता चुका है. फिलहाल, नई रिपोर्ट में उन चुनौतियों का उल्लेख किया है, जिन्हें भारत काबू नहीं कर सकता है. इससे पहले विश्व व्यापार संगठन ने एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत सरकार की तरफ से स्थानीय व्यापार को दिया जा रहा संरक्षण, बुनियादी ढांचे की कमी और नियामकीय चुनौतियां भारत के 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में बाधक हैं.

बहरहाल, नई रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था संकट में है. तमाम वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियों के चलते पूरी दुनिया में व्यापार मंद हो रहा है. भारत के नजरिये से इस रिपोर्ट को देखें, तो यह भारत के लिए झटके की तरह है. वैश्विक व्यापार में कमी से भारत के लिए निर्यात के अवसर कम होंगे, नतीजतन भारत का दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का सपना दूर होता जाएगा.

क्या कहा गया है रिपोर्ट में

विश्व व्यापार संगठन गुरुवार को जारी ग्लोबल इकॉनमिक आउटलुक रिपोर्ट विश्व में वस्तु व्यापार में वृद्धि के अनुमान को घटाया है. डब्ल्यूटीओ ने 2025 में विश्व वस्तु व्यापार के अनुमान को 3.3 फीसदी से घटाकर 3 फीसदी कर दिया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में वैश्विक स्तर पर गुड्स यानी वस्तु व्यापार में यूरोप का दबदबा कायम है.

किस वजह से आ रही बाधा

रिपोर्ट में बताया गया है पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष की वजह से वैश्विक व्यापार पर असर पड़ सकता है. खासतौर पर कच्चे तेल के दाम बढ़ने की आशंकाएं वैश्विक व्यापार के विकास को प्रभावित कर रही हैं. अगर इस संघर्ष की वजह से पश्चिम एशिया के पेट्रोलियम उत्पादन में बाधा आती है, तो इसकी नतीजे भारत जैसे ऊर्जा के भूखे देशों पर गहरे हो सकते हैं.

भारत के लिए क्यों बढ़ सकती है मुश्किल

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जैसे तेल आयात करने वाले देशों को अपनी ईंधन की जरूरतें पूरा करने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था और समग्र विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक 2024 की पहली छमाही में सालाना आधार पर ईंधन के दाम में 2.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई है.