तेल की कीमतों में लगी आग! इजरायल-ईरान तनाव से बाजार में हड़कंप

बीते दिनों ईरान ने इसरायल पर कई बैलिस्टिक मिसाइल दागे. हमले के जवाब में अगर इसरायल को बड़ा हमला करता है तो दुनियाभर के ग्लोबल ट्रेड के बाधित होने के साथ साथ तेल के कीमतों में बंपर उछाल देखने को मिलेगा.

तेल बाजार पर संकट के बादल Image Credit: Anton Petrus/Moment/Getty Images

मिडल ईस्ट में जारी टेंशन के बीच सभी देश अब सतर्क हो गए हैं. यह इतिहास में पहली बार है जब ईरान ने इसरायल पर मिसाइलें दागी और सामने से वार किया. आशंका है कि इसरायल अब इन मिसाइलों को बदले जवाबी हमला कर सकता है. नतीजतन, दोनों देशों के बीच का खटास विश्व युद्ध में तब्दील हो जाएंगा. और अगर ऐसा होता है तो दुनियाभर की अर्थव्यव्स्था पर इसका असर देखने को मिलेगा. अगर ईरान पर कोई बड़ा हमला होता है, तो इससे तेल आपूर्ति पर बड़ा संकट खड़ा हो सकता है.

तेल की कीमतों में 5% की तेजी

समाचार एजेंसी CNBC की रिपोर्ट के मुताबिक, गोल्डमैन सैक्स के अनुसार अगर ईरानी उत्पादन बाधित होता है तो तेल की कीमतें 20 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं. 3 अक्टूबर को अमेरिकी कच्चे तेल के वायदे में लगभग 5% की वृद्धि हुई. वहीं 4 अक्टूबर को भी इस चिंता के बीच वृद्धि जारी रही कि तेहरान से मिसाइल हमले के बाद इजरायल ईरान के तेल उद्योग को निशाना बना सकता है.

गोल्डमैन सैक्स के वैश्विक कमोडिटी रिसर्च के सह-प्रमुख, डान स्ट्रुवेन ने सीएनबीसी को बताया कि अगर ईरान के उत्पादन में प्रतिदिन 1 मिलियन बैरल की निरंतर गिरावट होती है तो अगले साल तेल की कीमतें लगभग 20 डॉलर प्रति बैरल बढ़ सकती हैं. हालांकि, यह अनुमान तब है जब ओपेक+ समूह उत्पादन बढ़ाकर कमी की भरपाई नहीं करता. यदि सऊदी अरब और यूएई जैसे ओपेक+ के बड़े सदस्य उत्पादन बढ़ा कर कमी की भरपाई करते हैं तो यह बढ़त 10 डॉलर प्रति बैरल तक सीमित रह सकती है.

ईरान के तेल उत्पादन पर संकट मंडराता

ईरान जो कि दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादक देशों में से एक है, रोजाना लगभग 4 मिलियन बैरल तेल का उत्पादन करता है. अगर इजरायल ईरान के तेल बुनियादी ढांचे पर हमला करता है, तो वैश्विक तेल आपूर्ति का 4% हिस्सा संकट में आ सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान के खार्ग द्वीप पर सबसे ज्यादा खतरा है, क्योंकि यह द्वीप ईरान के 90% कच्चे तेल के निर्यात का केंद्र है।.

संघर्ष के कारण तेल बाजार में हलचल

पिछले साल 7 अक्टूबर को इजरायल-हमास संघर्ष की शुरुआत के बाद से तेल बाजार में सीमित असर देखा गया था क्योंकि अमेरिका ने अपना उत्पादन बढ़ा दिया था और चीन की मांग में कमी आई थी. लेकिन हाल के घटनाक्रम ने बाजार के रुख को बदल दिया है और तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं.