Israel-Iran War : तेल के दाम में लगी आग, एक साल में सर्वाधिक साप्ताहिक वृद्धि के साथ भाव 80 डॉलर पार

Israel-Iran War के चलते तेल के दाम ने में एक साल की सर्वाधिक साप्ताहिक वृद्धि हुई है. इसके साथ ही सोमवार को कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 80 डॉलर पार हो गई. पिछले सप्ताह भी ब्रेंट क्रूड के वायदा भाव में 8 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई. वहीं, डब्ल्यूटीआई में सप्ताह-दर-सप्ताह के आधार पर 9 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है, जो एक वर्ष में सबसे अधिक है.

ईरान पर बड़े हमले से एक बार तेल की कीमतों में बड़ा उछाल संभव है Image Credit: Photo credit: Anton Petrus/Moment/Getty Images

अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमत सोमवार, 7 अक्टूबर को 3 फीसदी के तगड़े उछाल के साथ 80 डॉलर प्रति बैरल से पार चली गई. अगस्त के बाद पहली बार ब्रेंड क्रूड का भाव 80 डॉलर पार हुआ है. कच्चे तेल की कीमत में इस बढ़ोतरी के पीछे पश्चिम एशिया में जारी तनाव को सबसे बड़ी वजह माना जा रहा है. इस युद्ध की वजह से पिछले महीने कई महीनों की मंदी का रिकॉर्ड की तरफ बढ़ रही कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है.

ब्रेंट क्रूड वायदा में सोमवार को 2.47 डॉलर यानी 3.2 फीसदी की वृद्धि हुई, जिससे दाम 80.52 डॉलर प्रति बैरल हो गए हैं. वहीं, यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) वायदा में 2.49 डॉलर यानी 3.4 फीसदी की वृद्धि हुई. पिछले सप्ताह ब्रेंट में 8 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई. वहीं, WTI में सप्ताह-दर-सप्ताह आधार पर 9 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई, जो एक वर्ष से अधिक समय में सर्वाधिक है. वहीं, घरेलू बाजार में कच्चे तेल का वायदा भाव पिछली बार मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर 2.13 प्रतिशत बढ़कर 6,474 रुपये प्रति बैरल पर कारोबार करते दिखा.

क्या कहते हैं विश्लेषक

विश्लेषकों का कहना है कि बाजार में इस बात को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं कि संघर्ष और बढ़ सकता है, जिससे न केवल ईरान का 3.4 मिलियन बैरल प्रतिदिन का तेल उत्पादन खतरे में पड़ सकता है, बल्कि क्षेत्रीय आपूर्ति में भी और व्यवधान पैदा हो सकता है. कमोडिटी विश्लेषकों के मुताबिक सोमवार की बढ़त की वजह मनी मैनेजर्स की तरफ से मंदी के दांव बंद करना रहा, क्योंकि मध्य पूर्वी तेल आपूर्ति में व्यवधान का जोखिम बढ़ गया है. हेज फंड और मनी मैनेजर्स ने सितंबर के मध्य तक तेल वायदा में रिकॉर्ड मंदी के दांव लगाए थे. क्योंकि कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातक चीन में मांग में कमी आ रही थी.

पलट रहा पासा

एक सप्ताह पहले तक हेज फंड्स को लग रहा था कि तेल के भाव 60 डॉलर का निचला स्तर छू लेंगे. लेकिन, इसके विपरीत ब्रेंट ने पिछले सप्ताह जनवरी 2023 के बाद से अपनी सबसे बड़ी साप्ताहिक बढ़त दर्ज की. यह तेजी अगले साल की आपूर्ति और मांग के बारे में चिंताओं के कारण तीसरी तिमाही में कीमतों में गिरावट के मूड में एक बड़ा उलटफेर दर्शाती है.

बहुत ज्यादा नहीं बढ़ सकते दाम

विश्लेषकों का कहना है कि कच्चे तेल के समीकरणों में मांग पक्ष अब भी कमजोर ही बना हुआ है. ऐसे में दामों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी की अपेक्षा नहीं है. इसके अलावा अगर मांग बढ़ती है, तो पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) की तरफ से ईरानी प्रवाह में आने वाली किसी भी रुकावट की भरपाई करने के लिए पर्याप्त अतिरिक्त आपूर्ति क्षमता मौजूद है. इस तरह बाजार विश्लेषकों इस बात पर दृढ़ हैं कि कच्चे तेल के दाम एक सीमा से ज्यादा नहीं बढ़ सकते हैं. हालांकि, इजराइल की तरफ से ईरान की रिफाइनरी पर सीधा हमला एक बार के लिए कीमतों में बड़ा उछाल ला सकता है.