न्यूयॉर्क में जाम का ऐसा हाल, अब लोगों से लेगा कंजेशन चार्ज
न्यूयॉर्क सिटी में कंजेशन प्राइसिंग लागू हो गई है, जिसमें मैनहट्टन के कुछ हिस्सों में पीक आवर के दौरान ड्राइवरों से $9 का शुल्क लिया जाएगा. इस योजना का उद्देश्य ट्रैफिक कम करना और MTA को $15 बिलियन जुटाना है.
न्यूयॉर्क सिटी में अब कंजेशन प्राइसिंग लागू हो गई है. इस योजना के तहत, मैनहट्टन के कुछ हिस्सों में पीक आवर (दोपहर और शाम के समय) के दौरान प्रवेश करने वाले ड्राइवरों से $9 की शुल्क ली जाएगी. इस योजना को लागू करने का मकसद शहर में वाहनों के कारण बढ़ती भीड़ को कंट्रोल करना है. अमेरिका में यह अपनी तरह का पहला टैक्स है.
क्या होगा फायदा
कंजेशन प्राइसिंग से मेट्रोपोलिटन ट्रांसपोर्टेशन अथॉरिटी (MTA) को $15 बिलियन की राशि मिलने की उम्मीद है, जिसे न्यूयॉर्क सिटी के पुराने मेट्रो और कम्यूटर रेल लाइनों के रखरखाव के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. MTA के CEO, जैनो लिबर ने कहा कि यह योजना ट्रैफिक की समस्या को हल करने, शहरवासियों का समय और पैसा बचाने में मदद करेगी, और इसके साथ ही शहर के प्रदूषण में कमी आने से स्वास्थ्य में सुधार की उम्मीद है.
साल दर साल बढ़ेगा चार्ज
MTA ने बताया कि इस योजना के तहत, टोल की दरें धीरे-धीरे बढ़कर 2028 में $12 और 2031 में $15 तक पहुंच सकती हैं. अथॉरिटी का मानना है कि इस योजना से न सिर्फ शहर में वाहनों की भीड़ को रोका जाएगा, बल्कि इससे शहर के रखरखाव के खर्चे को पूरा करने के लिए पैसे भी जुटाए जा सकेंगे.
इन शहरों में पहले लगता है ये चार्ज
हालांकि, यह अमेरिका में अपनी तरह का पहला टैक्स है, लेकिन दुनिया के कई देशों में यह पहले से मौजूद है, जैसे लंदन, स्टॉकहोम और सिंगापुर. न्यूयॉर्क में यह योजना इन शहरों से प्रेरित होकर बनाई गई है.
विवादित रहा फैसला
इस योजना की शुरुआत के दौरान कई कानूनी चुनौतियां आईं, जिनमें न्यू जर्सी ने इस योजना के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की थी. हालांकि, अदालत ने इसे लागू करने की अनुमति दी. न्यू जर्सी के गवर्नर फिल मर्फी के प्रवक्ता ने इस फैसले पर निराशा व्यक्त की और कहा कि यह योजना उनके राज्य की जनता के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. वहीं, अमेरिकी के होने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस योजना का विरोध किया था, और उन्होंने इसे एक “regressive tax” करार दिया था.
विरोध कर रहे लोकल व्यापारी
कुछ स्थानीय अधिकारी और व्यापारिक समूह इस योजना के खिलाफ हैं, क्योंकि उनका मानना है कि इससे छोटे व्यवसायों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा. उनका कहना है कि यह योजना खासकर छोटे व्यापारियों पर अधिक दबाव डालेगी.