7 लाख लोगों पर भारी पड़ा एक शख्स का वर्क फ्रॉम होम, एयरलाइन्स को लगी 1,000 करोड़ रुपये की चपत

28 अगस्त, 2023 को सुबह ब्रिटेन में एक टेक कर्मचारी का वर्क फ्रॉम होम 7 लाख यात्रियों के लिए मुसीबत बन गया. इसके अलावा ब्रिटेन की तमाम एयरलाइन्स को इस वर्क फ्रॉम होम की कीमत 1,000 करोड़ रुपये के नुकसान के तौर पर चुकानी पड़ी. जानते हैं क्या था पूरा मामला.

ब्रिटेन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर भीड़भाड़ Image Credit: Rasid Necati Aslim/Anadolu Agency via Getty Images

वर्क फ्रॉम होम मौजूदा दौर की सुविधा और जरूरत है. लेकिन, कई बार यह सुविधा ही दुविधा का कारण बन जाती है. पिछले साल अगस्त में ब्रिटेन में कुछ ऐसा ही हुआ. 28 अगस्त, 2023 को बैंक हॉलिडे वीकेंड के दौरान एक टेक कर्मचारी के वर्क फ्रॉम होम की वजह से 7 लाख से ज्यादा हवाई यात्रियों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई.

समस्या तब शुरू हुई जब करप्ट फाइल की वजह से फ्लाइट प्रोसेसिंग सिस्टम में खराबी आ गई. न्यूयॉर्क पोस्ट और बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस खराबी के चलते बड़े पैमाने पर उड़ानें रद्द हो गईं, जिससे यात्री घंटों तक एयरपोर्ट पर फंसे रहे. समस्या तब और बढ़ गई, जब पता चला कि कुछ इंजीनियर उस दिन घर से काम कर रहे थे और वे रिमोटली समस्या का समाधान नहीं कर पा रहे थे.

इस मामले की बाद में विस्तृत जांच की गई. इस जांच में अब में पता चला है कि असल समस्या रिमोट लोकेशन से काम कर रहे इंजीनियर के पासवर्ड क्रेडेंशियल को एयरपोर्ट के सिस्टम में वेरिफाई करने में आ रही तकनीकी खामी की वजह से पैदा हुई थी. ब्रिटेन की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दिन फ्लाइट रद्द होने व रिफंड जारी करने सहित तमाम चीजों पर ब्रिटेन की कई एयरलाइन्स को 12.9 करोड़ डॉलर खर्च करने पड़े. इसे रुपये में कन्वर्ट करें, तो यह रकम करीब 1000 करोड़ रुपये बनती है.

उस दिन क्या हुआ

यह गड़बड़ी 28 अगस्त, 2023 को सुबह शुरू हुई और पूरे देश में उड़ानें रोक दी गईं. ब्रिटेन के नेशनल एयर ट्रैफिक सर्विसेज (NATS) ने गड़बड़ी को दूसर करने के लिए एक लेवल 2 इंजीनियर को काम पर लगाया. लेकिन वह इंजीनियर रिमोट लोकेशन से काम कर रहा था. बाद में हैम्पशायर में NATS के कार्यालय में मौजूदा लेवल 1 इंजीनियर ने मौके पर मोर्चा संभाला, लेकिन सिस्टम फेल होने की वजह से इंजीनियर समस्या को हल नहीं कर पाया, इस दौरान उसे वरिष्ठ इंजीनियर से जरूरी सहयोग नहीं मिल पा रहा था.

जांच में यह बात आई सामने

रिमोट लोकेशन से काम कर रहा इंजीनियर असल में एयरपोर्ट के सिस्टम में लॉगइन ही नहीं कर पा रहा था. इसके बाद सीनियर इंजीनियर्स की टीम को एयरपोर्ट बुलाया गया. उन्हें वहां पहुंचने में करीब डेढ़ घंटे लग गए. गड़बड़ी का पता लगने के करीब चार घंटे बाद भी इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सका, जिसकी वजह उड़ानें रद्द होने लगीं.

कई दिनों तक रहा असर

इस घटना का असर सिर्फ उस दिन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कई दिनों तक इस गड़बड़ी की वजह से रद्द हुई फ्लाइट का शेड्यूल में गड़बड़ रहा. व्यवधान के कारण एयरलाइनों को प्रभावित यात्रियों को 12.6 करोड़ डॉलर से अधिक का मुआवजा देना पड़ा.