14 महीने के निचले स्तर पर कच्चे तेल के दाम, ओपेक प्लस ने उत्पादन वृद्धि की योजना दो महीने के लिए टाली

सऊदी अरब और रूस के नेतृत्व में ओपेक ने जून में 2022 से दुनिया में तेल की आपूर्ति को धीरे-धीरे बहाल करने के लिए एक रोडमैप पर तैयार किया था. इसी के तहत अक्टूबर से उत्पादन में बढ़ोतरी की जानी थी. फिलहाल इस वृद्धि को टाल दिया गया है.

ओपेक देशों के तेल उत्पादन नहीं बढ़ाने के फैसले से तेल की कीमतों स्थिरता जारी. Image Credit: Cozyta/Moment/Getty Images

कच्चे तेल की कीमत 14 महीने के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद ओपेक प्लस यानी पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और सहयोगियों ने उत्पादन वृद्धि की योजना को 2 महीने के लिए टाल दिया है. गुरुवार, 5 सितंबर को हुई ओपेक प्लस की बैठक में अक्टूबर से उत्पादन में जो वृद्धि करनी थी, उसे 2 महीने के लिए टालने पर सहमति बनी है. लीबिया में फिर से तेल उत्पादन शुरू होने के बाद इस सप्ताह बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड (कच्चे तेल) का भाव सप्ताह की शुरुआत में कमजोर मांग और भरपूर आपूर्ति के चलते 14 महीने के निचले स्तर पर आ गया है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक ओपेक ने अक्टूबर में 180,000 बैरल प्रति दिन (बीपीडी) के आधार पर उत्पादन में वृद्धि की योजना बनाई थी. लेकिन, अब इस योजना को टाल दिया गया है. यह फैसला चीन और अमेरिका में मंदी के चलते खपत में कमी के बाद आया है. सप्ताह की शुरुआत में कच्चे तेल की कीमत 72 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गईं, जो 2023 के अंत के बाद सबसे निचले स्तर पर हैं.

कच्चे तेल की घटती कीमत से दुनियाभर में वर्षों से जारी महंगाई से राहत की उम्मीद जगी है. लेकिन, सऊदी और ओपेक का कहना है कि इतनी कम कीमतों पर उत्पादन संभव नहीं है, क्योंकि इससे उत्पादन का खर्च भी नहीं निकल पाता है. सऊदी अरब और रूस के नेतृत्व में ओपेक ने जून में 2022 से दुनिया में तेल की आपूर्ति को धीरे-धीरे बहाल करने के लिए एक रोडमैप पर तैयार किया था. इसी के तहत अक्टूबर से उत्पादन में बढ़ोतरी की जानी थी. जब यह रोडमैप तैयार किया गया था, तो ओपेक ने कहा था कि जरूरत पड़ी, तो ओपेक उत्पादन वृद्धि को रोक सकता है या इसमें कटौती भी कर सकता है.

लीबिया में क्या हुआ?

दो प्रतिद्वंद्वी गुटों के बीच पिछले सप्ताह टकराव के चलते लीबिया के प्रमुख बंदरगाहों पर तेल निर्यात रोक दिया गया. इस घटना की वजह से ओपके देशों को लगा कि अगर यह टकराव लंबा खिंचा तो उत्पादन बढ़ाना होगा. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से जल्द ही विवाद सुलझ गया और फिर से तेल उत्पादन व निर्यात शुरू होग गया, जिसके बाद कच्चे तेल के दाम 14 महीने के निचले स्तर पर आ गए.