यूरोपीय कमीशन से पाकिस्तान को बड़ा झटका, नहीं मिलेगा बासमती को GI टैग; भारत को होगा फायदा

यूरोप से पाकिस्तान को जीआई टैग का ना मिलना पाकिस्तान के बासमती चावल को झटका पहुंचाएगा. इससे पाकिस्तान यूरोप में अपने बासमती चावल को निर्यात तो कर पाएगा लेकिन उसे भारी नुकसान भी उठाना पड़ेगा.

उसना चावल पर निर्यात शुल्क घटा, व्यापारियों की बढ़ेगी आय, किसान को होगा मुनाफा Image Credit: Chadchai Ra-ngubpai/Moment/Getty Images

यूरोपीय आयोग (EC) के यूरोपीय संघ में पाकिस्तान के बासमती चावल के लिए प्रोटेक्टडेट जियोग्राफिकल इंडिकेशन (PGI) टैग देने की संभावना नहीं है. दरअसल इस साल की शुरुआत में जीआई टैग के लिए जब पाकिस्तान ने आवेदन किया था तो उस पर इटली ने विरोध किया था जिसे यूरोपीय आयोग ने स्वीकार कर लिया है. इसके क्या मायने हैं और भारत को इससे कैसे फायदा होगा, ये देखते हैं.

यूपोरीय आयोग ने पिछले हफ्ते यूरोपीय संघ के सदस्यों की कृषि समिति की बैठक के बाद 23 सितंबर को यह फैसला लिया. इटली ने यह मुद्दा उठाया और बुल्गारिया, रोमानिया, स्पेन और ग्रीस ने इसका समर्थन किया.

पाकिस्तान के आवेदन पर इटली के विरोध को स्वीकार करने के यूरोपीय संघ के फैसले पर इटली के कृषि, मंत्री फ्रांसेस्को लोलोब्रिगिडा ने इस घटनाक्रम को “अच्छी खबर” करार दिया.

क्या होता है PGI टैग?

पीजीआई टैग किसी देश को किसी भी देश में उगाए गए कृषि उत्पाद की मार्केटिंग का अधिकार देता है. इस टैग से साबित होता है कि उत्पाद अच्छी क्वालिटी है.

पाकिस्तान को क्यों नहीं मिला PGI टैग?

इटली के कृषि उद्यमी संघ कोल्डिरेटी और फिलिएरा इटालिया, इन दो संगठनों ने पाकिस्तान के बासमती चावल को पीजीआई का दर्जा देने के खिलाफ यूरोपीय संघ का रुख किया था.

कोल्डिरेटी ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि यह “मेड इन इटली प्रोडक्शन” के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम है.

दोनों संगठनों ने तर्क दिया कि पाकिस्तानी बासमती से “बाल श्रम, अवैध कीटनाशक और डंपिंग” जैसे जोखिम पैदा होते हैं. उन्होंने तर्क दिया कि पाकिस्तान बासमती चावल को पीजीआई का दर्जा मिलने से उसे शुल्क में छूट मिल सकती है, जिससे यूरोपीय चावल उद्योग को खतरा हो सकता है.

दोनों संगठनों ने चावल उत्पादन में सामाजिक और पर्यावरणीय स्थिरता की गारंटी देने में पाकिस्तान की विफलता पर भी चिंता व्यक्त की. इन दो संगठनों के अलावा, इतालवी चावल उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य कृषि संघों ने भी पाकिस्तान के बासमती चावल को पीजीआई दर्जा देने का विरोध किया.

सामाजिक मोर्चे पर, पाकिस्तान पर बाल श्रम कराने के अलावा मानवाधिकारों के उल्लंघन का भी आरोप है. पर्यावरण के मोर्चे पर, जुलाई में जर्मनी में पाकिस्तान से आए जैविक बासमती चावल की खेप में जेनेटिकली रूप से संशोधित चावल पाए गए.

PGI टैग न मिलने से पाकिस्तान को क्या नुकसान होगा?

पीजीआई टैग न मिलने पाकिस्तान के लिए नुकसान का सौदा होगा. टैग ना मिलने से यूरोपीय देश में पाकिस्तान का बासमती का चावल निम्न क्वालिटी का होगा, जिससे इसकी मांग में कमी आएगी, साथ ही पाकिस्तान के बासमती चावल को सही दाम भी नहीं मिल पाएगा.

बता दें कि अप्रैल 2023-मार्च 2024 के दौरान पाकिस्तान ने 7.40 लाख टन (MT) बासमती चावल का निर्यात किया था, जबकि भारत ने 50 लाख टन से ज्यादा का निर्यात किया था.

इससे भारत को कैसे होगा फायदा?

इससे पहले मई 2024 में भी पाकिस्तान के पीजीआई टैग के आवेदन को खारिज कर दिया था जिसके बाद से ही यूरोप में भारत के चावल को प्राथमिकता दी जाने लगी है. बासमती चावल को उगाने और इसे निर्यात करने के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है.

भारत ने 2023-24 में यूरोपीय संघ को 1.64 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया था. भारत ने 2018 में ही पीजीआई टैग ले लिया था. हाल ही भारत के बासमती चावल के निर्यात में उछाल आया है. जाहिर है भारत का फायदा अब और बढ़ने वाला है.