इस छोटे से देश क्यों गए पीएम मोदी, जानें कौन सा छुपा है खजाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुयाना यात्रा भारत और गुयाना के बीच आर्थिक, ऊर्जा और रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है. गुयाना के बढ़ते तेल उत्पादन और भारत की ऊर्जा सुरक्षा में इसकी भूमिका साथ ही रक्षा समझौतों और स्थानीय रोजगार अवसरों को बढ़ावा देने के प्रयास है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैरेबियाई देश गुयाना की यात्रा पर गए थे. 56 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह यात्रा काफी चर्चा में रही. ऐसे में सवाल उठता है कि इतने सालों बाद देश के पीएम छोटे से कैरेबियाई देश गुयाना की यात्रा क्यों कर रहे हैं? क्या यह देश भारत की इकोनॉमी के लिहाज से महत्वपूर्ण बनता जा रहा है? चलिए जानते हैं कि पीएम मोदी ने इस देश की यात्रा क्यों की और इसके पीछे क्या वजह हो सकती है. साथ ही यह यात्रा देश की अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करेगी.
गुयाना क्यों है भारत के लिए खास?
कैरिबियाई देश गुयाना में करीब 3,20,000 लोग भारतीय मूल के हैं, जो भारत और गुयाना के संबंधों को गहरा बनाते हैं. इन लोगों की जड़ें भारत में है और ये गुयाना में इंडियन कल्चर और भाषा को जीवित रखे हुए हैं. ऐसे में पीएम मोदी का यह दौरा इन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती देगा. साथ ही गुयाना को नॉन-ओपेक तेल उत्पादन देशों में सबसे तेजी से विकसित होने वाले देशों में देखा जा रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि गुयाना आने वाले सालों में ओपेक देश वेनेजुएला को 2026 तक तेल उत्पादन में पीछे छोड़ देगा, जिसके बाद यह विश्व में तेल उत्पादन देशों में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बन जाएगा.
गुयाना में तेल की उपलब्धता यहां की जीडीपी और लोगों की प्रति व्यक्ति आय को लगातार बढ़ा रही है. ऐसे में भारत के लिए गुयाना का तेल बाजार एक प्रमुख निर्यातक बन सकता है. इसके अलावा कच्चे तेल के भंडार की वजह से गुयाना में प्रति व्यक्ति जीडीपी में बढ़ोतरी हुई है. साल 2022 में यह 62 प्रतिशत बढ़ी और साल 2023 में यह 33 प्रतिशत बढ़ी थी.
ओपेक वर्ल्ड ऑयल रिपोर्ट के मुताबिक
ओपेक वर्ल्ड ऑयल आउटलुक 2022 के मुताबिक, गुयाना में तेल उत्पादन में काफी वृद्धि देखी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, गुयाना में साल 2021 में 0.1 मिलियन बैरल प्रति दिन उत्पादन होता था, जो 2027 में बढ़कर 0.9 मिलियन बैरल प्रति दिन हो जाएगा. ऐसे में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण बाजार के रूप में उभर सकता है. भारत लगातार अपने कच्चे तेल के स्रोतों में विविधता लाना चाहता है. इसका मतलब है कि भारत कच्चे तेल के आयात में किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहता, इस लिहाज से गुयाना भारत के लिए खास अहमियत रखेगा.
इसके अलावा गुयाना भी भारत के साथ अपने रिश्ते मजबूत करना चाहता है और भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार में अपनी रुचि दिखा रहा है. गुयाना के प्राकृतिक संसाधन मंत्री ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि गुयाना भारत के साथ कई सालों तक के लिए तेल खरीद समझौता करना चाहता है. ऐसे में, पीएम मोदी की गुयाना यात्रा भारत में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के मामलों में स्थिरता प्रदान करेगी.
भारत के साथ है रक्षा समझौता
जैसा कि भारत लगातार अपने रक्षा मामलों में आत्मनिर्भरता हासिल कर रहा है, वह लगातार अपने रक्षा उत्पादों का दूसरे देशों में निर्यात कर रहा है. ऐसे में, गुयाना भी भारत को रक्षा का एक आकर्षक बाजार दे सकता है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने इसी साल गुयाना के रक्षा बलों को दो डोर्नियर 228 विमान दिए. यह रक्षा समझौता किसी कैरेबियाई देश के साथ भारत का पहला है. साथ ही, भारत की कंपनियां गुयाना में बायोफ्यूल, ऊर्जा, खनिज और फार्मास्युटिकल क्षेत्रों में अपनी इच्छा जाहिर कर चुकी हैं.
चीन के लिहाज से गुयाना का महत्व
चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना में दुनिया भर के छोटे देशों ने भी रुचि दिखाई है. गुयाना भी इन देशों में शामिल है. ऐसे में पीएम मोदी की यह यात्रा गुयाना के भारत के साथ संबंधों को और मजबूत बनाएगी. भारत ने गुयाना में वहां की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में लगातार अपना योगदान दिया है.
इसके अलावा, देखा जा रहा है कि गुयाना में चीन की बढ़ती भागीदारी वहां के लोगों को पसंद नहीं है, क्योंकि चीन अपनी बड़ी परियोजनाओं में वहां के स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं दे पाता. गुयाना में होने वाली विकास परियोजनाओं में अधिकांश कर्मचारी चीनी होते हैं. ऐसे में, भारत को वहां के बुनियादी ढांचे में अपने योगदान और स्थानीय लोगों को इन विकास परियोजनाओं में रोजगार देकर अपनी छाप छोड़ने का मौका मिल सकता है.