227 करोड़ के हीरे के लिए भिड़ गया कतर का शाही परिवार, लंदन पहुंची लड़ाई

Qatar के शाही परिवार के लोग करोड़ों के डायमंड के पीछे पड़ गए हैं, इसको लेकर दोनों में लड़ाई हो गई. अब मामला लंदन की हाई कोर्ट पहुंच गया है. ये हीरा कैसा है? और इसकी कीमत क्या है? यहां जानें...

227 करोड़ हीरे के लिए भिड़ गया कतर का शाही परिवार, लंदन पहुंची लड़ाई Image Credit: Twitter/Canva

अगर आप कोई महंगी चीज खरीद कर उसे जमा करने के शौकीन है तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन उसी चीज को शाही परिवार का व्यक्ति जमा करें तो वो बड़ी बात हो जाती है. पश्चिम एशियाई देश कतर के शाही परिवार के शेख सऊद बिन मोहम्मद अल थानी को भी ऐसे ही कला से जुड़ी चीजों को जमा करने का शौक था. शौक छोटा-मोटा नहीं, दुनिया में सबसे ज्यादा कला से जुड़ी चीजों को जमा करने वाले लोगों में इनका नाम शुमार था. इन्होंने आर्ट कलेक्शन पर 1 अरब डॉलर तक खर्च कर दिए थे. यही नहीं ये अल थानी कतर में संस्कृति और विरासत मंत्री भी रहे. 2014 में इनका निधन हो गया. शाही अल थानी परिवार दो हिस्सों में बंट गया. शाही परिवार के यही दो हिस्सों के बीच की लड़ाई अब लंदन कोर्ट में पहुंच गई है. वजह है एक हीरा.

ये अनोखा मुकदमा लंदन के हाई कोर्ट में इसी हफ्ते पहुंचा है. विवाद की जड़ अनमोल हीरा है जिसे ‘आइडल्स आई’ (Idol’s Eye) के नाम से जाना जाता है. ये बेशकीमती हीरा 70 कैरेट का है और इसका मूल्य करोड़ों डॉलर में आंका गया है जिसकी अनुमानित कीमत 227 करोड़ रुपये से ज्यादा की है. शेख सऊद बिन मोहम्मद अल थानी के परिवार के खिलाफ कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी के चचेरे भाई शेख हमद बिन अब्दुल्ला अल थानी ने मुकदमा किया है.

पहले परिवार को समझ लीजिए ताकि मुकदमा समझ आ जाए. शाही परिवार अल थानी है. इसमें दो धड़े हैं एक शेख सऊद बिन मोहम्मद अल थानी (जिनका निधन हो चुका है) का परिवार जिसमें उनकी पत्नि और तीन बच्चे हैं. दूसरी तरफ शेख हमद बिन अब्दुल्ला अल थानी. दोनों कतर के एक ही शाही परिवार का हिस्सा है.

हीरा किसका है?

‘आइडल्स आई’ दुनिया के सबसे प्रसिद्ध हीरों में से एक है. शेख सऊद ने इसे साल 2000 के आसपास कहीं खरीदा था. शेख सऊद ने ये हीरा QIPCO (Qatar Investment & Projects Development Holding Company) को उधार दिया था. अब QIPCO के सीईओ हैं शाही परिवार का दूसरा धड़ा यानी शेख हमद बिन अब्दुल्ला.

2014 में इन दोनों के बीच एक समझौता हुआ था. शेख सऊद ने 2014 में अपनी मौत से पहले QIPCO को इस हीरे को खरीदने का ऑप्शन दिया था. लेकिन इसमें शर्त थी कि अगर Elanus Holdings कंपनी सहमत होगी तभी हीरा QIPCO को बेचा जाएगा. Elanus Holdings शेख सऊद के परिवार के साथ जुड़ी एक कंपनी है.

तो विवाद क्या है?

विवाद इस बात पर है कि QIPCO को इस हीरे को खरीदने का अधिकार है या नहीं और इस हीरे की कीमत कितनी है. दरअसल विवाद ऐसे छिड़ा कि 2020 में अल थानी फाउंडेशन के वकील की ओर से एक लेटर भेजा गया था, जिसमें इस हीरे को QIPCO को 1 करोड़ डॉलर में बेचने की सहमति दी गई थी. QIPCO का दावा है कि इस लेटर को समझौता माना जाए और हाई कोर्ट से Elanus को हीरा बेचने का आदेश मिलना चाहिए.

वहीं, Elanus कंपनी का कहना है कि यह लेटर गलती से भेजा गया था और यह कोई समझौता नहीं है. Elanus के वकील साद होसैन ने अदालत में कहा कि शेख सऊद के बेटे शेख हमद बिन सऊद अल थानी ने बस संभावित बिक्री की संभावना को परखने के लिए ही संपर्क किया था, लेकिन इस प्रोसेस में परिवार के बाकी लाभार्थियों से सलाह नहीं ली गई थी.

यह भी पढ़ें: कौन है वह बंबइया, जो अफीम बेचकर बन गया चीन का सबसे अमीर और पावरफुल परिवार

क्या है Elanus का दावा?

Elanus के वकील का कहना है कि उनके एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस हीरे की कीमत लगभग 2.7 करोड़ डॉलर है, जो कि QIPCO की प्रस्तावित कीमत 1 करोड़ डॉलर से कहीं ज्यादा है. हालांकि QIPCO के वकीलों का कहना है कि Elanus केवल हीरे की ज्यादा कीमत चाहता है इसलिए ऐसा हो रहा है.

यही वजह है कि कतर का शाही परिवार एक दूसरे के खिलाफ कानूनी लड़ाई में उतर आया है. अब देखना होगा कि हाई कोर्ट इस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण हीरे के भविष्य पर क्या फैसला सुनाती है.