लंदन में पढ़ना हो जाएगा महंगा, जानिए ब्रिटिश सरकार ने क्या-क्या किए बदलाव
भारतीय छात्रों के लिए यूके में पढ़ाई करना अब महंगा हो जाएगा. ब्रिटिश सरकार ने जनवरी 2025 से स्टूडेंट वीजा के लिए minimum maintenance funds को बढ़ाने का फैसला किया है. इसका मतलब है कि भारतीय छात्रों को अपने बैंक खाते में अधिक पैसे दिखाने होंगे ताकि वे यूके में रहने के खर्चों को पूरा कर सकें.
अगर आप भी अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए यूके भेजना चाहते है. ऐसे में आपके लिए बुरी खबर सामने आ रही है. दरअसल भारतीय छात्रों के लिए यूके में पढ़ाई करना अब महंगा हो जाएगा. ब्रिटिश सरकार ने जनवरी 2025 से स्टूडेंट वीजा के लिए minimum maintenance funds को बढ़ाने का फैसला किया है. इसका मतलब है कि भारतीय छात्रों को अपने बैंक खाते में अधिक पैसे दिखाने होंगे ताकि वे यूके में रहने के खर्चों को पूरा कर सकें. यह बदलाव जनवरी 2025 से होगी.
यह बदलाव बढ़ती मंहगाई, कॉस्ट ऑफ लिविंग को देखते हुए किया गया है, लेकिन यह छात्रों की आर्थिक रूप से कमजोर कर सकता है. जैसा की पहले से ही जानते है यूके में भारत के छात्रों की संख्या काफी अधिक है. ऐसे में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. यूके में पढ़ाई करना अभी भी एक अच्छा ऑप्शन है. ब्रिटेन में पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाले छात्रों के लिए छात्र वीजा प्राप्त करने के लिए उनके बैंक खाते में मिनिमम पैसे होना सदैव बहुत जरूरी है.
अब इतने दिखाने होंगे पैसे
अभी लंदन में पढ़ने वाले छात्रों को अपने बैंक खाते में कम से कम £1,334 प्रति महीना दिखाना होता है. जबकि लंदन से बाहर पढ़ने वाले छात्रों को £1,023 प्रति महीना दिखाना होता है. लेकिन जनवरी 2025 से, ये रकम बढ़कर लंदन में पढ़ने वाले छात्रों के लिए £1,483 और लंदन से बाहर पढ़ने वाले छात्रों के लिए £1,136 प्रति माह हो जाएगी. वर्तमान में, वीजा के लिए आवेदन करने से पहले, आवेदकों को यह दिखाना होगा कि उनके पास 28 दिनों के लिए एक निश्चित राशि उपलब्ध है.
पेरेंट्स थोड़ा दबाव महसूस कर सकते है
जो परिवार पहले से ही अपने बच्चों को यूके पढ़ने के लिए भेज रखा है उनके लिए ये बदलाव काफी महंगे साबित होने वाला है. वे अधिक दबाव महसूस कर सकते हैं. हालांकि, यह समझना जरूरी है कि ज्यादातर भारतीय छात्र पढ़ने के लिए जगह चुनते समय कॉस्ट ऑफ लिविंग के अलावा अन्य बातों पर भी ध्यान देते हैं. यह नया नियम उन छात्रों को मजबूर कर सकता है जो पहले से ही सीमित बजट पर हैं. और उन्हें कर्ज, वित्तीय सहायता या छात्रवृत्ति के माध्यम से पैसों की तलाश करनी होगी.