स्विट्जरलैंड ने भारत से छीना MFN का दर्जा, इन भारतीय कंपनियों को देना पड़ सकता है ज्यादा टैक्स
स्विट्जरलैंड ने भारत से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्ज छीन लिया है. अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संबंध के लिहाज से यह बेहद अहम होता है. दो देश यह दर्जा परस्पर कारोबारी सहूलियत के लिए देते हैं. स्विट्जरलैंड के फैसले से वहां काम कर रहीं भारतीय कंपनियों को अपनी कमाई भारत भेजने पर ज्यादा टैक्स चुकाना होगा. जानते हैं कौनसी कंपनियां इस फैसले से प्रभावित हो सकती हैं और स्विट्जरलैंड ने यह फैसला किस वजह से लिया?
यूरोपीय देश स्विटजरलैंड ने भारत से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा छीन लिया है. स्विटजरलैंड के संघीय वित्त विभाग ने शुक्रवार को इस संबंध में एक बयान जारी कर इस बदलाव की जानकारी दी है. स्विट्जरलैंड के इस कदम से उन भारतीय कंपनियों पर असर होगा, जो वहां कारोबार करती हैं और अपना लाभांश भारत भेजती हैं. यह बदलाव 1 जनवरी, 2025 से लागू होगा. इसके तहत 1 जनवरी, 2025 से भारतीय कंपनियों को स्विट्जरलैंड में अर्जित लाभांश पर 10 फीसदी टैक्स चुकाना होगा.
स्विटजरलैंड के संघीय वित्त विभाग (DFF) ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा, भारत के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आधार पर, यह नजीता निकलता है कि भारत-स्विट्जरलैंड दोहरे कराधान समझौते (DTA) के तहत स्थापित प्रोटोकॉल के पैरा 5 को भारतीय पक्ष नहीं मानता है. चूंकि यह एक परस्पर चलने वाला समझौता है, लिहाजा 1 जनवरी, 2025 से स्विटजरलैंड इस प्रोटोकॉल के एकतरफा पालन को बंद करता है. इसके बाद से भारतीय कंपनियों पर भारत (आईएन)- कॉन्फेडेरेटियो हेल्वेटिका (सीएच- स्विस परिसंघ) डीटीए के तहत निर्धारित दरों के मुताबिक कर लगाया जाएगा.
क्या है पूरा मामला
2021 में दिल्ली हाईकोर्ट ने स्विट्जरलैंड में रहने वाले एक टैक्स पेयर की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, MFN को ध्यान में रखते हुए रेडिडुअल टैक्स रेट को बरकरार रखा. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने 19 अक्टूबर, 2023 को हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा, MFN के प्रावधानों के तहत किसी अन्य समझौते के तहत तय की गईं लोअर टैक्स रेट का फायदा नहीं दिया जा सकता. इसके लिए भारत सरकार को अलग से अधिसूचित करना होगा.
MFN और इनकम टैक्स का मामला
स्विटजरलैंड का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से निष्कर्ष निकलता है कि एक तरफ डीटीसी आईएन-सीएच में एमएफएन क्लॉज को लागू करना भारतीय आयकर (आई-टी) अधिनियम की धारा 90 के तहत लागू नहीं था. दूसरी ओर, डीटीसी आईएन-सीएच के प्रोटोकॉल के पैरा 5 में सांकेतिक वर्तमान काल के उपयोग की व्याख्या प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए जाने के समय ओईसीडी के सदस्य राज्यों तक सीमित होने के रूप में की जानी थी.
द्विपक्षीय कारोबार
भारत स्विट्जरलैंड का 7वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और स्विट्जरलैंड भारत में 12वां सबसे बड़ा निवेशक है. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत और स्विट्जरलैंड के बीच द्विपक्षीय व्यापार करीब 25 अरब डॉलर रहा. स्विट्जरलैंड में करीब 100 भारतीय कंपनियां काम कर रही हैं. ये करीब 30,894.5 करोड़ रुपये यानी 3.25 अरब स्विस फ्रैक का कारोबार करती हैं और 4,000 लोगों को रोजगार देती हैं. इनमें से ज्यादातर कंपनियां आईटी कंसल्टेंसी और फार्मास्युटिकल के क्षेत्र में काम कर रही हैं.
ये हैं प्रमुख कंपनियां
टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टेक महिंद्रा, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, सिप्ला, जिफो आरएनडी सॉल्यूशंस, यूरेका फोर्ब्स, एचसीसी लिमिटेड, राजेश एक्सपोर्ट्स सहित तमाम कंपनियां हैं, जो स्विट्जरलैंड में काम कर रही हैं.