टैरिफ वॉर से चीन को झटके पर झटका, ऑर्डर गायब, माल फंसा; सप्लाई चेन में भारी उथल-पुथल

अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध ने अब आर्थिक से ज्यादा राजनीतिक रूप ले लिया है. अमेरिका द्वारा चीनी सामानों पर 145 फीसदी तक आयात शुल्क लगाने से चीन के उद्योग जगत में उथल-पुथल मच गई है. इलेक्ट्रॉनिक्स, EVs, सोलर पैनल और मशीनरी जैसे क्षेत्रों में ऑर्डर कैंसिल हो रहे हैं, और माल शिपमेंट के बीच में ही छोड़ा जा रहा है. टेक सेक्टर में कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से बाहर होने का डर सता रहा है.

अमेरिका द्वारा चीनी सामानों पर 145 फीसदी तक आयात शुल्क लगाने से चीन के उद्योग जगत में उथल-पुथल मच गई है. Image Credit: TV9 Bharatvarsh

US-China Trade War: अमेरिका और चीन के बीच चल रही ट्रेड वॉर अब एक तरह से ईगो वॉर बन चुकी है. एक ओर अमेरिका ने चीन पर 145 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, वहीं चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए 125 फीसदी टैक्स लगाने की घोषणा की है. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि यह ट्रेड वॉर चीन के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है. इसका असर चीन के प्रमुख उद्योगों पर देखने को मिल रहा है. एक ओर जहां इसकी सप्लाई चेन में भारी उथल-पुथल मची हुई है, वहीं दूसरी ओर इसके जीडीपी में गिरावट का अनुमान जताया जा रहा है.

सप्लाई चेन में रुकावट

टैरिफ वॉर शुरू होने के बाद से ग्वांगडोंग, झेजियांग और जियांग्सू जैसे औद्योगिक राज्यों में अस्थिरता देखने को मिल रही है. कई ऑर्डर रुक गए हैं. इसका सबसे ज्यादा असर इलेक्ट्रॉनिक्स, EVs, सोलर पैनल्स और मशीनरी के एक्सपोर्ट पर पड़ा है. मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका जाने वाले कंटेनरों की संख्या 40-50 से घटकर मात्र 3-4 रह गई है. कई ऑर्डर बीच रास्ते में ही रद्द कर दिए गए हैं, जिससे कंपनियों को अपना माल शिपिंग कंपनियों को सौंपना पड़ा है.

टेक सेक्टर पर सबसे बड़ा खतरा

इस वॉर का सबसे ज्यादा असर टेक सेक्टर पर देखने को मिल रहा है. चिप्स, बैटरियों और टेलीकॉम उपकरणों पर बुरा असर पड़ा है. Huawei, BYD, और Xiaomi जैसी कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मांग और सप्लाई चेन से बाहर होने के डर में हैं. वहीं, हैंग सैंग टेक इंडेक्स की मार्केट वैल्यू मार्च के बाद $350 अरब डॉलर घट गई है.

चीनी कंपनियों पर ट्रंप का शिकंजा

टैरिफ वॉर अब केवल आयात शुल्क तक सीमित नहीं रह गया है. मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन चीनी कंपनियों को अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्ट करने पर विचार कर रहा है. इसमें Alibaba, Pinduoduo, NIO, और XPeng जैसी कंपनियां शामिल हो सकती हैं. इससे निवेशकों में घबराहट और बड़े पैमाने पर शेयर बिक्री की आशंका है.

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गिर सकती है चीन की जीडीपी

ट्रेड वॉर का असर चीन की आर्थिक वृद्धि पर भी पड़ सकता है. 2025 की पहली तिमाही में चीन की GDP 5.1 फीसदी तक गिरने की संभावना जताई गई है. साल भर में GDP 4.5 फीसदी और 2026 तक 4.2 फीसदी तक गिर सकती है.