चीनी बाजार के मुनाफे की मिठास से भरा निवेशकों का मन, दिवाली पहले भारतीय बाजार में होगा धूम-धड़ाका!

सितंबर से अक्टूबर के बीचे शंघाई स्टॉक एक्सचेंज के बेंचमार्क इंडेक्स सीएसआई 300 में 25% से ज्यादा का उछाल आया है. इसी तरह हांग कांग के हेंग सेंग में भी 20% से ज्यादा का उछाल आया. विदेशी निवेश से अचानक फूला ग्रोथ का ये गुब्बारा जल्द फट सकता है. जानते हैं कि इसका भारतीय बाजार पर क्या असर होगा?

अगर शनिवार को चीनी सरकार ने निवेशकों को संतुष्ट नहीं किया, तो वहां बड़ी गिरावट आ सकती है Image Credit: erhui1979/DigitalVision Vectors/ Getty Images

चीन के केंद्रीय बैंक ने सितंबर में तीन बार ब्याज दरों में कटौती का एलान किया. इसके बाद चीनी सरकार की तरफ से बाजार में पूंजी प्रवाह बढ़ाने के एलान किए गए. इन बदलावों के बाद विदेशी निवेशकों ने चीन के बाजारों का रुख किया. नतीजतन, एक पखवाड़े में ही चीन के दोनों बेंचमार्क इंडेक्स 20% से ज्यादा उछल गए.

विदेशी निवेशकों के चीनी बाजार की तरफ रुख करने का सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय बाजारों को उठाना पड़ा. चीन के बाजार ने जिस दौर में 20 फीसदी से ज्यादा का उछाल मारा, उसी दौर में सेंसेक्स 85,978 के शीर्ष से 5% से ज्यादा लुढ़क चुका है. बीएसई में लिस्टेट 4000 से ज्यादा कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में इस गिरावट के चलते करीब 17 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है.

बहरहाल, चीनी शेयर बाजार में आया यह उछाल अब ढलान की तरफ बढ़ गया है. इसी सप्ताह मंगलवार को चीन की आर्थिक नियोजन एजेंसी राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग (एनडीआरसी) ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था गिरावट के भारी दबाव में है. इसके बाद से ही विदेशी निवेशकों में खलबली मची है.

बुधवार को इसका नतीजा यह हुआ कि सीएसआई 300 7% से ज्यादा लुढ़क गया. बुधवार को ही जब चीनी बाजार भारी गिरावट का सामना कर रहे थे, तभी चीनी अधिकारियों ने ऐलान किया कि जल्द ही आक्रामक मौद्रिक नीति पर काम किया जाएगा. खासतौर पर खपत को बढ़ाने के उपाय किए जाएंगे. हालांकि, चीनी सरकार के इस संदेश से निवेशक संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं.

क्या है निवेशकों का रुख

बाजार के विश्लेषकों का मानना है जब तक चीनी सरकार की तरफ से ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं, चीन के बाजार में उठा-पटक का दौर जारी रहेगा. चीन का बेंचमार्क सीएसआई 300 इंडेक्स बुधवार को 7.1% गिरकर बंद हुआ, जो लगभग एक महीने में इसकी पहली दैनिक गिरावट और 2020 की शुरुआत के बाद से सबसे बड़ी एकदिवसीय गिरावट है. इसी तरह हैंग सेंग में भी 1.4% की गिरावट आई, जो अक्टूबर 2008 के बाद से सबसे खराब दैनिक प्रदर्शन रहा.

चीनी सरकार के वादों पर नहीं भरोसा

पिछले दो सप्ताह में चीनी सरकार ने अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कई तरह के सरकारी प्रोत्साहनों का एलान किया. लेकिन, निवेशकों को चीनी सरकार के वादों पर खास भरोसा नहीं है. यही वजह है कि विदेशी निवेशक बहुत सावधानी के साथ चीनी बाजार में निवेश कर रहे हैं.

स्थानीय निवेशक भी निराश

चीन की सरकार और चीन के बाजार से स्थानीय निवेशक भी निराश हैं. चीन में तमाम लोगों ने 1 अक्टूबर से शुरू हुए 7 दिवसीय राष्ट्रीय दिवस अवकाश के दौरान ट्रेडिंग खाते खोले, लेकिन अवकाश समाप्त होने के बाद मंगलवार को एनडीआरसी की तरफ से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के ठोस उपायों पेश नहीं किए गए, बल्कि पिछले वादों को दोहराया. इसके बाद निराश निवेशकों ने बाजार से निकलना शुरू कर दिया. हालांकि, इस गिरावट के बाद आयोग ने एलान किया कि चीनी वित्त मंत्रालय शनिवार को अहम घोषणाएं कर सकता है. इसके बाद गिरावट थमी.

निवेशकों को सता रहा गिरावट का डर

चीनी बाजार के घरेलु और विदेशी निवेशकों को गिरावट का डर सता रहा है. जहां, विदेशी निवेशकों को लग रहा है कि घरेलु निवेशक बिकवाली का दबाव बना सकते हैं, वहीं घरेलु निवेशकों को डर है कि अगर सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो विदेशी निवेशक पैसा निकालेंगे, जिससे बाजार और नीचे चला जाएगा. यह अविश्वास चीनी शेयर बाजार में आने वाले दिनों में भारी उथल-पुथल मचा सकता है.

बेहाल है चीनी अर्थव्यवस्था 18.8% बेरोजगारी दर

फिलहाल चीन का रियल एस्टेट बाजार बेहाल है. डिमांड और कस्टमर सेंटिमेंट बहुत कमजोर हैं. इसके अलावा युवा बेरोजगारी दर काफी बढ़ी हुई है. चीन के 16 से 24 वर्ष के युवाओं में बेरोजगारी दर जुलाई में 17.1% से बढ़कर अगस्त में 18.8% हो गई.

चीन से भागे तो भारत ही आएंगे विदेशी निवेशक

पिछले दिनों जब चीनी बाजार में विदेशी निवेशकों ने हिस्सेदारी बढ़ाई, तो भारतीय बाजार से भारी निकासी देखी गई. ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर चीनी सरकार ने शनिवार को अर्थव्यवस्था में सुधार के ठोस ऐलान नहीं किए, तो दिवाली से पहले विदेशी निवेशक चीनी बाजार को छोड़कर भारतीय बाजार का रुख कर सकते हैं.