बांग्लादेश में  ISKCON पर बैन की तैयारी, हाई कोर्ट गया मामला

बांग्लादेश में राजनीतिक और सामाजिक माहौल लगातार तनावपूर्ण बना हुआ है. हाल के दिनों में हिंदू समुदाय और सरकार के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. इस बार मुद्दा है इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन), जिसे बांग्लादेश सरकार ने "धार्मिक कट्टरपंथी संगठन" करार दिया है.

बांग्लादेश में चिन्मय दास को जेल भेजे जाने से भारी तनाव Image Credit: Money 9

बांग्लादेश में तख्तापलट होने के बाद से लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. वहां इन दिनों सरकार बनाम इस्कॉन होता दिख रहा है. बांग्लादेश में राजनीतिक और सामाजिक माहौल लगातार तनावपूर्ण बना हुआ है. हाल के दिनों में हिंदू समुदाय और सरकार के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. इस बार मुद्दा है इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन), जिसे बांग्लादेश सरकार ने “धार्मिक कट्टरपंथी संगठन” करार दिया है.

सरकार के इस बयान के बाद से देश में हिंदू समुदाय के बीच गुस्सा भड़क गया है. तनाव तब और बढ़ गया जब हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. इसके साथ ही कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों द्वारा इस्कॉन और अन्य हिंदू मंदिरों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं ने हालात को और गंभीर बना दिया.

कोर्ट का रुख

बुधवार को इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कि बांग्लादेश में इस्कॉन की स्थापना कैसे हुई और उसकी गतिविधियां क्या है. अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने कोर्ट में कहा कि इस्कॉन कोई राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि एक “धार्मिक कट्टरपंथी संगठन” है.

अदालत ने इसके बाद सरकार को निर्देश दिया कि इस्कॉन और देश में कानून व्यवस्था पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए गुरुवार सुबह तक रिपोर्ट पेश करें. कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को कानून व्यवस्था बिगड़ने से रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए.

ये भी पढे़: ये है 237 साल पुराना साबुन, लक्स-लाइफ बाय भी नहीं तोड़ पाए बादशाहत

कौन हैं चिन्मय दास?

चिन्मय कृष्ण दास पहले इस्कॉन के सदस्य थे और हाल ही में उन्हें बांग्लादेश में राष्ट्रीय ध्वज का कथित रूप से अपमान करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. आरोप है कि हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई.

उनकी गिरफ्तारी के बाद हिंदू समुदाय ने व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए. हालांकि, सरकार का कहना है कि चिन्मय दास को किसी विशेष समुदाय के नेता के रूप में नहीं, बल्कि देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

स्थिति की गंभीरता

इस घटनाक्रम ने बांग्लादेश में धार्मिक और सामाजिक तनाव को और गहरा कर दिया है. हिंदू समुदाय अपनी धार्मिक स्वतंत्रता और अधिकारों की मांग कर रहा है. भारत सरकार भी लगातार इसे लेकर अपनी प्रतिक्रिया दे रही है.

ये भी पढ़े: अडानी का क्या था पहला बिजनेस… कहां से मिले थे 5 लाख, जानें कैसे देने लेगे अंबानी को टक्कर