चीनी कंपनियों पर पड़ेगी ट्रंप सरकार के टैरिफ की मार, भारतीय कंपनियों के मजे ही मजे!
डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं. ट्रंप के पहले कार्यकाल में लगे झटके से चीनी अर्थव्यवस्था अब तक नहीं उबर पाई है. ऐसे में ट्रंप के आगमन को चीनी कंपनियों के लिए बुरे दिनों की शुरुआत माना जा रहा है. हालांकि, सवाल यह भी उठता है कि चीन को नुकसान से भारत को क्या फायदा? आइए जानते हैं.
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में चीनी कंपनियों पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे. इसके अलावा चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करने के लिए भारी टैरिफ भी लगाया गया. चीनी अर्थव्यवस्था पर इसका काफी गहरा असर पड़ा. ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान खुलकर कहा कि पद संभालते ही वे चीन पर टैरिफ लगाएंगे. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि 2025 की शुरुआत में ही ट्रंप चीन से होने वाले आयात पर लगभग 40% टैरिफ लगा सकते हैं. इससे चीन की आर्थिक वृद्धि में 1 फीसदी तक की कमी आ सकती है.
अर्थशास्त्रियों का अनुमान
ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि किसी भी सूरत में 60% से ज्यादा टैरिफ की उम्मीद नहीं है. हालांकि, इतना तय है कि ट्रंप आते ही चीन से होने वाले आयात पर भारी टैरिफ लगाएंगे और इसका असर चीन के निर्यात पर लंबे समय तक रहेगा. रॉयटर्स ने चीन पर ट्रंप के रवैये को लेकर अर्थशास्त्रियों की राय का सर्वे किया है. इस सर्वे में कई दिलचस्प नतीजे आए हैं.
अमेरिका फर्स्ट को समर्थन
सर्वे के मुताबिक ज्यादातर अर्थशास्त्री और आम लोग ट्रंप के अमेरिका फर्स्ट के नजरिये का समर्थन करते हैं. इसके अलावा 40% तक टैरिफ की उम्मीद भी कर रहे हैं, जैसा की ट्रंप ने तमाम रैलियों में कहा है. हालांकि, ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने यह भी कहा है कि अगर ट्रंप चीनी वस्तुओं पर 60% टैरिफ लगाते हैं, तो लोग इसका विरोध करेंगे.
बीजिंग में बेचैनी
ट्रंप जनवरी में दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर असाीन होने जा रहे हैं. यह वक्त जितना करीब आ रहा है, बीजिंग में शी जिनपिंग की बेचैनी बढ़ रही है. क्योंकि, ट्रंप का एजेंडा साफ है. अमेरिका फर्स्ट के तहत वे अमेरिका में व्यापार और रोजगार को प्रोत्साहन देंगे. इसके पैकेज के हिस्से के रूप में ही ट्रंप ने चीनी आयात पर भारी टैरिफ लगाने का वादा किया है.
क्या भारत को होगा फायदा
ट्रंप के पिछले कार्यकाल की नीतियों के हिसाब से देखें, तो ट्रंप ने भले ही भारत को लेकर कुछ मुद्दों पर कठोर बयान दिए, लेकिन नीतिगत स्तर पर चीन की तरह भारत के साथ सख्ती नहीं बरती गई. इसके अलावा भारत और अमेरिकी के बीच मौजूदा रिश्तों के लिहाज से भी ट्रंंप भारत के साथ इस तरह की तल्खी पैदा नहीं करना चाहेंगे. इस स्थिति में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें भारतीय कंपनियों को फायदा मिल सकता है.
भारत से ट्रंप की क्या अपेक्षा
ट्रंप चाहते हैं कि भारतीय कंपनियां अमेरिका में जो भी निर्यात करें, वह चीन से आयात किए गए रॉ मटेरियल पर आधारित नहीं होना चाहिए. अगर चीनी कंपनियों से कच्चा माल खरीदकर भारतीय कंपनियां अमेरिका को निर्यात करेंगी, तो इससे चीन पर लगाम लगाने का असल मकसद हल ही नहीं होगा. इसके साथ ही ट्रंप चाहते हैं कि भारत अपने बाजार को अमेरिकी कंपनियों के लिए उसी तरह खोलेे, जैसे अमेरिका ने अपना बाजार भारतीय कंपनियों के लिए खोला है. खासतौर पर कृषि क्षेत्र में ट्रंप भारत के बाजार में अमेरिकी कंपनियों का प्रवेश चाहते हैं.