TRUMP 2.0: “ड्रिल बेबी ड्रिल” और “MAGA” में छिपे ट्रेड और फॉरेन पॉलिसी के राज
TRUMP 2.0: डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर आसीन हो चुके हैं. सोमवार को शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले ही भाषण में उन्होंने ट्रेड और फॉरेन पॉलिसी को लेकर अपना रुख साफ कर दिया. खासतौर पर टैरिफ और फॉरेन ट्रेड को लेकर अपने इरादे जाहिर करते हुए उन्होंन ऐसे क्लू दिए हैं, तो आगे की तस्वीर को दिखाते हैं. जानते हैं ट्रंप ने क्या कहा और इसका दूसरे देशों के साथ भारत पर क्या असर पड़ सकता है?
TRUMP Drill Baby Drill And MAGA Policy:दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले भाषण में टैरिफ, ट्रेड और फॉरेन पॉलिसी को लेकर अपने इरादे साफ जाहिर किए हैं. ट्रेड और टैरिफ को लेकर ट्रंप ने जो भी कहा, अगर वे उन बातों पर पूरी तरह अमल करते हैं, तो आने वाले दिनों में सप्लाई चेन, लॉजिस्टिक्स और ग्लोबल जियोपॉलिटिकल लैंडस्केप में कई बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. खासतौर पर उन्होंने ट्रेड और टैरिफ के लिए एक्सटर्नल रेवेन्यू सविर्स (ERS) स्थापित करने का ऐलान किया है. ट्रंप का दावा है कि इसके जरिये अमेरिका को विदेशी व्यापार से बड़ी आमदनी होगी.
ट्रेड सिस्टम की ओवरहॉलिंग
अमेरिका के मौजूदा ट्रेड सिस्टम कई बार सड़ा हुआ और एंटी अमेरिका बता चुके ट्रंप ने अपनी इनॉगरल स्पीच में कहा कि वे अमेरिका के ट्रेड सिस्टम की ओवरहॉलिंग करने जा रहे हैं. यह अमेरिकी कामगारों और उनके परिवारों को बचाने के लिए जरूरी है. ट्रंप ने कहा कि वे अमेरिकी ट्रेड सिस्टम में ऐसे बदलाव करेंगे, जिससे देश के खजाने में ढेर सारा पैसा आएगा. ट्रंप ने ट्रेड सिस्टम में आमूलचूल बदलावों के जरिये अमेरिकी लोगों को अमीर बनाने का आश्वासन देते हुए कहा, “हम अपने नागरिकों को समृद्ध बनाने के लिए दूसरे देशों पर टैरिफ और टैक्स लगाएंगे. इस उद्देश्य के लिए, हम सभी टैरिफ, शुल्क और राजस्व एकत्र करने के लिए एक एक्सटर्नल रेवेन्यू सर्विस स्थापित कर रहे हैं.”
ड्रिल बेबी ड्रिल का मतलब
अपनी फॉरेन ट्रेड पॉलिसी को सीधे तौर पर व्यक्त करते ट्रंप ने कहा कि वे अमेरिका दुनिया में सबसे बड़े एनर्जी सप्लायर के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं. फिलहाल, दुनिया की आधी से ज्यादा ऊर्जा जरूरतें कच्चे तेल और गैस से पूरी हो रही हैं. इस तरह ट्रंप ने साफ कर दिया है कि वे दुनिया के ऑयल एंड गैस मार्केट में अमेरिकी की बड़ी हिस्सेदारी चाहते हैं. ट्रंप ने इस मुद्दे को बेहद चतुराई से घरेलू महंगाई से भी जोड़ा और कहा कि यह देश को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिहाज से जरूरी है. ट्रंप ने नेशनल एनर्जी इमर्जेंसी का ऐलान करते हुए कहा, “अमेरिका में महंगाई का संकट ऊर्जा की बढ़ती कीमतों पर होने वाले भारी खर्च के कारण आया है. इसीलिए आज मैं राष्ट्रीय ऊर्जा आपातकाल की भी घोषणा करूंगा. वी विल ड्रिल बेबी, ड्रिल. अमेरिका एक बार फिर मैन्युफैक्चरिंग हब बनेगा. हमारे पास कुछ ऐसा है, जो किसी दूसरे मैन्युफैक्चरिंग नेशन के पास कभी नहीं होगा, पृथ्वी पर किसी भी देश की तुलना में सबसे ज्यादा तेल और गैस हमारे पास है. हम इसका भरपूर इस्तेमाल करने जा रहे हैं.”
भारत के लिए खुशखबरी
ट्रंप का ड्रिल बेबी ड्रिल बयान हर लिहाज से भारत के लिए खुशखबरी की तरह है. भारत ऊर्जा का भूखा देश है. अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत 85 फीसदी तक आयात पर निर्भर है. सऊदी अरब और रूस के नेतृत्व वाला समूह ओपेक प्लस दुनिया में तेल की कीमतें तय करता है. अगर अमेरिका तेल का उत्पादन और निर्यात बढ़ाता है, तो इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में कमी आएगी. इसके अलावा ट्रंप की पिछले कार्यकाल में भारत के साथ सबसे बड़ी शिकायत ट्रेड डेफिसिट को लेकर थी. ट्रंप का कहना था कि अमेरिका भारत के साथ व्यापार घाटे में है. अगर अमेरिका सस्ता तेल बेचता है, तो भारत अमेरिका से तेल खरीद सकता है, जिससे ट्रंप की शिकायत तो दूर हो ही जाएगी, इसके साथ ही दोनों देशों के बीच कारोबार को बिना टैरिफ युद्ध छेड़े आगे बढ़ाने की संभावनाएं भी बढ़ेंगी.
पहले ही दिन चीन की बढ़ाई टेंशन
ट्रंप ने पनामा कैनाल को वापस लेने का ऐलान करते हुए राष्ट्रपति बनते ही पहले ही दिन चीन का तनाव बढ़ा दिया है. असल में पनामा कैनाल कहने को तो पनामा के हाथ में है. लेकिन, यहां का ऑपरेशन और कंट्रोल चीनी कंपनियों के हाथ में है. इसके जरिये चीन अमेरिका सहित दूसरे देशों के ट्रेड और मिलिट्री शिप्स के मूवमेंट को प्रभावित करने की कोशिश करता है. लेकिन, ट्रंप ने पनामा कैनाल को लेकर साफ कहा कि इसे पनामा को जिस समझौते के साथ सौंपा गया था उसका उल्लंघन किया जा रहा है और अब अमेरिका इसे वापस लेकर रहेगा. ट्रंप के इस बयान का असर ग्लोबल लॉजिस्टिक्स पर पड़ेगा. एक तरह से यह भी भारत के हित में ही होगा.
टैरिफ वॉर छिड़ने का खतरा
ट्रंप ने साफ कर दिया है कि ईआरएस उनके प्रशासन की प्राथमिकता है. इससे साफ जाहिर है कि ट्रंप टैरिफ वाले मामले में पीछे हटने वाले नहीं है. पिछले दिनों द इकोनॉमिस्ट मैग्जीन में ट्रंप की इस जिस को लेकर कहा गया था कि अगर ट्रंप टैरिफ वॉर शुरू करते हैं, तो दुनिया 1930 के ग्लोबल ट्रेड वार जैसी स्थिति में पहुंच सकती है. खासतौर पर जब ट्रंप इस बार चीन के साथ ही यूरोपीय देशों को भी टैरिफ वॉर में निशाना बनाने का इरादा जाहिर कर चुके हैं. ट्रंप ने अपनी इनॉगरल स्पीच में जिस तरह से “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” (MAGA) का पर जोर दिया है, उसे देखते हुए आने वाले दिनों में बड़े टैरिफ वॉर की आशंकाएं काफी बढ़ गई हैं.
पिछले कार्यकाल में क्या हुआ
वैल्यू रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में चीन पर तमाम टैरिफ लादे, जिनमें से कई को बाइडन प्रशासन ने बरकरार रखा. इससे चीन से अमेरिका को होने वाले प्रत्यक्ष निर्यात में कमी जरूर आई. लेकिन, जिन वस्तुओं पर टैरिफ लगाया गया उन्हें वियतनाम और मेक्सिको जैसे देशों के जरिये चीन ने अमेरिका में भेजने का रास्ता खोज निकाला. हालांकि, ट्रंप अब इस चालबाजी को समझ चुके हैं. यह साफ भी कर चुके हैं कि वे दूसरे देशों से आयात होने वाली उन वस्तुओं चीन जितना ही टैरिफ लगाएंगे, अगर उन वस्तुओं के उत्पादन की वैल्यू चेन में कहीं भी चीन शामिल हुआ.
भारत के सामने भी है टैरिफ वॉर का खतरा
भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय व्यापार में अमेरिका घाटे में रहता है. 2017 में ट्रंप ने इस मुद्दे को पीएम मोदी के सामने उठाया था. इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका व्यापार घाटे का अध्ययन करने के लिए एक कार्यकारी आदेश जारी किया था. इस बार भी चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप कई बार भारत के साथ कारोबार में घाटे के मुद्दे को उठा चुके हैं. हालांकि, ट्रंप भारत को लेकर चीन के जितने आक्रामक नहीं हैं. लेकिन, इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि ट्रंप के टैरिफ वॉर का असर भारत पर भी पड़ सकता है.
पिछले बार इन सेक्टर पर पड़ा था असर
वैल्यू रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में ट्रंप की तरफ से भारत के साथ जब व्यापार घाटे का मुद्दा उठाया गया, तो भारत को अमेरिका में बनी हुई हार्ले डेविडसन बाइक्स पर कस्टम ड्यूटी में छूट देनी पडी थी. इसके बाद 2018 में ट्रंप ने स्टील और एल्युमिनियम पर टैरिफ बढ़ाया तो 2019 में भारत ने वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट की 16 अरब की डील के बाद ई-कॉमर्स सेक्टर में FDI नियमों को कठोर कर दिया. वॉलमार्ट परिवार को ट्रंप का बेदह करीबी माना जाता है. भारत की कार्रवाई के बाद ट्रंप ने तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत को मिलने वाली जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (जीएसपी) रियायतें छीन लीं. इससे पहले तब जीएसपी के तहत भारत सबसे बड़ा लाभार्थी था, जिसके तहत भारत को 1,900 उत्पादों को अमेरिका निर्यात करने पर शून्य या न्यूनतम टैरिफ पर देना पड़ता था. ट्रंप के इस फैसले के जवाब में भारत ने सेबी और बादाम सहित 28 वस्तुओं पर टैरिफ लाद दिया. इसके बाद ट्रंप ने पीएम मोदी से सार्वजनिक तौर पर इन वस्तुओं से टैरिफ हटाने की मांग की थी.