US-China टकराव में पिसेंगे गरीब देश? चीन ने कहा-ये ‘मानवीय संकट’ की शुरुआत

दो देशों की यह टकराहट सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रही. असर अब वैश्विक बाजारों और आम उपभोक्ता तक पहुंच रहा है. लेकिन असली खतरा कुछ और है, जो धीरे-धीरे सामने आ रहा है. जानिए ऐसा क्या हुआ जिससे WTO तक को बीच में आना पड़ा.

चीन ने अमेरिका को दिया जवाब Image Credit: @Tv9

America and China Trade War: विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध हर रोज और प्रबल होते जा रहा है. इस महीने दोनों देशों ने एक-दूसरे पर लगातार टैरिफ (आयात शुल्क) बढ़ाए हैं, जिससे वैश्विक बाजारों में भारी उथल-पुथल देखी जा रही है. अब चीन के वाणिज्य मंत्री वांग वेंताओ ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को चेताया है कि अमेरिका की यह टैरिफ नीति विकासशील देशों पर गहरा असर डालेगी और इससे मानवीय संकट भी पैदा हो सकता है. इसकी जानकारी उन्होंने मंत्रालय से स्टेटमेंट जारी कर दिया.

अमेरिका की नीतियों पर चीन का तीखा वार

चीन के मंत्री वांग वेंताओ ने WTO की प्रमुख न्गोजी ओकोंजो-इविएला से फोन पर बातचीत में कहा कि अमेरिका की ओर से बार-बार टैरिफ लागू करने से न केवल वैश्विक अस्थिरता बढ़ रही है बल्कि खुद अमेरिका के भीतर भी अव्यवस्था पैदा हो रही है. उन्होंने चेतावनी दी कि सबसे गरीब देशों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.

अमेरिका ने हाल ही में चीनी वस्तुओं पर 145 प्रतिशत तक शुल्क बढ़ा दिया है. जवाब में चीन ने भी शनिवार से अमेरिकी सामानों पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी. इस उठापटक के बीच चीन ने कहा कि अब अमेरिकी वस्तुएं आयात करना आर्थिक रूप से तर्कसंगत नहीं रहा और अमेरिका की नई शुल्क नीति को “मजाक” करार दिया.

WTO में जाएगी चीन, बाजारों में उथल-पुथल

चीन ने WTO में शिकायत दर्ज कराने की योजना बनाई है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसे ‘संख्या का खेल’ बताते हुए अपनी नीति को सफल बता रहे हैं. इस व्यापार युद्ध से दुनिया भर के शेयर बाजार डांवाडोल हो गए हैं, सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं और अमेरिकी सरकारी बॉन्ड्स दबाव में हैं.

यह भी पढ़ें: ट्रंप के फैसलों की जद में आए अमेरिका में रहने वाले विदेशी नागरिक, यह काम नहीं किया तो छोड़ना पड़ेगा देश

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच यह व्यापारिक खिंचाव उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ा सकता है और आखिरकार यह वैश्विक मंदी का कारण भी बन सकता है. ऐसे समय में जब दोनों देश एक-दूसरे को पछाड़ने में लगे हैं, दुनिया की बाकी अर्थव्यवस्थाएं इस लड़ाई की चपेट में आ सकती हैं.

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