2.8 फीसदी की दर से बढ़ी अमेरिकी अर्थव्यवस्था, भारत के लिए क्यों चिंता की बात?
अमेरिकी अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत बनी हुई है. बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका की जीडीपी 2.8 फीसदी की अनुमानित गति से बढ़ रही है. हालांकि, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती भारत के लिए चिंताएं पैदा कर सकती है.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पिछले 9 क्वार्टर में से 8 क्वार्टर में 2 फीसदी से ज्यादा की तेजी से बढ़ रही है. अमेरिकी सरकार के वाणिज्य विभाग ने बुधवार को जुलाई से सितंबर के लिए जीडीपी और उपभोक्ता खर्च के आंकड़े जारी किए. अमेरिका में उपभोक्ता खर्च में मजबूती और निर्यात में उछाल की वजह से जुलाई से सितंबर की अवधि में अर्थव्यवस्था 2.8% की वार्षिक दर से बढ़ी है. हालांकि, वाणिज्य विभाग की तरफ से जारी किए गए डाटा के मुताबिक जीडीपी में माल और सेवाओं के उत्पादन अप्रैल-जुलाई की 3% की तुलना में धीमा हो गया है.
उपभोक्ता खर्च बढ़ा
दूसरी तरफ जीडीपी डाटा के भीतर अर्थव्यवस्था की ताकत को मापने वाली एक श्रेणी के डाटा में जुलाई से सितंबर के दौरान 3.2% की ठोस वार्षिक वृद्धि हुई है. यह अप्रैल-जून तिमाही में 2.7 फीसदी रही थी. इस श्रेणी में उपभोक्ता खर्च और निजी निवेश शामिल हैं. हालांकि, निर्यात, इन्वेंट्री और सरकारी खर्च को इसमें शामिल नहीं किया गया है.
खुश नहीं अमेरिकी जनता
उपभोक्ता खर्च भले ही बढ़ गया है. लेकिन, आम अमेरिकी इन आंकड़ों से खुश नही हैं. खासतौर पर घर और उपभोक्ता वस्तुओं की ऊंची कीमतें उन्हें परेशान कर रही हैं. यही इस बार अमेरिकी चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा भी रहा. दूसरी बार अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी लोगों से वादा किया है कि वे बढ़ती कीमतों से राहत देंगे.
दो वर्ष के शीर्ष पर निर्यात
उपभोक्ता खर्च के अलावा निर्यात में भी बढ़ोतरी हुई है. यह 7.5% की दर से बढ़ा है, जो दो वर्षों में सबसे अधिक है. फिर भी, उपभोक्ता खर्च और निर्यात दोनों में तीसरी तिमाही की वृद्धि वाणिज्य विभाग की तरफ से जताए गए अनुमान से कम है. इस दौरान आवास और गैर-आवासीय इमारतों जैसे कि कार्यालयों और गोदामों में निवेश में गिरावट की वजह से व्यावसायिक निवेश में वृद्धि तेजी से कमी आई है. वहीं, उपकरणों पर खर्च बढ़ गया है.
नियंत्रण में बेरोजगारी
आंकड़ों से पता चलता है कि स्थिर विकास दर के साथ ही, बेरोजगारी दर भी नियंत्रण में है. बुधवार को जारी डाटा के मुताबिक यह 4.1 फीसदी रही. वहीं, जून 2022 में चार दशक के उच्चतम स्तर 9.1 फीसदी पर पहुंची महंगाई दर अब 2.6 फीसदी रह गई है. हालांकि, यह अभी भी फेडरल रिजर्व के 2 फीसदी के लक्ष्य से ऊपर है. ऐसे में वॉल स्ट्रीट व्यापारियों को उम्मीद है कि फेड दिसंबर में फिर से दरों में कटौती करेगा.
भारत के लिए चिंता की बात क्यों
अमेरिका की मजबूत अर्थव्यवस्था भारत जैसे देशों के लिए चिंता पैदा करती है. जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, तो डॉलर मजबूत होता है. इसका भारत जैसे देशों के लिए आयात और अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिहाज से नकारात्मक असर होता है. इसके अलावा आने वाले दिनों में जब ट्रंप सत्ता संभालेंगे, तो मजबूत अर्थव्यवस्था उनके लिए भारत और चीन के खिलाफ व्यापार के मैदान में दावपेचों में मदद करेगी. हालांकि, इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि अगर अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती होती है, तो यह भारत के लिए सकारात्मक बदलाव होगा. क्योंकि इससे भारत का एक्सपोर्ट बढ़ेगा और विदेशी निवेशक भारतीय बाजार की तरफ आकर्षित होंगे.