US FED FOMC: नहीं सुनी ट्रंप के मन की बात, जेरोम पॉवेल ने अमेरिका में रेट कट पर लगाया विराम
US FED FOMC बैठक में बुधवार को ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किए जाने का फैसला किया गया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार ब्याज दर घटाने की बात कर रहे हैं. लेकिन, जेरोम पॉवेल की अध्यक्षता में FOMC ने ट्रंप की मनमानी नहीं चलने दी और ब्याज दर नहीं घटाने का फैसला किया है.
US FED प्रमुख जेरोम पॉवेल की अध्यक्षता में बुधवार को हुई FOMC की बैठक में ट्रंप के मन की बात को सुनने के बजाय रेट कट के दौर पर विराम लगाने का फैसला किया गया है. अमेरिकी इकोनॉमी के जानकार वहां की अर्थव्यवस्था के मौजदूा हालात को देखते हुए पहले से ही अनुमान लगा रहे थे कि ब्याज दरों में कटौती की जरूरत नहीं है. हालांकि, इसी महीने 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति पद संभालने वाले डोनाल्ड ट्रंप लगातार ब्याज दर घटाने की पैरवी कर रहे हैं. पॉवेल के नेतृत्व में फेडरल रिजर्व की मौद्रिक समिति ने साफ कर दिया है कि ट्रंप के दबाव में आकर ब्याज दर नहीं घटाई जाएगी.
नहीं सुनी ट्रंप के मन की बात
डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह 23 जनवरी को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) को संबोधित करते हुए भी कहा था कि वे फेडरल रिजर्व (US FED) की ओपन मार्केट मॉनेटरी कमिटी (FOMC) पर दबाव बनाएंगे कि ब्याज दरों में बिना किसी देरी के कमी की जाए. इससे पहले ट्रंप चुनावी रैलियों में भी बार-बार ब्याज दर घटाने का वादा करते रहे हैं. WEF के दौरान ट्रंप ने कहा था कि वे चाहते हैं अमेरिका में तुरंत ब्याज दरें घटाई जाएं और इसके बाद पूरी दुनिया अमेरिका को फॉलो करते हुए ब्याज दर घटाए, ताकि आम लोगों को महंगाई से राहत मिल सके.
ट्रंप और पावेल में 36 का आंकड़ा
अमेरिका में ब्याज दर तय करने का फैसला पूरी तरह FOMC का होता है. यह ठीक वैसे है, जैसे भारत में रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) काम करती है. यह पहली बार नहीं है, जब ब्याज दर घटाने को लेकर पॉवेल पर ट्रंप का दबाव काम नहीं आया है. असल में पॉवेल की नियुक्त ट्रंप के पिछले कार्यकाल में हुई थी. उस दौरान भी ट्रंप और पॉवेल के बीच ब्याज दरों को लेकर असहमति साफ दिखी थी. अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को भी ट्रंप ने ब्याज दर नहीं घटाए जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पॉवेल को उनकी बात माननी चाहिए थी. अब सही वक्त आने पर वे पॉवेल से इसके बारे में बात करेंगे. लेकिन, उनका रुख साफ है कि ब्याज दर घटाई जानी चाहिए.
FOMC ने क्या कहा
बैठक के बाद जारी किए गए स्टेटमेंट में FOMC ने कहा, “इकोनॉमी से जुड़े ज्यादातर इंडिकेटर्स के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियां लगातार ठोस गति से बढ़ रही हैं. हाल के महीनों में बेरोजगारी दर निचले स्तर पर स्थिर हो गई है और श्रम बाजार की स्थिति मजबूत बनी हुई है. महंगाई भले ही कुछ हद तक ऊंची बनी हुई है, लेकिन यह पूरी तरह से काबू में है. इस लिहाज से समिति लॉन्ग टर्म में महंगाई को 2 फीसदी के दायरे में रखते हुए रोजगार को बढ़ावा देने के अपने रुख पर कायम है.”
4.50 फीसदी रहेगी ब्याज दर
इसके साथ समिति ने कहा कि सभी सदस्यों का मानना है कि रोजगार और महंगाई के लक्ष्यों को हासिल करने के जोखिम लगभग संतुलित है. ऐसे में महंगाई और रोजगार दोनों पक्षों के प्रति सचेत रहते हुए, फेडरल फंड रेट (ब्याज दर) को 4.24 से 4.50 की टार्गेट रेंज में ही बनाए रखना उचित होगा.
रिजर्व बैलेंस पर ब्याज
FOMC ने Interest on Reserve Balances को 4.4 फीसदी पर बरकरार रखा है. कमर्शियल बैंकों की तरफ से फेड के साथ रखे जाने वाले रिजर्व पर यह ब्याज बैंको को फेड की तरफ से दिया जाता है.
प्राइमरी क्रेडिट रेट
फेडरल रिवर्ज की मौद्रिक समिति ने Primary Credit Rate को 4.5 फीसदी पर स्थिर रखा है. यह वह दर है, जिस पर कमर्शियल बैंक फेड से सीधे उधार लेती हैं.
स्टैंडिंग ओवरनाइट रीपरचेज एग्रीमेंट्स
FOMC ने रेपो यानी Standing Overnight Repurchase Agreements के लिए भी अपनी शर्तों में कोई बदलाव नहीं किया है. फेड की तरफ से बैंकों को 500 अरब डॉलर तक के ओवरनाइट लोन 4.5 फीसदी की दर पर सरकारी बॉन्ड के जरिये उपलब्ध कराए जाएंगे. यह बाजार में लिक्विडिटी (liquidity) बढ़ाने का तरीका होता है.
स्टैंडिंग ओवरनाइट रिवर्स रीपरचेज एग्रीमेंट्स
FOMC ने रिवर्स रेपो यानी Standing Overnight Reverse Repurchase Agreements की शर्तो में भी कोई बदलाव नहीं किया है. यह वह दर है, जिस पर फेडरल रिजर्व की तरफ से कमर्शियल बैंको से उधार लिया जाता है. इसके लिए ऑफरिंग रेट 4.25 फीसदी रखी गई है. इसके अलावा इसमें काउंटरपार्टी लिमिट 160 बिलियन प्रति दिन की रखी गई है. यानी फेडरल रिजर्व एक दिन में किसी बैंक से इतना उधार ले सकता है.
कैसी रही अमेरिकी बाजार की प्रतिक्रिया
अमेरिका शेयर बाजार के बेंचमार्क इंडेक्स नैस्डैक कंपोजिट, डाउ जॉन्स, एसएंडपी 500 और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज सभी लाल निशान में रहे. मोटे तौर पर अमेरिकी बाजार फेड के फैसले से उदासीन रहा और एआई व आईटी स्टॉक्स की पिटाई का ट्रेंड बुधवार को भी जारी रहा. अमेरिका की ज्यादातर बड़ी आईटी कंपनियों के इंडेक्स नैस्डैक में अमेरिकी समय के मुताबिक बुधवार को दिन में 3 बजकर 5 मिनट पर 0.72 फीसदी की गिरावट रही.