यूएस फेड रेट कटौती पर आज लेगा फैसला, जानें भारत पर क्या होगा असर
अमेरिकी फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल बाजार अर्थव्यवस्था की सेहत और भविष्य में दरों में कटौती पर चर्चा करेंगे. उम्मीद की जा रही है कि इस दौरान करीब 25 से 30 बेसिस प्वाइंट की कटौती की जा सकती है.
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के रेट कटौती पर लिए जाने फैसले पर दुनियाभर की नजर है. यूएस फेड अपनी मौद्रिक नीति के फैसले की घोषणा 18 सितंबर को करने वाला है. उम्मीद की जा रही है कि इस दौरान करीब 25 से 30 बेसिस प्वाइंट की कटौती की जा सकती है. पिछले चार वर्षों में ऐसा पहली बार होगा जब फेड दरों में कटौती करेगा. इसका असर न सिर्फ अमेरिका बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. माना जा रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक इसी के आधार पर अगली बैठक में रेपो रेट कम करने पर विचार करेगा.
अमेरिकी फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल बाजार अर्थव्यवस्था की सेहत और भविष्य में दरों में कटौती पर चर्चा करेंगे. इसके साथ ही महंगाई और रोजगार के अवसरों पर भी बात की जाएगी. बुधवार को पॉवेल की ओर से की जाने वाली घोषणाओं से घरेलू और वैश्विक शेयर बाजार प्रभावित हो सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह दरों में कटौती की एक श्रृंखला की शुरुआत हो सकती है. बता दें पॉवेल ने पिछले महीने जैक्सन होल, व्योमिंग में अपने भाषण में रोजगार का समर्थन करने और अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण “सॉफ्ट लैंडिंग” हासिल करने के लिए दरों में कटौती करने के संकेत दिए थे.
भारतीय शेयर बाजार पर क्या पड़ेगा असर?
विशेषज्ञों के अनुसार यूएस फेड के फैसले से आने वाले दिनों में कुछ समय के लिए भारतीय मार्केट में अनिश्चितता बनी रह सकती है. मगर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यहां रणनीति पहले ही तय हो चुकी है. हालांकि दरों में कटौती से लोगों को राहत मिल सकती है. क्योंकि फेड के निर्णय के आधार पर आरबीआई भी भविष्य में ब्याज दरों में कटौती पर विचार कर सकता है. ये इक्विटी बाजारों के लिए सकारात्मक है. ब्याज दर कम होने से लोगों की होम लोन और अन्य लोन की ईएमआई कम होगी. इससे लोगों के पॉकेट पर बोझ कम होगा.
आक्रामक कटौती का है अनुमान
विश्लेषकों का कहना है कि बाजार पहले से ही 25-बीपीएस कटौती की कीमत तय कर चुके हैं. अगर फेड 50-75 बेसिस प्वाइंट की कटौती करता है तो यह एक आक्रामक कटौती होगी. इस अनुमान का कारण हाल ही में तीन डेमोक्रेटिक सीनेटरों की ओर से की गई सिफारिश है. दरअसल उन्होंने एक पत्र भेजकर पॉवेल से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी से बचाने के लिए इस सप्ताह केंद्रीय बैंक की बेंचमार्क ब्याज दर में 75 आधार अंकों तक की आक्रामक कटौती करने की अपील की थी. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार अगर फेड दरों में कटौती करने में बहुत सतर्क है, तो यह अर्थव्यवस्था को मंदी की ओर ले जाने का जोखिम होगा.