US TikTok Ban: चीनी कंपनी को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं, नहीं बेचा तो लगेगा प्रतिबंध

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उस कानून को बरकरार रखा है, जिसके तहत TikTok को बैन किए जाने या किसी अमेरिकी कंपनी को बेचे जाने का प्रावधान किया गया है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने माना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से टिकटॉक का किसी अमेरिकी कंपनी के हाथ में होना जरूरी है.

ट्रंम्प आते ही टिकटॉक पर बैन लगाने वाला कानून लागू कर सकते हैं. Image Credit: Jaque Silva/NurPhoto via Getty Images

टिकटॉक को किसी अमेरिकी कंपनी को नहीं बेचे जाने तक बैन किए जाने के फैसले पर US के सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने उस कानून को बरकरार रखा है, जिसके तहत TikTok को किसी अमेरिकी कंपनी को बेचे जाने तक बैन किया जाना है. US सुप्रीम कोर्ट ने चीन के साथ इसके संबंधों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जोखिम मानते हुए कहा कि अमेरिका में इसके 17 करोड़ यूजर हैं, जिनका डाटा अमेरिका से बाहर चिंताजनक है.

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सत्तासीन होने से ठीक तीन दिन पहले आया है. ट्रम्प लगातार अमेरिका में चीनी प्रभाव के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. वहीं, मौजूदा राष्ट्रपति जो बिडेन के प्रशासन ने संकेत दिया है कि वह इस कानून को रविवार से लागू नहीं करेगा, जिससे रविवार से टिकटॉक पर बैन लगने का खतरा नही है. हालांकि, 20 जनवरी को ट्रम्प के राष्ट्रपति बनते ही वे टिकटॉक पर बैन लगाने वाले कानून को लागू कर सकते हैं. टिकटॉक की लोकप्रियता को ट्रम्प बखूबी समझते हैं. इस प्लेटफॉर्म पर उनके 1.47 करोड़ फॉलोअर हैं. हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया है कि सोमवार को उनके राष्ट्रपति बनने के बाद टिकटॉक के लिए क्या विकल्प खुले हैं.

अमेरिका का कहना है कि TikTok की तरफ से जो यूजर डाटा जुटाया गया है, वह अमेरिका के लोगों और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हो सकता है. इस डाटा में लोगों के कंटेंट देखने की आदतों से जुड़ी संवेदनशील जानकारी शामिल है, जो चीनी सरकार के हाथों में जा सकती है. इस डाटा के आधार पर चीन कंटेंट मैनिपुलेट कर सकता है.

वहीं, टिकटॉक का कहना है कि अमेरिका की तरफ से अब तक इस संबंध में कोई भी ठोस सबूत पेश नहीं किए गए हैं कि चीन अमेरिका में इस प्लेटफॉर्म पर कंटेंट मैनिपुलेट कर सकता है. पिछले वर्ष अप्रैल में अमेरिकी कांग्रेस में दोनों पार्टियों की सहमति से इस कानून को पारित किया गया था.