रूसी तेल पर अमेरिका ने लगाए अब तक के सबसे कड़े प्रतिबंध, भारत की बढ़ेगी टेंशन!

अमेरिका ने शुक्रवार को रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाकर जोरदार हमला किया है. अमेरिकी प्रतिबंधों के तहत खासतौर पर दो रूसी तेल कंपनियों को निशाना बनाया गया है. इन प्रतिबंधों का मकसद रूसी तेल सप्लाई को प्रभावित करना है. इससे भारत के लिए तेल आपूर्ति से जुड़ी समस्या खड़ी हो सकती है.

तेल बाजार पर संकट के बादल Image Credit: Anton Petrus/Moment/Getty Images

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से अमेरिका लगातार रूसी अर्थव्यवस्था पर प्रतिबंधों के जरिये हमले करता रहा है. लेकिन, यह पहली बार है जब अमेरिका ने पूरी दुनिया में रूसी तेल की आपूर्ति को प्रभावित करने के लिए प्रतिबंध लगाए हैं. मॉस्को टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन हमले के बाद रूस के तेल उद्योग पर अमेरिका ने सबसे कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. प्रतिबंधों के तहत दो रूसी तेल कंपनियों के साथ-साथ रूसी तेल अधिकारियों, व्यापारियों, तेल क्षेत्र सेवा प्रदाताओं और बीमा कंपनियों को भी निशाना बनाया गया.

वहीं, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में भी सूत्रों के हवाले इसकी पुष्टि की गई है. रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि नए अमेरिकी प्रतिबंधों का लक्ष्य रूसी तेल ले जाने वाले 180 से ज्यादा टैंकर और रूस स्थित समुद्री बीमा सेवा प्रदाता इंगोस्त्राख इंश्योरेंस कंपनी के कामकाज को प्रभावित करना है. वहीं, मॉस्को टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने गैजप्रोम नेफ्ट और सर्गुटनेफ्टेगाज को इसकी लक्जमबर्ग सहित दुनियाभर में दो दर्जन से ज्यादा सहायक कंपनियों के साथ प्रतिबंधों के दायरे में शामिल किया है.

भारत की सप्लाई होगी प्रभावित

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से रूस से भारत को होने वाली कच्चे तेल की आपूर्ति सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती है. भारतीय रिफाइनिंग सेक्टर से जुड़े तीन सूत्रों के हवाले से रॉयटर्स ने दावा किया है कि अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से भारतीय कंपनियों को रूसी तेल आपूर्ति में बड़ी बाधा आ सकती है. अमेरिकी ने इसके बाद भारतीय कंपनियां पश्चिमी एशिया और अमेरिका से कच्चा तेल खरीदने को मजबूर हो सकती हैं.

क्यों पड़ेगा भारतीय कंपनियों पर असर

अमेरिकी प्रतिबंधों के निशाने पर जो रूसी तेल ले जाने वाले जिन 180 से ज्यादा टैंकर और बीमा कंपनी को निशाना बनाया गया है, वे ज्यादातर भारतीय कंपनियों के लिए आपूर्ति से जुड़े हैं. नए प्रतिबंधों के तहत भारतीय रिफाइनर इन प्रतिबंधित टैंकरों और फर्मों से इंश्योर्ड रूसी तेल स्वीकार नहीं कर पाएंगी.

क्या करेगा रूस

फिलहाल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत करीब 80 डॉलर प्रति बैरल है. रूस इन प्रतिबंधों से उबरने के लिए कच्चे तेल को जी7 की तरफ से इंपोज किए गए 60 डॉलर के प्राइस कैप से नीचे ला सकता है, जिसके रूस से तेल खरीदने वाले देश रूसी बीमा के बिना भी तेल खरीदने के लिए आकर्षित हो सकते हैं.