यह ‘भारतीय’ अरबपति है ट्रंप का राइट हैंड, अब होगा अमेरिका का ‘चौकीदार’
Donald Trump के प्रशासन में भारतीय मूल के अरबपति अमेरिकी की को एंट्री मिल गई है, क्या है इसकी नेट वर्थ, कौन सी कंपनी है? और क्या है उनका एजेंडा...यहां जानें सब कुछ.
डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क के साथ-साथ भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशियंसी यानी DOGE का प्रमुख बनाया है. यहां मस्क को तो सभी जानते हैं लेकिन रामास्वामी कौन हैं जिन्हें ट्रंप ने ‘देशभक्त अमेरिकी’ कहा है. इनकी संपत्ति कितनी है? ये भारत के किस राज्य से ताल्लुख रखते हैं? चलिए सब जानते हैं.
अहम जिम्मेदारी मिलने के बाद रामास्वमी आक्रामक नजर आए, उन्होंने लिखा है कि हम लोग नरमी से पेश नहीं आने वाले हैं. जो विभाग मस्क और रामास्वामी को मिला है वह सरकार में नौकरशाही यानी ब्योरोक्रेसी, पुराने नियम कायदे और गैर जरूरी खर्चों को रोकने के अलावा फेडरल एजेंसियों को फिर से रिस्ट्रक्चर करने का काम करेंगे.
सफलता की कहानी और दौलत
39 साल के विवेक रामास्वामी एक बायोटेक निवेशक हैं और Forbes के अनुसार उनकी संपत्ति 1 अरब डॉलर है, जिससे वे अमेरिका के सबसे युवा अरबपतियों में से एक हैं. रामास्वामी हाल में ही बिलेनियर बने हैं. रामास्वामी ट्रंप की तरह ही रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवारों में से एक थे लेकिन अयोवा कॉकस में चौथे नंबर पर आने के बाद उन्होंने अपना कैंपेन छोड़ दिया था.
रिपब्लिकन पार्टी में ट्रंप के बाद रामास्वामी ही सबसे अमीर व्यक्ति हैं. रामास्वामी की संपत्ति में इजाफा उनकी कंपनी Roivant Sciences से हुआ है, जो 2021 में लिस्ट हुई थी और इसका शेयर इस साल 40% बढ़ा है.
कब रखा राजनीति में कदम?
2021 में, रामास्वामी ने Roivant के सीईओ पद से इस्तीफा दे दिया था और फिर राजनीति में कदम रखा. उन्होंने एक किताब “Woke, Inc.” लिखी, जिसमें उन्होंने इस बात की आलोचना की थी कि “कॉरपोरेट अपना पैसा समाज पर खर्च करके बर्बाद कर रहा है और उन्हें पर्यावरण जैसे मुद्दों की बजाय प्रॉफिट पर फोकस करना चाहिए.”
इसके बाद उन्होंने Strive Asset Management नाम से एक फंड शुरू किया, जो “एंटी-वोक” सिद्धांत पर काम करता है और इसे निवेशकों द्वारा $300 मिलियन का मूल्यांकन मिला.
कहां से हुई रामास्वामी की शुरुआत?
रामास्वामी भारतीय प्रवासी परिवार से आते हैं. उनके पिता एक इंजीनियर और पेटेंट वकील हैं, जबकि उनकी मां एक मनोचिकित्सक हैं. ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक उनका परिवार केरल से अमेरिका गया था.
विवेक रामास्वामी ने अपनी पढ़ाई हार्वर्ड से की और वहां एक स्टार्टअप वेबसाइट बनाई, जिसे एक प्राइवेट कंपनी ने साल 2009 में खरीदा था. हार्वर्ड के बाद उन्होंने एक हेज फंड कंपनी QVT में काम किया, जहां उन्होंने 7 सालों में 70 लाख डॉलर कमाए और 28 की उम्र में पार्टनर भी बन गए. इसके बाद उन्होंने येल लॉ स्कूल से डिग्री हासिल की.
2023 में विवेक ने बताया था कि उनकी मां ने अमेरिकी नागरिकता ले ली है जबकि उनके पिता के पास अब भी भारतीय पासपोर्ट है. विवेक की शादी अपूर्वा से हुई है और वो ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी वेक्सनर मेडिकल सेंटर में गले की सर्जन और असिस्टेंट में प्रोफेसर हैं. विवेक अपने परिवार के साथ कोलंबस में रहते हैं और उनके दो बेटे हैं.
बता दें कि 29 की उम्र में रामास्वामी ने QVT से इस्तीफा देकर Roivant Sciences नाम की कंपनी बनाई थी जिसके वे 2021 तक सीईओ थे. 2020 में जापानी कंपनी Sumitomo Dainippon ने Roivant में 3 अरब डॉलर का निवेश किया, जिससे रामास्वामी को दूसरा बड़ा मुनाफा हुआ.
साधारण जीवन!
रामास्वामी की दौलत देख कर लगेगा कि उनका जीवन काफी लग्जरियस है, लेकिन रामास्वामी साधारण जीवन जीते हैं. उनके पास अमेरिकी राज्य ओहायो में दो घर हैं, जिनकी कुल कीमत 25 लाख डॉलर है. उनका कहना है कि उनका जीवन वैसा ही है जैसा उनके बचपन में था. हालांकि, उन्होंने तीन प्राइवेट जेट्स खरीद रखें हैं, इसपर उनका कहना था कि इससे वे किसी भी देश की यात्रा कर सकते हैं और फिर जल्दी घर लौटकर परिवार के साथ समय बिता सकते हैं. उनका कहना है, “अगर हम समय खरीद सकते, तो हम समय खरीदते. प्राइवेट जेट हमें सिर्फ समय दिलाते हैं – परिवार के साथ बिताने के लिए.”
क्या है रामास्वामी का एजेंडा?
विवेक रामास्वामी ने समय समय पर अपने एजेंडे पर खुल कर बात की है, जैसे यूक्रेन और रूस की जंग को खत्म करना, बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखना और कुछ सरकारी विभागों को बंद करने की योजना. वो चाहते हैं कि शिक्षा विभाग, न्यूक्लियर रेगुलेटर कमीशन आयोग, डोमेस्टिक रेवेन्यू सर्विस और FBI को बंद कर दिया जाना चाहिए.
इसके अलावा विवेक रामास्वामी H-1B वीजा प्रोग्राम को भी खत्म करना चाहते हैं. अगर ये वाकई खत्म होता है तो भारतीयों को भी नुकसान होगा.
रामास्वामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और उनके प्रोडक्ट को “एडिक्शन” बताया था. उन्होंने कहा था, “इन्हें इस्तेमाल करने वाले 12-13 साल के बच्चों पर क्या असर होता होगा, इसे लेकर मैं चिंतित हूं.”
हालांकि वे खुद टिक टॉक से जुड़े थे, जिसपर उन्हें खूब आलोचनाओं का सामना करना पड़ा.
इसके अलावा रामास्वामी का मानना है कि रूस यूक्रेन युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म करने के लिए रूस को कुछ बड़ी छूट देनी चाहिए.