क्या है जॉर्ज सोरोस का असली बिजनेस, कहां से मिलती है सरकारें पलटने की ताकत?
जॉर्ज सोरोस दुनियाभर में चर्चित नाम है. हर जगह इस नाम की चर्चा की वजह अलग-अलग हो सकती हैं. ज्यादातर जगह सोरोस को ओपन सोसायटी फाउंडेशन के फाउंडर के तौर पर जाना जाता है, जो दुनियाभर के तमाम फाउंडेशन को फंड करता है. बहरहाल, जानते हैं कि आखिर जॉर्ज सोरोस का असली बिजनेस क्या है और कथित रूप से दुनियाभर में सरकारें पलटने की ताकत उन्हें कहां से मिलती है.
भारत में जॉर्ज सोरोस के नाम की चर्चा संसद तक हो चुकी है. इससे यह साबित हो जाता है कि यह नाम साधारण नहीं. भारत में इस नाम के पीछे जो शख्स है उसकी पहचान के कई पहलू हैं. इनमें एक पहलू मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी के तौर पर चर्चा में है. हो भी क्यों नहीं? सोरोस खुलेआम भारत से भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर करने की बात कर चुके हैं. दुनिया के कई देश हैं, जहां सोरोस को ऐसे शख्स के तौर पर देखा जाता है, जिसने उन देशों की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया और सरकारों को उखाड़ फेंका.
मोदी विरोधी सोरोस
जॉर्ज सोरोस ने भारत की मौजूदा सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी नापसंदगी कई बार खुलकर जाहिर की है. 2020 में दावोस में विश्व आर्थिक मंच (WEF) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सोरोस ने कहा, “लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नरेंद्र मोदी एक हिंदू राष्ट्रवादी राज्य बना रहे हैं, लाखों मुसलमानों को उनकी नागरिकता से वंचित करने की धमकी दे रहे हैं।” इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रवाद के प्रसार से निपटने के लिए एक नए विश्वविद्यालय नेटवर्क को फंड देने के लिए 1 अरब डॉलर देने का ऐलान किया.
कौन हैं जॉर्ज सोरोस
जॉर्ज सोरोस एक हेज फंड टायकून हैं. उन्होंने अपने जीवन में सबसे ज्यादा पैसा बैंक ऑफ इंग्लैंड के खिलाफ दांव चलकर कमाया था. एक तरह से सोरोस ने इंग्लैंड को लगभग दिवालिया कर दिया था. 8.5 अरब डॉलर की कुल संपत्ति के साथ, सोरोस ओपन सोसायटी फाउंडेशन के संस्थापक हैं, जिसकी संपत्ति 25 अरब डॉलर है. 1930 में बुडापेस्ट में एक समृद्ध यहूदी परिवार में जन्मे, सोरोस लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़े हैं. इसके बाद उन्होंने लंदन के मर्चेंट बैंक सिंगर एंड फ्रीडलैंडर के लिए काम किया.
क्या है असली बिजनेस
1956 में सोरोस न्यूयॉर्क चले गए. जहां उन्होंने शुरुआत में यूरोपीय सिक्योरिटीज के एनालिस्ट के तौर पर काम किया. 1969 में उन्होंने अपना पहला हेज फंड, डबल ईगल खोला. 1973 में, उन्होंने सोरोस फंड मैनेजमेंट (बाद में क्वांटम एंडोमेंट फंड) शुरू किया, जो एक हेज फंड था. यहीं से उनका असली बिजनेस शुरू हुआ. सोरोस अस्थिर मुद्राओं में सट्टेबाजी से पैसा बनाने के लिए पहचाने जाते हैं. ब्रिटिश पाउंड के खिलाफ सट्टा लगाकर वे दुनिया के शीर्ष मुद्रा सट्टेबाजों में से एक बन गए. बाद में उन्होंने थाईलैंड और मलेशिया की करेंसी के साथ भी ऐसा ही किया. इन मुद्राओं पर सोरोस के हमलों को व्यक्तिगत लाभ के लिए पूरी अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के रूप में देखा गया. यही सोरोस का असली बिजनेस है.
सोरोस खुद को मानते हैं विशेष
2004 में प्रकाशित लॉस एंजिल्स टाइम्स के एक लेख के मुताबिक, सोरोस को लगता है कि उन्हें भगवान ने अभिषिक्त किया है. सोरोस लेख में कहते हैं, “मैं खुद को किसी तरह के भगवान का रूप मानता हूं” एक जगह उन्होंने कहा, “अगर सच कहा जाए, तो मैं बचपन से ही अपने साथ कुछ शक्तिशाली मसीहाई कल्पनाएं लेकर आया था, जिन्हें मुझे नियंत्रित करना था, अन्यथा वे मुझे परेशानी में डाल सकती थीं।” वहीं, ब्रिटेन के इंडिपेंडेंट अखबार ने जब लॉस एंजिल्स टाइम्स के लेख पर विस्तार से जवाब मांगा, तो बात करते हुए सोरोस ने कहा, “यह एक तरह की बीमारी है. जब आप खुद को किसी तरह का भगवान, हर चीज का निर्माता मानते हैं, लेकिन अब मैं इसे लेकर सहज महसूस करता हूंं, क्योंकि मैंने इसे जीना शुरू कर दिया है.”
कहां से मिलती है सरकारें बदलने की ताकत
सोरोस का ओपन सोसायटी फाउंडेशन दुनियाभर के 120 से अधिक देशों में सक्रिय है. सोरोस इस फाउंडेशन और इससे जुड़े संस्थानों का रणनीतिक तरीके से इस्तेमाल करते हैं. सोरोस की सबसे बड़ी ताकत अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी है. सोरोस इस पार्टी को जमकर फंड देते हैं. एक मेगा डोनर के तौर पर देशभर के शहरों में डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी नियुक्ति में उनकी अहम भूमिका होती है. इसके अलावा अमेरिकी डीप स्टेट तत्वों के साथ भी सोरोस का गहरा संबंध है.