NVIDIA : 10 साल में 3,000 हजार गुना बढ़ा शेयर, इस साल 122% का रिटर्न, फिर भी क्यों रूठे हैं निवेशक

एनविडिया 1.5 वर्ष में अचानक दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी बनी है. 10 साल पहले 2014 में इसके शेयर की कीमत सिर्फ 0.40 डॉलर का थी. जून 2024 में स्प्लिट किए जाने से पहले इसकी कीमत 1,200 डॉलर प्रति शेयर पहुंच गई.

एनवीडिया के शेयरों की कीमत में गिरावट की बड़ी वजह इसके खिलाफ जारी जांच है. Image Credit: Justin Sullivan/Getty Images

अगर आपने साल 2014 में NVIDIA में 1,000 रुपये का निवेश किया होता, तो आज इसकी कीमत 30 लाख रुपये होती. यही नहीं, इस साल के दूसरे क्वार्टर यानी अप्रैल से जुलाई के दौरान कंपनी ने 122% का रिटर्न दिया है. फिलहाल, यह दुनिया की सबसे कीमती कंपनी है. जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में कंपनी का बाजार मूल्य 5 लाख करोड़ डॉलर यानी भारत की मौजूदा जीडीपी से ज्यादा हो सकता है. इसके बावजूद पिछले करीब सप्ताह से कंपनी के शेयरों में गिरावट आ रही है.

मंगलवार को अमेरिकी बाजार नैस्डेक में लिस्टेड एनविडिया के शेयरों में करीब 9.5 फीसदी की गिरावट आई. इसके चलते कंपनी के बाजार मूल्य में करीब 280 अरब डॉलर से ज्यादा की कमी आई. यह आंकड़ा कितना बड़ा है, इसे भारतीय परिप्रेक्ष्य में समझें, तो एनविडिया की 10% की गिरावट देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाजार मूल्य से भी ज्यादा है. बहरहाल, सवाल यह है कि इतनी मजबूत और बड़ी कंपनी को अचानक इतनी बड़ी गिरावट का सामना क्यों करना पड़ा.

0.40 से 1200 प्रति शेयर का सफर

एनविडिया 1.5 वर्ष में अचानक दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी बनी है. मूल रूप से कंप्यूटर के लिए ग्राफिक कार्ड बनाने वाली इस कंपनी का शेयर आज से 10 साल पहले 2014 में सिर्फ 0.40 डॉलर का था. जून 2024 में स्प्लिट किए जाने से पहले इसकी कीमत 1,200 डॉलर प्रति शेयर पहुंच गई. स्प्लिट किए के बाद भी शेयर की कीमत 140 डॉलर थी.

क्यों अचानक आसमान छूने लगी कीमत

2014 के बाद से इसके ग्राफिक कार्ड का इस्तेमाल बिटकॉइन माइनिंग में होने लगा, जिसके चलते 2018 में इसका शेयर पहली बार 5 डॉलर से ऊपर निकला. इसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉड्यूल में इसकी चिप का इस्तेमाल होने लगा. जुलाई 2020 में शेयर की कीमत 10 डॉलर तक पहुंच गई. इसके बाद कंपनी ने पूरी योजना के तहत एआई हार्डवेयर बनाना शुरू किया, जिससे जुलाई 2021 में शेयर की कीमत 20 डॉलर से ऊपर चली गई. पिछले साल जून में पहली बार शेयर 40 डॉलर से आगे निकला. इसके बाद इस साल की शुरुआत में एनविडिया ने ब्लैकवेल नाम से एआई चिप लॉन्च की, जिसके बाद इसकी कीमतों को ऐसे पंख लगे कि जून में शेयर की कीमत 1,200 डॉलर पहुंच गई. इसके बाद शेयर को स्प्लिट किया गया. फिलहाल, इसकी कीमत करीब 108 डॉलर है.

मंगलवार को क्या हुआ

एआई हार्डवेयर और प्रोसेसर की दुनिया में जरा भी हलचल होती है, तो कंपनी के शेयरों में उठापटक होने लगती है. हालांकि, मंगलवार को शेयरों में गिरावट के पीछे अमेरिकी न्याय विभाग का एक समन सबसे बड़ा कारण बना. असल में अमेरिका में कंपनी के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कानून के तहत जांच चल रही है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी न्याय विभाग ने मंगलवार को एनवीडिया को सम्मन भेजा, जिसके तहत कंपनी को विभाग की जांच में शामिल होने के लिए कहा गया है. यह समन कंपनी को जांच में शामिल होने के लिए कानूनी रूप से बाध्य करता है.

अमेरिकी न्याय विभाग ने लगाए गंभीर आरोप

रिपोर्ट में कहा गया है कि न्याय विभाग के अधिकारी चिंतित हैं कि एनविडिया बाजार पर एकाधिकार का प्रयास कर रही है. कंपनी ने अपने ग्राहकों को अन्य आपूर्तिकर्ताओं के पास जाना मुश्किल बना दिया है. कंपनी उनको दंडित भी कर रही है, जो उसकी बनाई एआई चिप का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.

एक छोटे स्टार्टअप से मिल रही चुनौती

दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी को इन दिनों सेरेब्रस सिस्टम्स इंक नाम के छोटे से स्टार्टअप से चुनौती मिल रही है. सैन डिएगो, टोरंटो, टोक्यो और बैंगलोर में करीब 350 कर्मचारियों वाले इस स्टार्टअप ने एनविडिया की ब्लैकवेल एआई चिप से 20 गुना तेज चिप डिजाइन करने का दावा किया है. करीब 420 करोड़ डॉलर इस कंपनी के फाउंडर एंड्र्यू फेल्डमैन का कहना है कि उनकी चिप फिलहाल बाजार में उपलब्ध चिपों से 20 गुना तेज और कीमत में आधे से भी कम होगी.

तो क्या वाकई डूब जाएगी एनविडिया

बहरहाल, बाजार और तकनीक के जानकारों का कहना है कि सेरेब्रस सिस्टम ने भले ही 20 गुना तेज और किफायती चिप बनाने का दावा किया है. लेकिन, इसकी वजह से एनविडिया के ब्लैकवेल का इस्तेमाल रुकने या घटने वाला नहीं है. इसकी बड़ी वजह भरोसा है. एआई मॉडल बनाने वालों को भरोसेमंद हार्डवेयर की जरूरत है. समय के साथ एनविडिया ने यह भरोसा हासिल किया है. इस लिहाज से कंपनी के भविष्य को बहुत बड़ा खतरा नजर नहीं आता है. हालांकि, कंपनी का बाजार मूल्य इतना बड़ा हो चुका है कि इसकी छोट सी भी गिरावट बहुत बड़ी नजर आती है.