कौन है वो पति-पत्नी जिसने गूगल को सिखाया सबसे बड़ा सबक, लग गया 2,40,000 करोड़ रुपये का जुर्माना

एक कपल ने गुगल के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी. इस कपल का नाम शिवौन और एडम है. शिवौन और एडम ने लंबे समय तक गुगल के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी. आईए जानते है कि आखिर क्यों इस कपल को गुगल के साथ कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी.

गुगल के खिलाफ कानूनी लड़ाई Image Credit: Internet

जब भी हम कंफ्यूज होते है तो हम सीधे Google करते है. यानी हमारे लगभग सभी सवालों का जवाब गुगल होता है, लेकिन एक कपल ने उसी गुगल के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी. इस कपल का नाम शिवौन और एडम है. शिवौन और एडम ने लंबे समय तक गुगल के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी. आखिर क्यों इस कपल को गुगल के साथ कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. क्यों गूगल को देना पड़ा 2.4 अरब पाउंड (लगभग 2,40,000 करोड़ रुपये) का जुर्माना. आखिर क्या था पूरा मामला आइए जानते है?

शुरू से शुरू करते है.

कहानी की शुरुआत साल 2006 से शुरू होती है. जब एक पति-पत्नी ने अच्छी-खासी सैलरी वाली नौकरी को छोड़कर अपना बिजनेस करने का सोचा. दोनों ने मिलकर एक प्राइस कंपेरिजन वाली वेबसाइट की शुरुआत की. इस वेबसाइट का नाम ‘फाउंडेम’ रखा. लेकिन, फिर फाउंडेम पर सर्च इंजन के एक ऑटोमेटिक स्पैम फिल्टर के चलते गूगल सर्च पेनल्टी लगाई गई. इस पेनल्टी की वजह से वेबसाइट के बिजनेस पर गहरा असर पड़ा. दरअसल इस पेनल्टी की वजह से इंटरनेट पर ‘प्राइस कम्पेरिजन’ और ‘कम्पेरिजन शॉपिंग’ जैसे सर्च रिजल्ट्स की लिस्ट में फाउंडेम को बहुत पीछे कर दिया गया था.

रेवेन्यू जनरेट करने में दिक्कतों का सामना

फाउंडेम पर गूगल सर्च पेनल्टी लगने के चलते कपल की इस वेबसाइट को पैसा कमाने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. फाउंडेम का रेवेन्यू मॉडल यह था कि जब कस्टमर किसी और वेबसाइट के जरिए उनके प्रोडक्ट पर क्लिक करते है, तो उनका वेबसाइट उनसे कुछ चार्ज लगा लिया करते थे. अब ऐसे में जब उनके वेबसाइट पर पेनालटी लगी है तो उन्हें पैसे कमाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. इस कपल का यह आरोप है कि गूगल ने उन्हें इंटरनेट से ही गायब ही कर दिया था.

इतने करोड़ रुपए का जुर्माना

फाउंडेम की शुरुआत कोई मामूली स्टार्टअप नहीं था. इसने दुनिया की सबसे बड़ी सर्च इंजन कंपनी गूगल को चुनौती दे दिया. यह कानूनी लड़ाई लगभग 15 सालों तक चली. अंत में गूगल पर 2.4 बिलियन पाउंड (2,40,000 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया गया. इस मामले को गूगल के ग्लोबल रेग्युलेशन में एक ऐतिहासिक फैसले के तौर पर देखा गया. बाद में गूगल ने इस फैसले के खिलाफ अदालत याचिका दायर कि, लेकिन 2017 में सात साल लंबी लड़ाई लड़ने के बाद इस साल सितंबर में यूरोप की european court of justice ने गूगल की इस अपील को सिरे से खारिज कर दिया.

कैसे शुरू हुई थी कंपनी

साल 2017 में गूगल को इस मामले में दोषी पाया गया. साथ ही जुर्माना भी लगाया गया. इस मामले के पैरलल यह भी पता लगा कि फाउंडेम अलावा केल्कू, ट्रिवागो और येल्पो समेत ऐसे कंपनियां थी जो गूगल के इस कारनामे का शिकार हुआ था. एडम ने सुपरकंप्यूटिंग के क्षेत्र में काम करता था. उसे फाउंडेम बनाने का आइडिया उनके ऑफिस के बाहर सिगरेट पीते हुए आया था. फाउंडेम अन्य किसी प्राइस कंपेरिजन वेबसाइट से अलग थी. यहां कस्टमर के पास कपड़ों से लेकर फ्लाइट्स तक की कीमतों की तुलना करने का मौका था.

वहीं शिवौन सॉफ्टवेयर सलाहकार के रूप में काम कर चुकी थी. उनका मानना था कि कोई दूसरा वेबसाइट उनके आस-पास भी नहीं था. यूरोपीय आयोग ने साल 2017 के अपने फैसले में कहा कि उन्होंने कहा कि गूगल ने गैर-कानूनी ढंग से सर्च रिजल्ट्स में खुद की कम्पेरिजन शॉपिंग सर्विस को अधिक बढ़ावा दिया है. वहीं उनके बेवसाइट को पीछे धकेल दिया है.

गूगल ने क्या कहा?

इस पूरे मामले को लेकर गुगल ने प्रतिक्रिया दी है. गूगल के एक प्रवक्ता ने कहा कि यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस का फैसला केवल इस बात से जुड़ा है कि उसने 2008 से 2017 के दौरान प्रोडक्ट रिजल्ट कैसे दिखाए. गूगल ने कहा कि उन्होंने अच्छे से काम किया है, और 800 से ज्यादा कम्पेरिजन शॉपिंग सर्विस वेबसाइट्स को इसके जरिए अरबों क्लिक मिले हैं. इसके साथ ही लाखों और करोड़ों में कमाई भी किया है. गूगल ने फाउंडेम के दावों का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि जब अदालत इस मामले पर विचार करेगी.

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