ट्रंप के टैरिफ वॉर से क्यों बेफिक्र हैं जिनपिंग, क्या है चीन का अमेरिका को पटखनी देने का प्लान?

US President Trump के टैरिफ प्लान के ऐलान के बाद दुनियाभर के देश अमेरिका के साथ समझौते के लिए बातचीत कर रहे हैं. लेकिन, सबसे ज्यादा टैरिफ लगाए जाने के बाद भी अमेरिका को 400 अरब डॉलर से ज्यादा का निर्यात करने वाला चीन बेफिक्र है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ड्रैगन डर क्यों नहीं रहा है, क्या जिनपिंग ने ट्रंप को पटखनी देने का कोई प्लान पहले ही तैयार कर लिया है? आइए जानते हैं.

China US Tariff war में आया नया अपडेट Image Credit: Getty image

China President Xi Jinping ने शुक्रवार को पहली बार सार्वजनिक तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से शुरू किए गए टैरिफ वॉर पर प्रतिक्रिया दी. बीजिंग में स्पेनिश प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज से बातचीत से ठीक पहले कहा, “व्यापार युद्ध में कोई विजेता नहीं होता और दुनिया के खिलाफ जाने से केवल खुद ही अलगाव का शिकार होगा.” इसके साथ चीन का कहना है कि वह अमेरिका के ट्रेड वॉर से डरता नहीं है.

चीन के लिए इस पार या उस पार

चीन अमेरिकी टैरिफ वॉर के खिलाफ पिछले कई वर्षों से तैयारी कर रहा है. ट्रंप के पिछले कार्यकाल में भी चीन को अमेरिकी टैरिफ का सामना करना पड़ा था. उसी दौर में जिनपिंग ने चीन की इकोनॉमी के खिलाफ अमेरिका के इस हथियार को विफल बनाने की तैयारी शुरू कर दी थी. द टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इकोनॉमी और मार्केट कंसल्टेंट एंड्रू पोक का कहना है कि, चीन की तैयारी पूरी है, चीन के लिए यह मेक या ब्रेक वाला अवसर है. चीन ने अफ्रीका, यूरोप और एशिया में निर्यात का बड़ा बाजार बनाया है. ऐसे में इस बार चीन झुकने को तैयार नहीं है.

क्या है चीन की रणनीति?

चीन ने अपने उद्योगों में बड़ा बदलाव शुरू किया है. इसके तहत चीन अपनी घरेलू खपत वाले उद्योगों के साथ ही उन उद्योगों पर जोर दे रहा है, जिनके उत्पादों की खपत अमेरिका को छोड़कर पूरी दुनिया में होती है. चीन इस रणनीति पर 2018 से ही काम कर रहा है, जब ट्रंप ने चीन पर पहली बार टैरिफ का बम फोड़ा था. यही वजह है कि चीन के कुल निर्यात में अब अमेरिका की भागीदारी लगातार घट रही है. 2018 में यह हिस्सेदारी 20 फीसदी थी और अब यह 14 फीसदी हो गई है.

पूरी दुनिया में फैला चीन का जाल

पिछली बार जब ट्रंप ने चीन पर टैरिफ लगाया था, तो चीन ने अमेरिका के पड़ोसी मेक्सिको के जरिये अपना सामान अमेरिकी बाजार तक पहुंचाया. इस बार ट्रंप का कहना है कि वे कच्चा माल चीन से आयात कर अमेरिका को निर्यात किए जाने पर भी चीन के बराबर टैरिफ लगाएंगे. लेकिन, चीन यहां भी एक कदम आगे निकल चुका है. चीन की कंपनियों उन देशों में फैक्टरियां लगा रही हैं, जहां से वे खुद कच्चा माल लेती हैं. इस तरह ट्रंप के टैरिफ प्लान में सेंधमारी की योजना चीन कई वर्ष पहले बना चुका है. चीन ने इसके लिए खासतौर पर अफ्रीका, दक्षिण एशिया और लैटिन अमेरिका को निशाना बनाया है.

जिनपिंग को नहीं लड़ना चुनाव

ट्रंप को इस युद्ध में जिनपिंग को मात देने में सबसे बड़ी बाधा चीन का राजनीतिक सिस्टम है. जिनपिंग को ट्रंप की तरह चार वर्ष बाद चुनाव का सामना नहीं करना है. जिनपिंग का चीन की सत्ता पर एकाधिकार है. जबकि, ट्रंप के खास सिपहसालारों में ही टैरिफ के मसले पर मतभेद हैं.

अमेरिकी लोगों को ज्यादा नुकसान

इस युद्ध में चीन के नहीं डरने की एक बड़ी वजह यह है कि टैरिफ के हमलों की पहली चोट अमेरिकी लोगों के जेब पर पड़ेगी. अमेरिका रातों-रात चीन का विकल्प तैयार नहीं कर सकता है. अमेरिकी लोग घर की रोजमर्रा के जरूरत के सामान से लेकर स्मार्टफोन और खिलौने तक चीन के इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में लोगों को जरूरत का सामान खरीदने के लिए भले ही ज्यादा कीमत चुकानी पड़े, वे चुकाएंगे.

यूरोप से मिला समर्थन

अमेरिका के लिए इस युद्ध में सबसे बड़ा झटका यूरोप से लगा है. यूरोपियन यूनियन ने भी 9 अप्रैल को चीन की तरह ही अमेरिका पर टैरिफ पलटवार के एक प्रस्ताव पर चर्चा शुरू की है. ट्रंप की तरफ से टैरिफ पॉज किए जाने के बाद फिलहाल, इस चर्चा को 90 दिन के लिए रोक दिया गया है. चीन को इस मुद्दे पर यूरोपीय देशों से समर्थन मिलना, ट्रंप के लिए बड़ा झटका है. ऐसे में अगर यूरोप और चीन के बीच कोई व्यापारिक समझौता हो जाता है, तो चीन को अलग-थलग और कमजोर करने का ट्रंप का प्लान उल्टा पड़ सकता है.

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