जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, घर से कैश मिलने के बाद शुरू हुई थी जांच
दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले में आग के बाद कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी मिलने से हलचल मच गई. मामला कोर्ट पहुंचा और अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनके ट्रांसफर का आदेश दे दिया है.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके मूल न्यायालय, इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित करने के फैसले पर मुहर लगा दी है. कोर्ट ने यह फैसला जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास से कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ इन-हाउस जांच पहले ही शुरू की जा चुकी थी.
क्या है आया पूरा मामला?
14 मार्च की रात दिल्ली के लुटियंस जोन स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई थी. आग बुझाने के लिए पहुंची दमकल टीम को वहां कथित रूप से भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिली. इस घटना की सूचना मिलते ही दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय ने तुरंत एक आंतरिक जांच शुरू की और सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दी.
इस मामले के तूल पकड़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में कॉलेजियम ने 20 और 24 मार्च को बैठक की. इसके बाद 24 मार्च को आधिकारिक रूप से जस्टिस वर्मा के स्थानांतरण की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी गई. साथ ही, कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि जस्टिस वर्मा को किसी भी तरह की न्यायिक जिम्मेदारी न सौंपी जाए.
जस्टिस वर्मा का इनकार और सुप्रीम कोर्ट की जांच रिपोर्ट
इस मामले में जस्टिस वर्मा ने खुद को निर्दोष बताया. उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य का इस नकदी से कोई लेना-देना नहीं है और यह पूरी तरह से उन्हें फंसाने की साजिश हो सकती है. उन्होंने इस आरोप को ‘बेतुका’ और ‘अपमानजनक’ करार दिया.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली पुलिस के आयुक्त की रिपोर्ट के अनुसार, आवास के उस कमरे में जहां आग लगी थी, वहां से चार से पांच जली हुई नकदी की गड्डियां मिली थीं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जांच में यह पाया गया कि आग लगने वाले कमरे तक केवल जस्टिस वर्मा, उनके परिवार के सदस्य, घरेलू कर्मचारी और कुछ सीपीडब्ल्यूडी कर्मियों की ही पहुंच हो सकती थी.
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तीन जजों की विशेष समिति करेगी विस्तृत जांच
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गहराई से जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है. इस समिति में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागु, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी एस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं.