कार लोन को ऑटो लोन के नाम से भी जाना जाता है. यह एक फाइनेंशियल एग्रीमेंट है, जो एक व्यक्ति और वित्तीय संस्थान जैसे- बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनेंस के बीच होता है. इसमें व्यक्ति बैंक या वित्तीय संस्थान से मिले उधार के पैसे से कार खरीदता है. बैंक लोन का अमाउंट सीधे डीलर के खाते में ट्रांसफर करते हैं. बैंक लोन की राशि पर ब्याज लगाता है और फिर कुल राशि को जोड़कर इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंटस (EMI) तय करता है. इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट्स के जरिए व्यक्ति बैंक या वित्तीय संस्थान को कर्ज की राशि ब्याज समेत वापस लौटाता है.
नई और पुरानी, दोनों तरह की कार को खरीदने के लिए लोन उपलब्ध होता है. बैंक या वित्तीय संस्थान कार की ऑन-रोड कीमत का 85 फीसदी से 90 फीसदी फाइनेंस करते हैं. कई मामले में यह 100 फीसदी भी हो सकता है.
लोन की राशि आवेदक की वार्षिक आय का तीन गुना तक हो सकती है. कुछ बैंक या वित्तीय संस्थान तुरंत फाइनेंसिंग की सर्विस भी ऑफर करते हैं. अगर आप बैंक के साथ पार्टनरशिप वाले डीलर या निर्माता से कार खरीदना चुनते हैं, तो आपको अतिरिक्त छूट और ऑफर मिल सकते हैं. फाइनेंसिंग के ज़रिए खरीदी गई कार को लोन चुकाए जाने तक कोलेटरल के रूप में रखा जाएगा. कार लोन के लिए आम तौर पर अपनाई जाने वाली रीपेमेंट स्ट्रक्चर समान मासिक किस्त (EMI) है.
जब भी आप कार लोन के लिए अप्लाई करेंगे, तो लोन देने वाला संस्थान आपके क्रेडिट स्कोर के बारे में पूछताछ करेगा. आपकी रिपोर्ट और क्रेडिट स्कोर के आधार पर ऋणदाता तय करेगा कि आपको कितनी राशि उधार के रूप में दी जाए. इसी के आधार पर नियम और शर्तें भी तय की जाएंगी.
डेट टू इनकम रेश्योऋणदाता महीने के अंत में आपकी इनकम और आपकी जिम्मेदारियों का आकलन करते हैं. इसके जरिए बैंक या वित्तीय संस्थान ये देखते हैं कि नई कार के लिए दी जाने वाले लोन की ईएमआई आपके बजट में फिट बैठती है या नहीं. बैंक या वित्तीय संस्थान डेट टू इनकम (DII) रेश्यो के जरिए लोन लेने की आपकी क्षमता को तय करेगा. अगर आपका डेट टू इनकम हाई, तो आपकी आय चाहे जितनी भी हो, आपको लोन के रूप में कम राशि मिलेगी.
डाउन पेमेंटहर कार लोन एक निर्धारित मार्जिन के साथ आता है. यहां मार्जिन का मतलब है वह राशि या ऑन-रोड कार की कीमत का प्रतिशत जो आपको अपनी जेब से चुकाना होगा. हालांकि बाजार में 100 फीसदी फाइनेंसिंग लोन स्कीम्स उपलब्ध हैं, लेकिन वे शर्तों के अधीन हैं.
आपके लिए हमेशा कुछ पैसे बचाना और उसे डाउनपेमेंट के रूप में इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है, ताकि आप कम उधार ले सकें और बैंक को कम ब्याज दें. बैंक या वित्तीय संस्थान भी चाहते हैं कि लोन लेने वाला व्यक्ति अपनी ओर से एक तय राशि डाउनपेमेंट करें. इससे ऋणदाताओं को यह गारंटी मिलती है कि आप अपने पैसे की योजना बनाने और उसे अच्छी तरह से प्रबंधित करने में अच्छे हैं और अचानक से पुनर्भुगतान से पीछे नहीं हटेंगे.
वाहन की उम्रइस्तेमाल की गई कार यानी पुरानी कार के मामले में वाहन की उम्र लोन की ब्याज दर तय करने में अहम भूमिका निभाती है. यह लोन के आवेदन को स्वीकार या अस्वीकार करने में निर्णायक फैक्टर होता है.
पात्रताकार लोन लेने के लिए कुछ पात्रता शर्तें पूरी होनी चाहिए और किसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें इसकी उचित समझ है। आइए देखें कि ये कौन से कारक हैं जो यह तय करेंगे कि आप कार खरीदने के योग्य हैं या नहीं:
भारत में उपलब्ध ज्यादातर कार लोन सुरक्षित लोन माने जाते हैं. इसमें वाहन स्टैंडर्ड कोलेटरल के रूप में काम करता है. भारत में अधिकांश ऋणदाताओं को गारंटर की आवश्यकता नहीं होती है. फिर भी अगर आपकी वार्षिक आय तय मानदंडों को पूरा नहीं करती है, तो आपको गारंटर के साथ साइन अप करना होगा.
बैंक आपके कार लोन को प्रोसेस करने के लिए कुल लोन राशि का एक छोटा प्रतिशत चार्ज करते हैं जिसे प्रोसेसिंग फीस कहते हैं. आपके बैंक खाते में लोन राशि जमा करते समय प्रोसेसिंग फीस काट ली जा जाती है. कुछ बैंक विशेष ऑफर के तौर पर प्रोसेसिंग फीस माफ करते हैं.
बैंक आम तौर पर उधारकर्ताओं को 12 ईएमआई भुगतान करने के बाद कार लोन का एक हिस्सा प्रीपेमेंट करने की अनुमति देते हैं. इस प्रीपेमेंट को करने के लिए आपको एक शुल्क देना पड़ सकता है जो प्रीपेमेंट राशि का एक प्रतिशत होता है. इसे प्रीपेमेंट शुल्क कहा जाता है
आप लोन अवधि समाप्त होने से पहले लोन राशि का पूरा भुगतान करना भी चुन सकते हैं. बैंक प्रीक्लोजर शुल्क लेते हैं जो कि लोन को प्रीक्लोज करने के लिए आपके द्वारा भुगतान की जाने वाली शेष मूल राशि का एक प्रतिशत होता है. कार लोन को प्री-क्लोज करना उचित नहीं है क्योंकि समय पर ईएमआई भुगतान करने से आपके क्रेडिट स्कोर को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है.