लोन यानी उधार. लेकिन उधार लेने का भी एक सिस्टम होता है. लोन एक ऐसा समझौता है जो उधार देने वाले और उधार लेने वाले के बीच होता है. इसमें उधार लेने वाला एक निश्चित अवधि (टेन्योर) में EMI के रूप में मूलधन और ब्याज को चुकाने का वादा करता है. EMI का मतलब है हर महीने चुकाई जाने वाली तय किस्त. लोन आमतौर पर पैसों की कमी को पूरा करने के लिए लिया जाता है, जिसे बाद में ब्याज सहित चुकाना पड़ता है. मान लीजिए, किसी व्यक्ति ने ₹1,00,000 का पर्सनल लोन 11% ब्याज पर 3 साल के लिए लिया. इस लोन पर उसे कुल ₹1,17,859 चुकाने होंगे. इसमें मूलधन ₹1,00,000 है और ब्याज ₹17,859. बैंक अपने हिसाब से ब्याज दर तय करते हैं.
लोन का इस्तेमाल कहां कर सकते हैं?लोन कई तरह की जरूरतों को पूरी करने में मदद करता है. उदाहरण के तौर पर इमरजेंसी खर्चे जैसे मेडिकल संबंधी जरूरतें या घर की मरम्मत, शादी, पढ़ाई, घर या कार की खरीदारी के लिए आम तौर पर लोन लिया जाता है. लोन का इस्तेमाल सोच-समझकर और जरूरी चीजों के लिए करें ताकि आप अनावश्यक कर्ज से बच सकें.
लोन लेने के लिए क्या चीजें हैं जरूरी?लोन लेने के लिए जरूरी है कि आपका क्रेडिट स्कोर बढि़या हो. यह लोन लेने की एलिजिबिलिटी बढ़ाता है. दूसरी अहम चीज है नियमित और स्थिर आय. आप किसी संस्थान से कितने लंबे समय से जुड़े हैं, यह भी लोन लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. अगर आपके ऊपर पहले से ही कर्ज है तो आपके लोन लेने की अधिकतम सीमा घट सकती है. इसके अलावा, लोन लेने वाले की उम्र, नागरिकता और स्थान भी लोन की पात्रता पर प्रभाव डालते हैं.
लोन मिलने के चांसेस को कैसे बढ़ाएं?सबसे पहले अपने क्रेडिट स्कोर को दुरुस्त करें. अगर किसी क्रेडिट कार्ड का बिल बकाया है या किसी लोन की ईएमआई बाउंस हुई है तो सबसे पहले उसे चुकाएं. कर्ज का बोझ घटाएं ताकि लोन मिलने में आसानी हो. नौकरी में स्थिरता भी लोन लेने के चांसेस बढ़ा सकता है.
लोन लेने का प्रोसेस क्या है?जितना ज्यादा लोन, उतनी ही ज्यादा EMI देनी होती है. ब्याज दर जितनी ज्यादा होगी, EMI उतनी ही बढ़ेगी. लंबी अवधि यानी कम EMI लेकिन ज्यादा ब्याज. छोटी अवधि यानी ज्यादा EMI लेकिन ब्याज कम.